नई दिल्ली: इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ ईरान परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था ने एक रिपोर्ट में ये दावा किया था कि ईरान ने संवर्धित यूरेनियम के अपने स्टोर को परमाणु हथियार बनाने के स्तर के बेहद करीब तक बढ़ा लिया है.
ऐसे में दुनिया में एक बार फिर परमाणु बम और उसके इस्तेमाल को लेकर चर्चाएं हो रही हैं और इसके इस्तेमाल का खतरा बढ़ता जा रहा है. हाल ही सामने आई स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के नौ परमाणु-सशस्त्र राष्ट्रों ने 2023 में अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण किया और डिटरेन्स पर अपनी निर्भरता को और मजबूत किया.
रिपोर्ट के मुताबिक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के सामूहिक विनाश के हथियार कार्यक्रम के निदेशक विल्फ्रेड वान ने कहा, "हमने कोल्ड वॉर के बाद से परमाणु हथियारों को अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इतनी प्रमुख भूमिका निभाते नहीं देखा है."
परमाणु हथियारों पर खर्च में वृद्धि
परमाणु हथियारों को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान (ICAN) की एक अलग रिपोर्ट से पता चला है कि नौ परमाणु-सशस्त्र राज्यों ने 2023 में अपने शस्त्रागार पर कुल मिलाकर 91.4 बिलियन डॉलर खर्च किए. 2017 में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले जिनेवा स्थित निरस्त्रीकरण कार्यकर्ताओं के गठबंधन ने 2022 की तुलना में परमाणु हथियारों पर वैश्विक खर्च में 10.7 बिलियन डॉलर की वृद्धि दर्ज की.
परमाणु हथियारों में बढ़े निवेश का 80 प्रतिशत हिस्सा केवल संयुक्त राज्य अमेरिका का था, जिसने 51.5 बिलियन डॉलर खर्च किए, जो सभी अन्य परमाणु-सशस्त्र देशों के संयुक्त निवेश से अधिक है. चीन दूसरा सबसे बड़ा खर्च करने वाला देश था, जिसने 11.8 बिलियन डॉलर खर्च किए और रूस शीर्ष तीन में रहा, जिसने 8.3 बिलियन डॉलर खर्च किए.