जबलपुर: राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में पेश की गयी स्टेट्स रिपोर्ट में बताया गया कि यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के जहरीले कचरे का विनष्टीकरण का 3 चरणों में ट्रायल किया जाएगा. ट्रायल के दौरान पर्यावरण में होने वाले प्रभाव के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को रिपोर्ट पेश की जाएगी. केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा निर्णय लिया जाएगा कि जहरीले कचरे को कितनी मात्रा व कितने अंतराल में नष्ट किया जाए. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने ट्रायल की अनुमत्ति देते हुए अगली सुनवाई के दौरान रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए.
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान लिया
गौरतलब है कि आलोक प्रभाव सिंह द्वारा साल 2004 में दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि भोपाल गैस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड कंपनी से हुए जहरीले गैस रिसाव में लगभग 4 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में करीब 350 मीट्रिक टन जहरीले कचरा पड़ा है. याचिका में जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण की मांग की गयी थी. याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद हाईकोर्ट मामले की सुनवाई स्वतः संज्ञान लेकर कर रहा है. हाईकोर्ट ने 6 दिसम्बर को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था "20 वर्ष गुजर जाने के बावजूद भी प्रतिवादी अभी तक पहले चरण में है. साइट से जहरीला कचरा हटाये जाने के लिए सरकार संबंधित अधिकारियों तथा प्रतिवादियों को संयुक्त बैठक कर एक सप्ताह में सभी औपचारिकताएं पूर्ण करे."
पहले की सुनवाई में हाई कोर्ट ने ये निर्देश दिए थे
हाई कोर्ट ने कहा था "जहरीला कचरे को 4 सप्ताह में उठाकर विनिष्टीकरण स्थल तक पहुंचाया जाए. कोई विभाग आदेश का पालन करने में विफल रहता है तो संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव पर अवमानना की कार्रवाई की जाए." पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गयी स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया "337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को विनिष्टीकरण के लिए पीथमपुर सुविधा केंद्र में पहुंचा दिया गया है. मीडिया द्वारा भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है कि जहरीले कचरे को अनलोड तथा उसका विनष्टीकरण किये जाने से औद्योगिक आपदा घटित होगी. इससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है और वह विरोध प्रदर्शन कर रहें है. लोगों को विश्वास में लेने के लिए सरकार की तरफ से आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गए. लोगों को विश्वास में लेकर जहरीले कचरे का विनिष्टीकरण किया जाएगा."
जहरीला कचरा जलाने के विरोध में याचिका
इस मामले में एल्युमिनी एसोसिएशन महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल इंदौर की तरफ से जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की गयी थी. विभिन्न समाजसेवी संगठनों ने इंटर विनर आवेदन भी पेश की गई थी. याचिका में कहा गया था "जहरीले कचरे को जलाने का टेस्ट साल 2015 में किया गया था. 8 साल पूर्व हुए टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर जहरीली कचरे का विनिष्टीकरण किया जा रहा है. पीथमपुर स्थित केंद्र में पहुंचे कचरे का टेस्ट नहीं करवाया गया. जनविरोध को देखते हुए कचरे का टेस्ट कराया जाना चाहिए."
लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार
इसके बाद युगलपीठ ने इंटर विनर द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर सरकार को विचार करने के निर्देश देते हुए अपने आदेश में कहा था "मीडिया भ्रामक नहीं बल्कि तथ्यात्मक खबरें प्रकाशित करे." कचरे के विनिष्टिकरण के संबंध में लोगो को जागरूक करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार करने के निर्देश सरकार को जारी किये गए. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने युगलपीठ को बताया "नुक्कड सभा, नाटक सहित अन्य माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूक किया गया है."
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मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को
राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया "पीथमपुर सुविधा केन्द्र में जहरीले कचरे का विनिष्टिकरण करने के लिए 3 चरण में ट्रायल किया जाएगा. पहले चरण में 135 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया जाएगा. दूसरे चरण में 180 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया जाएगा. तीसरे चरण में 270 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया जाएगा. 3 चरणें में 10-10 मीट्रिक टन कचरा जलाया जाएगा. ट्रायल के तौर पर कचरे को 27 फरवरी, 4 मार्च तथा 10 मार्च को जलाया जाएगा." इस मामले की अब अगली सुनवाई 27 मार्च को निर्धारित की गई. याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, खालिद फखरुद्दीन, अभिनव धानोरकर तथा सरकार की तरफ से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पैरवी की.