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टाइगरों के लिए क्यों खाली कराए जा रहे एमपी के ये गांव, जानिए कारण - SEONI ​​PENCH PARK EXPANDED

पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों के रहने के लिए जंगल छोटा पड़ने लगा है. गांवों को शिफ्ट करके जंगल का दायरा बढ़ाया जा रहा है.

SEONI ​​PENCH PARK EXPANDED
टाइगरों के लिए क्यों खाली कराए जा रहे एमपी के ये गांव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 18, 2025, 8:20 PM IST

छिंदवाड़ा (महेंद्र राय): मध्य प्रदेश देश में टाइगर स्टेट के नाम से भी पहचान रखता है. साल 2022 में हुई गणना के बाद पता चला कि एमपी में 785 बाघ मौजूद हैं. हालांकि बाघों की बढ़ती संख्या के साथ उनके रहने के लिए जगह भी कम पड़ने लगी है. ये बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में मौजूद पेंच टाइगर रिजर्व में बढ़ती बाघों की संख्या के चलते उनके लिए जंगल छोटा पड़ने लगा है. जिसके चलते बफर जोन का एरिया बढ़ाया जा रहा है. कई गांवों को अभ्यारण्य बनाकर बाघों और जंगली जानवरों के लिए इलाके में बढ़ोतरी करने की तैयारी की जा रही है.

ग्रामीणों ने गांव खाली करने की दी सहमति

पेंच नेशनल पार्क के बफर जोन से लगे वन ग्राम करमाझिरी गांव में 450 एकड़ जमीन है. जहां की आबादी करीब 1000 लोगों की है. पेंच नेशनल पार्क में जानवरों की संख्या अधिक होने की वजह से जानवर गांव में कई बार घुस आते हैं. ग्रामीणों ने सामुहिक चौपाल लगाकर निर्णय लिया है कि जंगल में जानवरों के लिए जगह कम पड़ रही है, इसलिए क्यों ना अपना गांव खाली करके किसी दूसरी जगह बसा लिया जाए, ताकि जंगली जानवरों को रहने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. इसकी सूचना उन्होंने बकायदा वन विभाग सहित सरकार को भी दी है.

PENCH TIGER RESERVE BUFFER ZONE
पेंच पार्क में बाघों के लिए कम पड़ रही जगह (ETV Bharat)

कई गांवों को शिफ्ट कर बढ़ाया जाएगा एरिया

सूत्रों की माने तो पेंच नेशनल पार्क में बाघों की संख्या करीब 140 के पार पहुंच चुकी है. ऐसे में अब बाघों के लिए अपना एरिया छोटा पड़ने लगा है. जिसके चलते कई बार बाघ जंगल का एरिया छोड़कर गांव में घुस आते हैं, जो उनके लिए खतरा भी बन जाता है. हाल ही में कुछ दिनों पहले एक बाघ करंट की चपेट में आकर मारा गया था, तो वहीं दूसरी बाघिन शिकार के पीछे दौड़ते हुए हरदुली गांव के कुएं में गिर गई थी. हालांकि उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था.

​​Pench Park Buffer zone increase
पेंच टाइगर रिजर्व (ETV Bharat)

पिछले हफ्ते ही हरदुआ में एक किसान के गन्ने के खेत में तेंदुए ने भी एक शावक को जन्म दिया था. पेंच नेशनल पार्क के बफर जोन से लगे कई गांव में जंगल होने की वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार के भी संकट सामने आ रहे हैं. ऐसे में इन गांवों को यहां से शिफ्ट कर दूसरी जगह बसाने का वन विभाग प्लान कर रहा है. ताकि जंगल का भी रकबा बढ़ सके और ग्रामीणों को भी बेहतर रोजगार के साथ-साथ अच्छा माहौल मिल सके.

Space Shortage For tigers in MP
जानवरों को जंगल पड़ रहा छोटा (ETV Bharat)

माहौल अच्छा होने की वजह से बढ़ रहा है कुनबा

साल 2022 में बाघों की गणना में मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व में 123 बाघ की सूचना दी गई थी. हालांकि इस बार भी बाघ की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए. जिस तरह से बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. उसमें लगभग 140 बाघ यहां पर शावक सहित हैं. पेंच नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि "नेशनल पार्क का माहौल बाघों के लिए बेहतर साबित हो रहा है. इसके लिए लगातार कुनबा बढ़ा रहे हैं.

​​Pench Park Buffer zone increase
जंगल में घूमते हिरण की तस्वीर (ETV Bharat)

करमाझिरी गांव को शिफ्ट किया जा रहा है. जिससे एक और अभ्यारण्य घोषित किया गया है. इसके अलावा बाघों की लगातार बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए और भी गांवों को शिफ्ट करने पर विचार किया जाएगा."

यूरिन और घोस्ट ट्री मार्क बनाकर तय करते हैं टेरिटरी

वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉक्टर अंकित मेश्राम ने बताया कि "बाघ की एक निश्चित उम्र होने के बाद वह अपना इलाका खुद तय करता है. बाघ का इलाका बनाने का तरीका भी अलग होता है या तो वह यूरिन करके गोला बनाकर अपना इलाका निर्धारित करता है या फिर उसे जंगल में अगर घोस्ट ट्री या चमकने वाले पेड़ होते हैं, तो उनमें पंजों के निशान लगाकर इलाका निर्धारित कर लेता है. फिर उसके इलाके में दूसरा बाघ हस्तक्षेप नहीं कर पाता, लेकिन जब बाघों की संख्या ज्यादा हो जाती है, तो ऐसे में टेरिटरी को लेकर बाघों में आपसी झड़प होती है. जिससे कई बार बाघों की मौत भी हो जाती है."

