जबलपुर।प्रधानमंत्री हाई लेवल एमएसपी कमेटी के सदस्य प्रमोद कुमार चौधरी ने दावा किया है कि चुनाव के पहले कुछ ऐसी घोषणाएं होंगी जिससे खेती को लाभकारी बनाने का वादा पूरा होगा. प्रमोद कुमार चौधरी का कहना है कि फसलों की लागत और लाभकारी मूल्य को लेकर मिनिमम सपोर्ट प्राइस को लेकर कमेटी की रिपोर्ट लगभग तैयार है. मिनिमम सपोर्ट प्राइस के साथ ही कुछ ऐसे दूसरे तरीके भी हैं जिनसे कृषि को लाभकारी धंधा बनाया जाएगा.
MSP तय करने का तरीका
केंद्र सरकार का एक आयोग है जिसे कृषि लागत मूल्य आयोग सीएसीपी के नाम से जाना जाता है. इस आयोग में कृषि के कई विशेषज्ञ और कुछ आईएएस अधिकारी शामिल होते हैं और यही संस्था मिनिमम सपोर्ट प्राइस जिसे हम एमएसपी के नाम से जानते हैं वह तय करती है. कृषि लागत और मूल्य आयोग अपने आकलन में कृषि से जुड़ी लागत को कुछ इस तरह शामिल करता है, जिसमें बीज की लागत खाद की लागत, कृषि में काम करने वाले मजदूर की लागत के अलावा कुछ छोटे खर्चों को जोड़कर मिनिमम सपोर्ट प्राइस तय की जाती है.
कांग्रेस सरकारों के बने हैं नियम
एमएसपी कमेटी के सदस्य प्रमोद कुमार चौधरी का कहना है कि यह संस्था 1985 से काम कर रही है और लंबे समय तक इसके नियम कांग्रेस सरकारों के दौरान बनाए गए. इस संस्था के कृषि उत्पादन और कृषि लागत के मूल्यांकन के तरीके में कई गड़बड़ियां हैं. पहली गड़बड़ी में इसमें किसान के परिवार की मेहनत को लगभग शून्य माना गया है और उसे खेतिहर मजदूर के रूप में मात्र 40 दिनों के वेतन को ही जोड़कर मिनिमम सपोर्ट प्राइस में जोड़ा जाता है जो पूरी तरह से गलत है.
इसमें दूसरी गड़बड़ी किसान की जमीन की लागत को शून्य माना गया है वर्तमान में मिनिमम सपोर्ट प्राइस की लागत में कृषि जमीन का ना तो किराया जोड़ा गया है और ना ही कृषि जमीन की कीमत के ब्याज को इसमें शामिल किया गया है. प्रमोद कुमार चौधरी का कहना है कि उन्होंने इन दोनों ही बातों पर आपत्ति जाहिर की है और इन्हें मिनिमम सपोर्ट प्राइस में जोड़ने की मांग रखी है.
कांग्रेस ने कभी लागू नहीं की एमएसपी
प्रमोद कुमार चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ही मिनिमम सपोर्ट प्राइस देने की बात कर रही है, यदि यह संभव होता तो कांग्रेस अपने कार्यकाल में इसे दे चुकी होती. उनके पास किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस देने के खूब मौके थे लेकिन कांग्रेस भी यह जानती है कि यह समस्या का समाधान नहीं है, इसलिए कांग्रेस सरकार ने इसे लागू नहीं किया.
'रिपोर्ट की जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते'
प्रमोद कुमार चौधरी का कहना है कि वे पीएम हाई लेवल कमेटी के सदस्य हैं. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि यह रिपोर्ट सीधे प्रधानमंत्री को सौंपी जाएगी और प्रधानमंत्री और सरकार ही यह तय करेगी कि फसलों की मिनिमम सपोर्ट प्राइस कितनी होनी चाहिए.