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भारत ने होलोकॉस्ट स्मरण दिवस पर शोक व्यक्त किया, शांति के लिए प्रतिबद्धता दोहराई - India stand against terrorism

India mourns Holocaust victims : शांति के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, रंजन ने स्पष्ट रूप से कहा कि सभ्य समाज में आतंकवादी हमलों और लोगों को बंधक बना कर रखने जैसी घटनाओं की कोई जगह नहीं है. भारत ने लगातार बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है.

India mourns Holocaust victims
केंद्रीय राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय होलोकॉस्ट स्मरण दिवस को संबोधित किया. (तस्वीर: ANI)

By ANI

Published : Jan 31, 2024, 6:46 AM IST

नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय होलोकॉस्ट स्मरण दिवस पर केंद्रीय राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने एक मार्मिक संबोधन दिया. अपने भाषण में उन्होंने शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने आतंकवाद की निंदा की. दुनिया भर में सताए गए लोगों के साथ खड़े रहने की बात की. रंजन ने वर्तमान इजराइल-हमास संघर्ष से प्रभावित सभी पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए, 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल पर हुए भयानक आतंकवादी हमले पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि जैसा कि हम होलोकॉस्ट के पीड़ितों को याद कर रहे हैं हमें मौजूदा इजराइल-हमास संघर्ष में लोगों की पीड़ा को नहीं भूलना चाहिए. पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर भयानक आतंकवादी हमले के बाद से उनके दिये एक भयानक दौर की शुरुआत हो गई है. हमारे दिल में सभी पीड़ितों के लिए दयाभाव है.

केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि हमने कई मौकों पर स्पष्ट रूप से कहा है कि एक बहुलवादी और लोकतांत्रिक देश के रूप में, भारत की नींव वसुधैव कुटुंबकम के लोकाचार में निहित है. उन्होंने कहा कि हमारा यह विश्वास है कि 'दुनिया एक परिवार है'. उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुनिया भर में सताए गए लोगों के पूर्नवास में भारत की ऐतिहासिक भूमिका रही है.

उन्होंने कहा कि एक बहुलवादी और लोकतांत्रिक देश के रूप में, जो वसुदेवम कुटुंबकम के लोकाचार और गहन और कालातीत भारतीय दर्शन पर आधारित है, भारत ने सदियों से अपने तथ्यों या विश्वासों के लिए दुनिया भर में सताए गए लोगों का पक्ष लिया है. रंजन की टिप्पणियों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर समझ, सहिष्णुता और एकता को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित किया.

यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार, हर साल 27 जनवरी को, यूनेस्को नरसंहार के पीड़ितों की याद में श्रद्धांजलि अर्पित करता है और यहूदी विरोधी भावना, नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों का मुकाबला करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है. यह 27 जनवरी 1945 को सोवियत सैनिकों द्वारा ऑशविट्ज-बिरकेनौ के नाजी एकाग्रता और विनाश शिविर की मुक्ति की सालगिरह का प्रतीक है. नवंबर 2005 में, संयुक्त राष्ट्र साधारण सभा की ओर से नरसंहार के पीड़ितों की याद में इसे अंतर्राष्ट्रीय स्मरणोत्सव दिवस के रूप में घोषित किया गया था.

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