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स्पेस सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई से कितना मिलेगा फायदा, समझें ? - direct investment in space sector

100 Percent FDI In Indian Space Sector : भारत में उपग्रह प्रणालियों के निर्माण में बिना सरकारी मंजूरी के 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति मिल गई है. इसके साथ ही लॉन्च वाहनों के लिए नियमों को आसान बनाया गया है. सरकार के मुताबिक इसका लक्ष्य वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में अधिक हिस्सेदारी हासिल करना है. आइए जानते हैं सरकार की इस नीति से स्पेस सेक्टर को कितना फायदा मिलेगा ?

100 Percent FDI In Indian Space Sector
प्रतिकात्मक तस्वीर. (AP)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 22, 2024, 2:09 PM IST

Updated : Feb 22, 2024, 2:16 PM IST

हैदराबाद: एफडीआई नीति में संशोधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से निर्धारित आत्मनिर्भर भारत विजन को साकार करने के लिए किया गया है. अब, अंतरिक्ष क्षेत्र को निर्धारित उप-क्षेत्रों/गतिविधियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए उदार बना दिया गया है. एफडीआई नीति में सुधार देश में कारोबार में सुगमता बढ़ाएगा, जिससे एफडीआई प्रवाह बढ़ेगा और इस प्रकार यह निवेश, आय और रोजगार में वृद्धि में योगदान देगा.

प्रतिकात्मक तस्वीर. (AP)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में संशोधन को मंजूरी प्रदान की है. अब, उपग्रह उप-क्षेत्र को ऐसे प्रत्येक क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए परिभाषित सीमाओं के साथ तीन अलग-अलग गतिविधियों में विभाजित किया गया है.

नई नीति में क्या है :अभी तक उपग्रहों की स्थापना और प्रचालन में केवल सरकारी अनुमोदन के मार्ग के जरिए ही एफडीआई की अनुमति है. नई नीति में विजन और रणनीति के अनुरूप, विभिन्न उप-क्षेत्रों/गतिविधियों के लिए उदारीकृत एफडीआई सीमाएं निर्धारित करके अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में एफडीआई नीति को आसान बनाया गया है.अंतरिक्ष विभाग ने इन-स्पेस, इसरो और एनएसआईएल जैसे आंतरिक हितधारकों के साथ-साथ कई औद्योगिक हितधारकों के साथ परामर्श के बाद यह फैसला लिया है.

प्रतिकात्मक तस्वीर. (AP)

क्या है नई नीति की खास बातें :संशोधित एफडीआई नीति के अंतर्गत अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है. इसके अंतर्गत विभिन्न माध्यमों से आने वाले उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य संभावित निवेशकों को अंतरिक्ष में भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है.

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संशोधित नीति के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों के लिए तीन इंट्री रूट इस प्रकार हैं:

  1. ऑटोमेटिक रूट से 74 प्रतिशत तक : उपग्रह-विनिर्माण और प्रचालन, सैटेलाइट डेटा उत्पाद और ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट 74 प्रतिशत के बाद ये गतिविधियां सरकारी मार्ग के अंतर्गत आती हैं.
  2. ऑटोमेटिक रूट से 49 प्रतिशत तक: प्रक्षेपण यान और संबंधित प्रणालियां या उपप्रणालियां, अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करने और रिसीव करने के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण. 49 प्रतिशत के बाद ये गतिविधियां सरकारी मार्ग के अंतर्गत आती हैं.
  3. ऑटोमेटिक रूट से 100 प्रतिशत तक: उपग्रहों, ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट के लिए घटकों और प्रणालियों/उप-प्रणालियों का विनिर्माण.

क्या है ऑटोमेटिक और सरकारी रूट में अंतर:आरबीआई के मुताबिक अभी लगभग सभी क्षेत्रों में विदेशी निवेश की खुली अनुमति है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) दो मार्गों के तहत किया जा सकता है- ऑटोमेटिक रूट यानी स्वचालित मार्ग और सरकारी मार्ग. ऑटोमैटिक रूट के तहत विदेशी निवेशक या भारतीय कंपनी को निवेश के लिए आरबीआई या भारत सरकार से किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होती है. सरकारी रूट के तहत भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की पूर्व मंजूरी आवश्यक है.

प्रतिकात्मक तस्वीर. (AP)

सरकार का उद्देश्य

  1. अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के सामर्थ्‍य का पता लगाना
  2. अंतरिक्ष क्षेत्र में एक व्यापक, समग्र और गतिशील ढांचा तैयार करना
  3. अंतरिक्ष क्षेत्र में सफल व्यावसायिक उपस्थिति विकसित करना
  4. अंतरिक्ष का उपयोग प्रौद्योगिकी विकास के ड्राइवर के रूप में
  5. संबद्ध क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करना
  6. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आगे बढ़ाना और सभी हितधारकों के बीच अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इकोसिस्‍टम तैयार

तात्कालिक फायदा

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  1. हाल के वर्षों में एनजीई ने उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों के क्षेत्र में क्षमताएं और विशेषज्ञता विकसित की है. निवेश बढ़ने से वे उत्पादों की विशेषज्ञता, प्रचालन के वैश्विक पैमाने और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बढ़ी हुई हिस्सेदारी हासिल करने में सक्षम होंगे.
  2. सरकार का मानना है कि उपग्रहों, प्रक्षेपण यानों और संबंधित प्रणालियों या उप प्रणालियों में एफडीआई के लिए स्पष्टता प्रदान करके, अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित और रिसीव करने के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण और अंतरिक्ष से संबंधित घटकों और प्रणालियों के निर्माण में मदद मिलेगी.
  3. निजी क्षेत्र की इस बढ़ी हुई सहभागिता से रोजगार सृजन, आधुनिक प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने और क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी.
  4. भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत किए जाने की संभावना बढ़ेगी.
  5. कंपनियां सरकार की 'मेक इन इंडिया (एमआईआई)' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को विधिवत प्रोत्साहित करते हुए देश के भीतर अपनी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में सक्षम होंगी.

बाजार पर क्या पड़ा असर : अंतरिक्ष से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में 7% तक का उछाल

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आज यानी गुरुवार सुबह के कारोबार में अंतरिक्ष से संबंधित स्टॉक 7% तक बढ़ गए. MTAR Technologies ने आज के इंट्राडे ट्रेड में 7.19% की वृद्धि देखी. इसी तरह, अपोलो माइक्रो सिस्टम्स, वालचंदनगर इंडस्ट्रीज, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज, डेटा पैटर्न्स (इंडिया), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स और जेन टेक्नोलॉजीज के स्टॉक वर्तमान में 1% से 4% तक की बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं. बता दें कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद ये स्टॉक लगातार बढ़ रहे हैं, जिसका मुख्य कारण मिशन से उनका संबंध है. इसके अतिरिक्त, अंतरिक्ष उद्योग के लिए अधिक धन आवंटित करने की सरकार की प्रतिबद्धता, लॉन्च सेवाओं में वृद्धि और उपग्रह इंटरनेट बाजार में वृद्धि ने भी इस क्षेत्र का समर्थन किया है.

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Last Updated : Feb 22, 2024, 2:16 PM IST

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