श्रीहरिकोटा: इसरो ने एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी की SSLV की तीसरी विकासात्मक उड़ान सफल रही. SSLV-D3 ने EOS-08 को कक्षा में सटीक रूप से स्थापित किया. एक्स पर पोस्ट कर इसरो ने कहा कि यह ISRO/DOS की SSLV विकास परियोजना के सफल समापन का प्रतीक है.
इससे पहले इसरो ने कहा था कि लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान-03 की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान पर पृथ्वी अवलोकन उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुक्रवार को शुरू हो गई है. SSLV-D3-EOS-08 मिशन, फरवरी 2023 में लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV-D2-EOS-07) की दूसरी परीक्षण उड़ान के दूसरे सफल प्रक्षेपण के बाद शुरू किया गया है. जनवरी में PSLV-C58/XpoSat और फरवरी में GSLV-F14/INSAT-3DS मिशनों के सफल प्रक्षेपण के बाद, आज का मिशन बेंगलुरु मुख्यालय वाली अंतरिक्ष एजेंसी के लिए 2024 में तीसरा मिशन है.
शुक्रवार को एक अपडेट में, इसरो ने कहा कि एसएसएलवी-डी3-ईओएस-08 मिशन - प्रक्षेपण से पहले साढ़े छह घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात को 2:47 बजे पर शुरू हुई. सबसे छोटा एसएसएलवी रॉकेट, जिसकी ऊंचाई लगभग 34 मीटर है, को 15 अगस्त को सुबह 9.17 बजे लॉन्च करने की योजना बनाई गई थी. बाद में इसे 16 अगस्त को सुबह 9.19 बजे यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से लॉन्च करने की योजना बनाई गई थी.
इसरो ने कहा कि एसएसएलवी-डी3-ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रोसैटेलाइट को डिजाइन करना और विकसित करना, माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ संगत पेलोड उपकरण बनाना और भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है. आज के मिशन के साथ, इसरो ने सबसे छोटे रॉकेट की विकासात्मक उड़ान पूरी कर ली है जो 500 किलोग्राम तक के वजन वाले उपग्रहों को ले जा सकता है. उन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा (पृथ्वी से 500 किमी ऊपर) में स्थापित कर सकता है.