रांची:सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए लोकतंत्र की पहली परीक्षा पूरी हो चुकी है. पहले फेज में 15 जिलों की 43 सीटों के लिए 683 प्रत्याशियों की किस्मत को मतदाताओं ने ईवीएम में लॉक कर दिया है. एनडीए और इंडिया ब्लॉक के लिहाज से पहले फेज बेहद खास है. 2019 के चुनाव में इन 43 सीटों में से 27 सीटों पर इंडिया ब्लॉक, 13 सीटों पर एनडीए और तीन सीटों पर अन्य की जीत हुई थी. मौजूदा समीकरण के लिहाज से 43 में से 26 सीटों पर इंडिया ब्लॉक जबकि 17 सीटों (चंपाई सोरेन, सरयू राय समेत) पर एनडीए का कब्जा है.
इस फेज का चुनाव दोनों प्रमुख गठबंधन के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि एसटी के लिए रिजर्व 28 और एससी के लिए रिजर्व 09 यानी कुल 37 रिजर्व सीटों में से 26 सीटों के लिए चुनाव हो चुका है. इनमें 20 एसटी सीटें (पोटका, घाटशिला, सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, चक्रधरपुर, मनोहरपुर, खरसांवा, तमाड़, तोरपा, खूंटी, मांडर, सिसई, गुमला, बिशुनपुर, सिमडेगा, कोलेबिरा, लोहरदगा और मनिका ) और 6 एससी सीटें (सिमरिया, चतरा, जुगसलाई, कांके, छत्तरपुर और लातेहार) शामिल हैं. इन 26 सीटों में से 21 सीटों पर इंडिया ब्लॉक काबिज है जबकि एनडीए के पास सिर्फ 05 सीटें हैं.
कोल्हान की 14 सीटों पर सबकी नजर
सबकी नजर कोल्हान की 14 सीटों के संभावित नतीजों पर टिकी है. क्योंकि 2019 में इंडिया ब्लॉक ने कोल्हान पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था. एनडीए का सूपड़ा साफ हो गया था. लेकिन इस बार यहां का समीकरण बदल गया है. एनडीए के लिए तीन पूर्व सीएम के परिजनों के अलावा एक पूर्व सीएम खुद मैदान में हैं. ऊपर से 2019 में सीटिंग सीएम रघुवर दास को उनकी परंपरागत सीट पर हराने वाले सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से जदयू प्रत्याशी बन चुके हैं.
कोल्हान किसके पक्ष में दिखाएगा कमाल
पहले फेज में कोल्हान की 14 में से 08 सीटों यानी जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, पोटका, सरायकेला, जुगसलाई, ईचागढ़, जगन्नाथपुर और मनोहरपुर को लेकर एनडीए कांफिडेंट है. इसकी वजह भी है. क्योंकि पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास खुद जमशेदपुर पूर्वी सीट से मैदान में हैं. हालांकि कांग्रेस के डॉ अजय कुमार के सामने होने से चुनौती कम नहीं है. जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर सरयू राय और कांग्रेस के सीटिंग विधायक सह मंत्री बन्ना गुप्ता की खींचतान और एंटी इंकंबेंसी असर डालती दिख रही है.
पोटका में बीजेपी को भितरघाट का डर
पोटका में पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा के लिए चुनौती जरुर हैं. यहां उनके साथ भीतरघात होने का अंदेशा है. क्योंकि भाजपा की ओर से मेनका सरदार और राजीव सरदार टिकट की रेस में थे. लेकिन अचानक मीरा मुंडा ने दोनों का खेल बिगाड़ दिया. पोटका में सरदार टाइटल लिखने वाले लोग भूमिज आदिवासी की श्रेणी में आते हैं. दोनों के मीरा मुंडा का साथ चुनाव प्रचार करने के बावजूद भीतरघात का अंदेशा जताया जा रहा है.