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मध्य प्रदेश में संस्कारों की पाठशाला, पढ़ाई के साथ सीख रहे गुड मैनर्स, स्कूल का अनोखा प्रयोग - JABALPUR CM RISE SCHOOL STORY

मध्य प्रदेश के जबलपुर सीएम राइज स्कूल में एक अनोखा प्रयोग किया जा रहा है.यहां छात्रों को 21 संस्कारों की शिक्षा दी जा रही है.

JABALPUR CM RISE SCHOOL STORY
जबलपुर स्कूल में पढ़ाई के साथ बच्चे सीख रहे गुड मैनर्स (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 15, 2025, 8:34 PM IST

जबलपुर(विश्वजीत सिंह राजपूत) :मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक सरकारी स्कूल में एक अनोखा प्रयोग चल रहा है. इस प्रयोग की वजह से न सिर्फ बच्चों का व्यवहार बदला है, बल्कि उनके जीवन में अनुशासन आया है. वह पढ़ाई के प्रति ज्यादा सजग हो गए हैं. उनका स्वास्थ्य सुधार हो रहा है और स्कूल का वातावरण भी सुधर रहा है. यह स्कूल एक पुरानी बस्ती के बाजू में है. स्कूल के प्रिंसिपल की माने तो यहां के बच्चों का व्यवहार बहुत ज्यादा खराब था, इसलिए स्कूल के प्राचार्य ने एक अनोखा प्रयोग किया और बच्चों को 21 संस्कारों की शिक्षा दी.

सीएम राइज स्कूल के संस्कार

जबलपुर के अधारताल का सीएम राइज स्कूल सामान्य सरकारी स्कूलों की ही तरह एक सरकारी स्कूल है, लेकिन यहां के छात्र-छात्राएं सुबह सूर्योदय के पहले उठते हैं. माता-पिता के पैर पड़ते हैं. आपस में झूठ नहीं बोलते, चुगली नहीं करते. सुबह गर्म पानी पीते हैं. अपने ज्यादातर काम खुद करते हैं. अपना बिस्तर खुद उठाते हैं. थाली में झूठा खाना नहीं छोड़ते. ऐसे लगभग 21 काम इस स्कूल के सैकड़ों बच्चे करते हैं. यदि नहीं करते तो भी वह इनका हिसाब रखते हैं कि उन्होंने इन 21 कामों को किया या नहीं किया.

मध्य प्रदेश में संस्कारों की पाठशाला (ETV Bharat)

बच्चों में थी नैतिक शिक्षा की कमी

अधारताल के सीएम राईज स्कूल के प्राचार्य प्रकाश पालीवाल बताते हैं कि "वे जब स्कूल में आए तो उन्होंने देखा कि यहां के छात्र-छात्राएं बेहद उद्दंड हैं. शिक्षकों की बात नहीं मानते हैं. इन छात्र-छात्राओं में अनुशासन नहीं है. प्राचार्य प्रकाश पालीवाल ने पाया कि आसपास के इलाकों में घनी बस्तियां हैं. जहां का वातावरण ठीक नहीं है और ज्यादातर इन्हीं बस्तियों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं. इसलिए इनमें नैतिक शिक्षा की भारी कमी है और इनका घर का टाइम टेबल भी सही नहीं है.

जबलपुर का सीएम राइज स्कूल (ETV Bharat)

इन सभी को शिक्षा के अलावा कैसे ठीक किया जाए, इसको लेकर प्राचार्य प्रकाश पालीवाल ने मंथन किया और उन्होंने एक फार्म बनाया. इस फॉर्म में एक तरफ 21 संस्कार लिखे हुए हैं और दूसरी तरफ एक महीने के कॉलम हैं. हर बच्चे को यह फॉर्मेट बांट दिया गया और सभी से कहा गया की इस फॉर्मेट में लिखी हुई बातों को भी अपने जीवन में अपनाएं. इन बातों का कितना पालन वे कर रहे हैं. इसको रोज सामने दिए हुए खंड में भरें, यदि नहीं कर रहे, तब भी उसे फार्म में जरूर भरें."

स्कूल में बच्चे सीख रहे संस्कार (ETV Bharat)

सूर्योदय से पहले उठते हैं बच्चे

प्रकाश पालीवाल ने बताया कि "जब इस प्रयोग को शुरू किया गया, इसके बाद जब स्कूल में पैरेंट टीचर मीट रखी गई, तो छात्र-छात्राओं के परिवार के लोगों ने बताया कि वे आश्चर्यचकित हैं कि उनके बच्चे उनके पैर पड़ रहे हैं. धरती माता के पैर पड़ते हैं. बच्चों का व्यवहार बदल रहा है. वे पढ़ाई के प्रति भी ज्यादा सचेत हो गए हैं, जल्दी सो जाते हैं जल्दी उठते हैं.

21 संस्कारों की दी जाती है शिक्षा (ETV Bharat)

21 संस्कारों का फॉर्मेट

इसी स्कूल के दसवीं क्लास के छात्र अभय जायसवाल ने बताया कि "इस फॉर्मेट के आने के बाद उसका व्यवहार और दिनचर्या पूरी तरह बदल गई है. वह कोशिश करता है कि 21 के 21 संस्कारों को पूरी तरह पालन करें और यदि नहीं कर पाता है, तो वह फॉर्मेट में लिखना है. इसी तरह अंशिका ने हमें बताया कि वह सुबह जल्दी नहीं उठ पाती. इसलिए उसने कॉलम में स्पष्ट लिखा है कि वह सुबह जल्दी नहीं उठ पा रही है, लेकिन वह कोशिश कर रही है कि वह जल्दी उठ सके, लेकिन बाकी नियम पालन करती है. इसलिए उसने बाकी नियमों में सही टिक किया है."

प्राचार्य प्रकाश पालीवाल ने इस बात की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को भी दी है. इस फॉर्मेट को बच्चे खुद भर रहे हैं. वह खुद का आकलन खुद कर रहे हैं. किसी सरकारी स्कूल में ऐसा प्रयोग, इसके पहले नहीं हुआ. यदि इसके परिणाम अच्छे रहते हैं, तो इसे दूसरे सरकारी स्कूलों में भी लागू करना चाहिए. इससे सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का जीवन और बेहतर हो सकेगा. वह ज्यादा अनुशासित और ज्यादा सफल हो सकेंगे.

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