नई दिल्ली: विनाशकारी भूस्खलन के मद्देनजर भारत ने मंगलवार को राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए पपुआ न्यू गिनी (PNG) को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तत्काल राहत सहायता भेजी है. पापुआ न्यू गिनी के एंगा प्रांत में 24 मई को भारी भूस्खलन हुआ था.
भूसख्लन में सैकड़ों लोग दब गए और बड़ी तबाही हुई. हादसे में काफी ज्यादा जानमाल की हानि की खबर है. हादसे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरी संवेदना व्यक्त की और कठिनाई के समय में प्रशांत द्वीप देश को हर संभव समर्थन और सहायता देने के लिए भारत की तत्परता से अवगत कराया.
1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता भेजी
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (FIPIC) के तहत एक करीबी दोस्त और भागीदार के रूप में और पापुआ न्यू गिनी के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए भारत सरकार ने 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तत्काल राहत सहायता प्रदान की है.
मंत्रालय ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई कठिनाई और तबाही के समय, जैसे कि 2018 में भूकंप और 2019 और 2023 में ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान भी भारत दृढ़ता से पापुआ न्यू गिनी के साथ खड़ा रहा.
नवंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित भारत के इंडो-पैसिफिक ओशियन इनिशिएटिव पहल (IPOI) का एक महत्वपूर्ण स्तंभ डिजास्टर रिस्क रिडक्शन और मैनेजमेंट है. भारत मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
1975 में स्थापित हुए थे संबंध
उल्लेखनीय है कि भारत और पापुआ न्यू गिनी के बीच कई दशकों से मजबूत रिश्ते रहे हैं. 1975 में ऑस्ट्रेलिया से स्वतंत्रता हासिल करने के बाद दोनों देशों ने राजनयिक संबंध स्थापित किए और तब से लेकर अब तक यह रिश्ते लगातार विकसित और मजबूत होते रहे हैं.
भारत पीएनजी अधिकारियों और छात्रों को शिक्षित करने में सक्रिय रूप से शामिल रहा है. कई भारतीय पापुआ न्यू गिनी में रहते हैं, जो आईटी, शिक्षा, सरकार और व्यापार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देते हैं. जैसे-जैसे चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. वैसे-वैसे भारत की क्षेत्रीय भागीदारी और भी महत्वपूर्ण हो रही है.
भारत और पापुआ न्यू गिनी व्यापार, शिक्षा और रणनीतिक सहयोग सहित एक बहुआयामी संबंध बनाए हुए हैं. उनके संबंध लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में योगदान मिल रहा है.
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