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जानें कौन हैं जया बडिगा, हैदराबाद में हुई पढ़ाई, अमेरिका में बनीं जज - JAYA BADIGA

Jaya Badiga: विजयवाड़ा में पैदा हुईं जया बडिगा को कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो सुपीरियर कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है.

Jaya Badiga
जया बडिगा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 22, 2024, 4:36 PM IST

Updated : May 22, 2024, 4:42 PM IST

हैदराबाद:तेलंगाना की जया बडिगा को कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो सुपीरियर कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है. वह इस पद पर निर्वाचित होने वाली पहली तेलुगु महिला हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई हैदराबाद से की और यहां तक पहुंची. हालांकि, यहां तक का उनका सफर आसान नहीं रहा. उन्होंने 'ईटीवी भारत' से अपने जीवन यात्रा को लेकर बात की.

जया ने कहा, 'मेरा जन्म विजयवाड़ा में हुआ, लेकिन पालन-पोषण हैदराबाद में हुआ. मेरे पिता रामकृष्ण एक उद्योगपति और पूर्व सांसद थे. मेरी मां प्रेम लता एक हाउस वाइफ हैं. मैंने सिकंदराबाद के सेंट ऐन स्कूल में पढ़ाई की थी. मिशनरी स्कूल होने के कारण हमने वहां समाज सेवा की. मैंने अपने पिता से भी बहुत कुछ सीखा. मुझे बचपन से ही समाज के बारे में सोचने की आदत है. मां चाहती थीं कि मैं कानून की पढ़ाई करूं, लेकिन पिताजी मुझे बाहर भेजना नहीं चाहते थे. इसलिए मैंने उस्मानिया से राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई की.'

संयोगवश से की वकालत
उन्होंने कहा, 'मैं इस पेशे में संयोगवश आई हूं. बोस्टन विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल रिलेशंस और कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने कुछ साल तक 'WEVE' नामक एक चैरिटी संगठन में काम किया. वहां महिलाओं की समस्याओं को गहराई से समझा. खासकर अपने देश की महिलाओं को जिनको अदालतों और कानूनों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती. इसके अलावा स्थानीय महिलाओं को और भी कई समस्याएं हैं. जैसे बच्चों पर यौन हमले वगैरा. यह सब देखने के बाद मैंने सोचा, ' क्यों न मैं कानून की पढ़ाई करूं?' इसलिए मैंने सांता क्लारा यूनिवर्सिटी में कानून की डिग्री के लिए एडमीशन लिया.

उन्होंने बताया, 'मेरे पति प्रवीण उस समय इंटेल में हार्डवेयर इंजीनियर थे. वकालत करते समय मैंने एक बच्चे का जन्म दिया. मुझे उसके साथ कैलिफोर्निया बार परीक्षा की तैयारी करने में कठिनाई हुई. इसलिए मैंने उसे भारत में अपनी मां के पास छोड़ दिया और परीक्षा दी.' परीक्षा के तुरंत बाद मैं बच्चे को ले आई .नतीजे वाले दिन मैं बच्चे को गोद में लेकर बैठी, लैपटॉप खोला और 'भगवान, भगवान, भगवान' सोचने लगी. जब मैंने बार काउंसिल के रजिस्टर में अपना नाम देखा तो मुझे सुकून मिला. मैंने 2018 से 2022 तक प्रैक्टिस की और फिर कैलिफोर्निया के हेल्थकेयर सर्विस और फिर गवर्नर के इमरजेंसी सर्विस ऑफिस में एक वकील के रूप में काम किया. 2022 से मैं सुपीरियर कोर्ट कमिश्नर के तौर पर काम कर रही हू.

पेशेवर जीवन में चुनौतियां
जया ने कहा, 'हर जगह की तरह यहां भी लिंग भेदभाव जैसे कई चुनौतियां हैं, जब मैंने एक वकील के रूप शुरुआत की तो अमेरिकी लहजा न होने के कारण मुझे चिढ़ाया जाता था. इसके बावजूद...मैंने अदालत में खुद को साबित किया. उन्होंने कहा कि आम लोग अदालती खर्च वहन नहीं कर सकते. इसके अलावा, तलाक के मामलों में बच्चों को कुचला जाता है. इसलिए मैं जितना हो सके फैमिली काउंसलिंग करती थी. मैं इस तरग के लोगों के लिए न्याय चाहती हूं.

बच्चों के पालन-पोषण के दौरान मुश्किलें
उन्होंने कहा कि काम करना और बच्चों की देखभाल करना एक बड़ा काम है. शुरुआत में मेरी मां और दादी ने सपोर्ट किया. अब बच्चे बड़े हो गए हैं, वे इसे स्वयं कर सकते हैं. लेकिन हमारे यहां के लोगों को बाल कानूनों के बारे में जानकारी नहीं है और उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस दौरान उन्होंने एक घटना का जिक्र किया कि एक परिवार में लोग जश्न मना रहे थे. वे देर रात चाय पी रहे थे. तभी चाय गलती से बगल में मौजूद बच्चे के हाथ पर गिर गई. एक दिन बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. वहां स्टाफ ने पूछा, 'बच्चे रात तक सोए क्यों नहीं, चूल्हे के पास क्यों आए?' बड़ी बहस हुई और मुकदमा दर्ज हो गया.

आप हमारी संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं?
जया ने कहा कि हम जहां भी हों, हमें अपनी जड़ें नहीं भूलनी चाहिए. इसीलिए त्योहार मनाने के साथ-साथ वरलक्ष्मी व्रत भी किया जाता है. एक बार मैं एक अनुष्ठान में व्यस्त थी और मुकदमे में शामिल होना भूल गई. जैसे ही फोन आया, मैं तुरंत जाकर सुनवाई में शामिल हुई. एक मां के तौर पर मैं अपने बच्चों को अपने रीति-रिवाज सिखाती हूं और उनकी सभी जरूरतों का ख्याल भी रखती हूं.

जज के चयन की प्रक्रिया क्या है?
'बहुत कठिन! मैंने 2021 में आवेदन किया था, अब परिणाम आ हैं. आवेदन पूरा करने में ही दो से तीन माह का समय लग जाता है. यह भी देखा जाता है कि एक वकील के रूप में आपने किस प्रकार के मामले निपटाए हैं? हमसे 75 लोगों के बारे में पूछा जाता है. इसके बाद उन सभी डिटेल की जांच की जाती है और न्यायिक समिति को भेजा जाता है, जो नामांकन करेगी. बाद में दूसरी टीम जांच करेगी. हमारे बताए गए 75 लोगों के अलावा कुल 250 लोगों से पूछताछ की जाएगी. उसके बाद इंटरव्यू अगर उनमें से कोई भी कुछ नकारात्मक कहता है... तो वे इंटरव्यू में इसके बारे में पूछेंगे. उन्हें आश्वस्त करके राज्यपाल के पास भेजा जाता है कि अगर कोई पद खाली है तो एक और इंटरव्यू होता है.

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Last Updated : May 22, 2024, 4:42 PM IST

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