रायपुर:छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय कैबिनेट ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है. एसटी-एससी विकास प्राधिकरण और ओबीसी प्राधिकरण का पुनर्गठन करने का फैसला साय सरकार ने बैठक में लिया है. इसके साथ ही बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण और छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं पिछड़ी जाति विकास प्राधिकरण को पुनर्गठित किया जाएगा. मंत्रालय में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है.
पांच प्राधिकरों की कमान सीएम के जिम्मे: इसका उद्देश्य पांचों प्राधिकरणों के कार्य प्रणाली को प्रभावी और सशक्त बनाने के साथ ही उन क्षेत्रों में जनसुविधा के कामों को गति प्रदान करना है. इन पांचों प्राधिकरणों की कमान अब सीधे मुख्यमंत्री के जिम्मे होगी. स्थानीय विधायकों में से एक विधायक को इसका उपाध्यक्ष मनोनीत किया जाएगा. क्षेत्रीय विधायक इन प्राधिकरणों के सदस्य होंगे. मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव और सचिव इन पांचों प्राधिकरणों के सदस्य सचिव होंगे.
साल 2004-05 में प्राधिकरण को किया गया था गठन:साल 2004-05 में बस्तर, सरगुजा और अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का गठन तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया था. इसके बाद साल 2012 में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण और अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया. इन प्राधिकरणों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हुआ करते थे. प्राधिकरणों के गठन के बाद अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों, अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों, मजरा-टोला, पारा-मोहल्लों, वार्डों और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी आवश्यकताओं के अनेक महत्वपूर्ण काम कराए गए थे. साल 2019 में तत्कालीन सरकार की ओर से इन प्राधिकरणों के कार्य संचालन की प्रक्रिया में अमूल-चूल परिवर्तन कर दिया गया. इस वजह से प्राधिकरणों का न सिर्फ महत्व कम हो गया, बल्कि इनके कार्याें में पारदर्शिता मॉनिटरिंग का अभाव होने के साथ ही शासन स्तर पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रहा. इन स्थितियों को देखते हुए कैबिनेट ने पांचों प्राधिकरणों के पुनर्गठन और निधि नियम के प्रस्ताव को पारित किया.