नैनीताल:उत्तराखंड हाईकोर्ट ने माना है कि अस्वस्थता के कारण यदि पत्नी अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने से इंकार करती है तो इसे पति के प्रति मानसिक क्रूरता नहीं माना जा सकता. न्यायमूर्ति रवींद्र मैठानी की पीठ ने इस तथ्य के आधार पर हरिद्वार की एक पारिवारिक न्यायालय द्वारा पारित आदेश को सही करार दिया है और इस आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया. दरअसल, पारिवारिक न्यायालय ने सितंबर 2023 में याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता व्यक्ति को निर्देश दिया था कि वो अपनी पत्नी को ₹25 हजार और बेटे को ₹20 हजार का मासिक भरण पोषण के लिए भुगतान करे. याचिकाकर्ता व्यक्ति पेशे से प्राध्यापक है.
पारिवारिक न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने पत्नी के इनकार को मानसिक क्रूरता बताते हुए फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस मामले में महिला ने हाईकोर्ट में अपने स्वास्थ्य संबंधी इलाज के साक्ष्य भी दिए. महिला ने पति पर उसकी इच्छा के विरुद्ध बार-बार अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे उसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हुईं और कई अस्पतालों में उसे इलाज करवाना पड़ा. महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने अपने बच्चे को धमकाने के लिए अश्लील वीडियो दिखाए, हिंसक व्यवहार किया, और बच्चे की स्कूल फीस की उपेक्षा की. महिला ने यह भी दावा किया कि जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध के कारण लगी चोटों के चलते कई बार उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और विभिन्न अस्पतालों में उसका इलाज हुआ, जिसके बाद सितंबर 2016 में वो पति को छोड़कर चली गई.
पति की दलील:वहीं, पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार करते हुए पति ने दावा किया कि उसने अपनी पत्नी का हमेशा ध्यान रखा और शादी के दौरान या बाद में कोई दहेज नहीं मांगा. उसने कहा कि उनकी दिसंबर 2010 में शादी हुई लेकिन पत्नी ने कथित दहेज उत्पीड़न और प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरण पोषण का वाद दायर किया. पत्नी ने स्वयं उसके साथ संबंध विच्छेद कर लिया, क्योंकि उसने उसके साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए.