चेन्नई: भारत के महत्वाकांक्षी डीप ओशन मिशन ने हिंद महासागर की सतह से 4,500 मीटर नीचे एक एक्टिव हाइड्रोथर्मल वेंट की खोज की है. यह खोज राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के वैज्ञानिकों ने भारतीय समुद्र में एक महत्वपूर्ण खोज की है.
यह खोज एक मानवरहित अंडरवाटर व्हीकल (UUV) की तैनाती के माध्यम से की गई है, जो गहरे समुद्र में खनन और वैज्ञानिक अनुसंधान में भारत की महत्वाकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है.शोधकर्ताओं के अनुसार यह उपलब्धि वैज्ञानिकों के आत्मविश्वास को बढ़ाने और भविष्य में गहरे समुद्र में एक्सपलोरेशन के लिए महत्वपूर्ण है.
हाइड्रोथर्मल वेंट पानी के नीचे गर्म झरने
हाइड्रोथर्मल वेंट पानी के नीचे गर्म झरने हैं, जो तीव्र ज्वालामुखी गतिविधि वाले क्षेत्रों में बनते हैं. आमतौर पर यह मध्य-महासागर की लकीरों के साथ बनते हैं, जहां टेक्टोनिक प्लेटें अलग हो रही होती हैं. समुद्री जल समुद्र तल की दरारों में रिसता है, जहां यह अंतर्निहित मैग्मा से गर्म होता है.यह गर्म पानी घुले हुए खनिजों से भरा हुआ होता और यह समुद्र तल से फट जाता है, जिससे ऊंची-ऊंची चिमनियां बनती हैं .
खनिजों का खजाना
ये वेंट न केवल भूवैज्ञानिक चमत्कार हैं, बल्कि यूनीक इको सिस्टम की मेजबानी भी करते हैं. उच्च तापमान और दबाव की चरम स्थितियों के बावजूद, इन वेंट के आसपास जीवन की एक विविध श्रृंखला पनपती है, जिसमें विशाल ट्यूब वॉर्म, क्लैम और अन्य केमो सिंथेटिक जीव शामिल हैं जो वेंट पर होने वाले कैमिकल रिएक्शन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं. इन वेंट के आसपास तांबा, जस्ता, सोना, चांदी और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसी मूल्यवान धातुओं की उच्च सांद्रता होती है, जो उन्हें भविष्य के गहरे समुद्र में खनन कार्यों के लिए संभावित लक्ष्य बनाती है.