जेरूसलम: दमिश्क में ईरान के दूतावास में एक वरिष्ठ अधिकारी की पिछले सप्ताह हुई हत्या के लिए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी मिलने के बाद इजरायल ने शुक्रवार को ईरान या उसके प्रतिनिधियों की ओर से हमले के लिए कमर कस ली. भारत, फ्रांस, पोलैंड और रूस सहित देशों ने अपने नागरिकों को इस क्षेत्र की यात्रा के खिलाफ चेतावनी दी है. बता दें कि इजरायल पहले से ही गाजा में युद्ध के सातवें महीने में है. व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि ईरान से खतरा वास्तविक और व्यावहारिक है.
इजरायली सेना ने कहा कि उसने नागरिकों को नए निर्देश जारी नहीं किए हैं, लेकिन लोगों से सतर्क रहने को कहा है. मुख्य सैन्य प्रवक्ता डैनियल हगारी ने शुक्रवार को एक टेलीविजन बयान में कहा कि पिछले दिनों, सेना ने ईरानी हमले पर रिपोर्टों और बयानों के बाद स्थितिजन्य मूल्यांकन किया है और कई परिदृश्यों के लिए योजनाओं को मंजूरी दी है.
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने उन रिपोर्टों पर कोई टिप्पणी नहीं की कि कुछ इजरायली राजनयिक मिशनों को आंशिक रूप से खाली कर दिया गया है और सुरक्षा बढ़ा दी गई है. इजरायल के सबसे बड़े दैनिक समाचार पत्र येडिओथ अह्रोनोथ ने लिखा कि बदला लिया जाएगा. फिलहाल, आधार यह है कि यह बहुत जल्द, अगले कुछ दिनों में होगा.
इजरायल ने 1 अप्रैल को हवाई हमले की जिम्मेदारी का दावा नहीं किया, जिसमें ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जाहेदी, विदेशी कुद्स फोर्स के एक वरिष्ठ कमांडर और छह अन्य अधिकारी मारे गए. हमले के दौरान ये लोग दमिश्क दूतावास परिसर में एक बैठक में भाग ले रहे थे.
लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता, अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि इजरायल को उस ऑपरेशन के लिए 'दंडित किया जाना चाहिए और दिया जाएगा'. उन्होंने कहा कि यह ईरानी धरती पर हमले के बराबर था. इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन संस्थान के वरिष्ठ शोधकर्ता रज जिमट ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ईरान के लिए जवाबी कार्रवाई न करना बहुत मुश्किल होने वाला है. उन्होंने कहा कि मैं अब भी मानता हूं कि ईरान इजरायल और अमेरिका के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर, सीधे सैन्य टकराव में शामिल नहीं होना चाहता है, लेकिन उसे कुछ करना होगा.