छिंदवाड़ा (महेंद्र राय): मध्य प्रदेश देश में टाइगर स्टेट के नाम से भी पहचान रखता है. साल 2022 में हुई गणना के बाद पता चला कि एमपी में 785 बाघ मौजूद हैं. हालांकि बाघों की बढ़ती संख्या के साथ उनके रहने के लिए जगह भी कम पड़ने लगी है. ये बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में मौजूद पेंच टाइगर रिजर्व में बढ़ती बाघों की संख्या के चलते उनके लिए जंगल छोटा पड़ने लगा है. जिसके चलते बफर जोन का एरिया बढ़ाया जा रहा है. कई गांवों को अभ्यारण्य बनाकर बाघों और जंगली जानवरों के लिए इलाके में बढ़ोतरी करने की तैयारी की जा रही है.

ग्रामीणों ने गांव खाली करने की दी सहमति

पेंच नेशनल पार्क के बफर जोन से लगे वन ग्राम करमाझिरी गांव में 450 एकड़ जमीन है. जहां की आबादी करीब 1000 लोगों की है. पेंच नेशनल पार्क में जानवरों की संख्या अधिक होने की वजह से जानवर गांव में कई बार घुस आते हैं. ग्रामीणों ने सामुहिक चौपाल लगाकर निर्णय लिया है कि जंगल में जानवरों के लिए जगह कम पड़ रही है, इसलिए क्यों ना अपना गांव खाली करके किसी दूसरी जगह बसा लिया जाए, ताकि जंगली जानवरों को रहने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. इसकी सूचना उन्होंने बकायदा वन विभाग सहित सरकार को भी दी है.

PENCH TIGER RESERVE BUFFER ZONE
पेंच पार्क में बाघों के लिए कम पड़ रही जगह (ETV Bharat)

कई गांवों को शिफ्ट कर बढ़ाया जाएगा एरिया

सूत्रों की माने तो पेंच नेशनल पार्क में बाघों की संख्या करीब 140 के पार पहुंच चुकी है. ऐसे में अब बाघों के लिए अपना एरिया छोटा पड़ने लगा है. जिसके चलते कई बार बाघ जंगल का एरिया छोड़कर गांव में घुस आते हैं, जो उनके लिए खतरा भी बन जाता है. हाल ही में कुछ दिनों पहले एक बाघ करंट की चपेट में आकर मारा गया था, तो वहीं दूसरी बाघिन शिकार के पीछे दौड़ते हुए हरदुली गांव के कुएं में गिर गई थी. हालांकि उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था.

​​Pench Park Buffer zone increase
पेंच टाइगर रिजर्व (ETV Bharat)

पिछले हफ्ते ही हरदुआ में एक किसान के गन्ने के खेत में तेंदुए ने भी एक शावक को जन्म दिया था. पेंच नेशनल पार्क के बफर जोन से लगे कई गांव में जंगल होने की वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार के भी संकट सामने आ रहे हैं. ऐसे में इन गांवों को यहां से शिफ्ट कर दूसरी जगह बसाने का वन विभाग प्लान कर रहा है. ताकि जंगल का भी रकबा बढ़ सके और ग्रामीणों को भी बेहतर रोजगार के साथ-साथ अच्छा माहौल मिल सके.

Space Shortage For tigers in MP
जानवरों को जंगल पड़ रहा छोटा (ETV Bharat)

माहौल अच्छा होने की वजह से बढ़ रहा है कुनबा

साल 2022 में बाघों की गणना में मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व में 123 बाघ की सूचना दी गई थी. हालांकि इस बार भी बाघ की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए. जिस तरह से बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. उसमें लगभग 140 बाघ यहां पर शावक सहित हैं. पेंच नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि "नेशनल पार्क का माहौल बाघों के लिए बेहतर साबित हो रहा है. इसके लिए लगातार कुनबा बढ़ा रहे हैं.

​​Pench Park Buffer zone increase
जंगल में घूमते हिरण की तस्वीर (ETV Bharat)

करमाझिरी गांव को शिफ्ट किया जा रहा है. जिससे एक और अभ्यारण्य घोषित किया गया है. इसके अलावा बाघों की लगातार बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए और भी गांवों को शिफ्ट करने पर विचार किया जाएगा."

यूरिन और घोस्ट ट्री मार्क बनाकर तय करते हैं टेरिटरी

वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉक्टर अंकित मेश्राम ने बताया कि "बाघ की एक निश्चित उम्र होने के बाद वह अपना इलाका खुद तय करता है. बाघ का इलाका बनाने का तरीका भी अलग होता है या तो वह यूरिन करके गोला बनाकर अपना इलाका निर्धारित करता है या फिर उसे जंगल में अगर घोस्ट ट्री या चमकने वाले पेड़ होते हैं, तो उनमें पंजों के निशान लगाकर इलाका निर्धारित कर लेता है. फिर उसके इलाके में दूसरा बाघ हस्तक्षेप नहीं कर पाता, लेकिन जब बाघों की संख्या ज्यादा हो जाती है, तो ऐसे में टेरिटरी को लेकर बाघों में आपसी झड़प होती है. जिससे कई बार बाघों की मौत भी हो जाती है."

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