भागलपुर: बिहार के भागलपुर की एनजीओ यंग माइंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस वर्ष नासा के द्वारा होने वाले ह्यूमन एक्सप्लोरेंस रोवर चैलेंज में हिस्सा लेगी. इसके एनजीओ के फाउंडर भागलपुर के ध्रुवगंज के रहने वाले युवा वैज्ञानिक गोपाल जी हैं. इनके नेतृत्व में नासा के 30वें स्थापना दिवस पर होने वाले कार्यक्रम में भारत से हाई स्कूल लेवल की 13 बच्चों की टीम शिरकत करेगी. जिसमें 3 बच्चे बिहार के हैं.
टीम में 13 भारतीय बच्चे शामिलः ईटीवी भारत से बात करते हुए जिले के युवा वैज्ञानिक गोपाल जी ने बताया कि नासा के द्वारा हर साल अगस्त महीने में इनोवेटिव आइडिया मांगे जाते हैं, जिसमें रजिस्ट्रेशन करना होता है. जिसमें हमारी एनजीओ द्वारा चंद्रमा पर उतरने वाले मानव रहित रोवर का आईडिया भेजा गया था. जिसका चयन किया गया है. उन्होंने बताया कि वर्ल्ड ह्युमन एक्सप्लोरेंस रोवर चैलेंज के लिए विश्व में 30 टीमों का चयन हुआ है. नासा में रोवर चैलेंज 19 से 20 अप्रैल तक आयोजित होगा. भारत से बच्चों की टीम 16 अप्रैल को रवाना होगी.
टीम में इन राज्यों के बच्चे हैं शामिलः नासा जाने वाली टीम में बिहार से कारूण्य उपमनु, तनिष्क उपमनु और सूर्य नारायण रजक शामिल हैं. उड़ीसा से आरुषि पैकरे, नई दिल्ली से आसना मिनोचा, कियान कनोडिया, राजस्थान की ऐश्वर्या महाजन, हरियाणा के अरुण कुमार, लोकेश कुमार और आर्य बंसल, उत्तर प्रदेश से ओम, पल्लवी, समीर यासीन, उत्कर्ष और रोहित पाल आंध्र प्रदेश से पठान अबू सुलेमान खान, यूएसए से सुनैना साहू शामिल है. इनके मेंटोर 24 वर्षीय गोपाल जी ने भी काफी कम उम्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
एक महीने में बना रोवर प्रोजेक्टःगोपाल जी ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में केले से बिजली उत्पन्न करने वाली मशीन बनाकर चर्चा बटोरी थी. दुनिया के 30 स्टार्टअप साइंटिस्ट में यंगेस्ट साइंटिस्ट गोपाल जी का नाम भी शामिल है. अभी वो केले के पल्प से सिंगल यूज प्लास्टिक, प्लेट, पेपर पर काम कर रहे हैं. युवा वैज्ञानिक गोपाल जी ने बताया कि मानव रहित रोवर प्रोजेक्ट को एक महीने की मेहनत से हमारी टीम के द्वारा बनाया गया है. नासा जाने के लिए उनलोगों को आमंत्रण पत्र भी प्राप्त हो चुका है.
प्रोजेक्ट पर 10 लाख रुपये के खर्चःउन्होंने बताया कि रोवर बनाने में चंद्रमा की सतह कैसी होती है, वहां पर हम किस तरह आसानी से चल सकते हैं. इसका ख्याल रखते हुए बनाया गया है. गोपाल जी ने बताया कि ये प्रोजेक्ट गुड़गांव में तैयार हुआ है, इस पर करीब 10 लाख रुपये के खर्च आए हैं. एमथ्रीएम फाउंडेशन द्वारा इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट किया जा रहा है. एमथ्रीएम फाउंडेशन विज्ञान नवाचार और प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षण को आगे बढ़ाने का काम करती है.