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जेल जाने वाला था रेप का आरोपी, जज के सामने पेश किया रिलेशनशिप एग्रीमेंट, झट से पलट गया खेल - Rape Case

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 4, 2024, 4:36 PM IST

Updated : Sep 4, 2024, 10:36 PM IST

Live-In Relationship Agreement: महाराष्ट्र में मुंबई की एक अदालत ने रेप के आरोपी शख्स को जमानत दे दी. आरोपी शख्स एक सरकारी कर्मचारी है और उस पर एक 29 साल की महिला ने लिव इन के दौरान रेप करने का आरोप लगाया है.

रेप के आरोपी को जमानत
रेप के आरोपी को जमानत (सांकेतिक तस्वीर)

मुंबई: महाराष्ट्र में मुंबई की एक अदालत ने 46 साल के एक शख्स को उसके साथी की ओर से दायर रेप के मामले में उस समय अग्रिम जमानत दे दी, जब उसने सुनवाई के दौरान अदालत में 'लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट' पेश किया. इस एग्रीमेंट में यह शर्त थी कि कोई भी पक्ष दूसरे के खिलाफ यौन उत्पीड़न का दावा नहीं करेगा.

जानकारी मुताबिक कोर्ट ने आरोपी को 29 अगस्त को जमानत दी थी. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक महिला एक केयरगिवर का काम करती है और आरोपी एक सरकारी कर्मचारी है. रिपोर्ट के अनुसार महिला ने आरोप लगाया है कि आरोपी ने उससे शादी करने का वादा किया था और लिव इन में साथ रहने के दौरान कई बार उसका रेप किया.

रिश्ते के लिए दोनों पक्षों की सहमति
आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुनील पांडे ने मामले को धोखाधड़ी करार दिया है. उन्होंने कहा कि आवेदक पर झूठा आरोप लगाया गया है. वह परिस्थितियों का शिकार है. वे लिव-इन रिलेशनशिप में थे. एग्रीमेंट से पता चलता है कि दोनों पक्षों ने रिश्ते के लिए सहमति दी थी. लिव इन में रहने के लिए दोनों ने एग्रीमेंट बनाया था और महिला ने उस पर हस्ताक्षर किए थे. दस्तावेज आपसी सहमति को दर्शाता है.

हालांकि, 29 वर्षीय महिला का दावा है कि दस्तावेज पर उसके हस्ताक्षर नहीं हैं. रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि वे कथित रिलेशनशिप एग्रीमेंट की ऑथेंटिसिटी की पुष्टि करने की प्रक्रिया में हैं.

एग्रीमेंट के प्रावधान क्या हैं?

  • दोनों पक्षों ने सात-सूत्री समझौते की शर्तों के तहत 1 अगस्त, 2024 से 30 जून, 2025 तक साथ रहने पर सहमति जताई.
  • दूसरे प्रावधान में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान कोई भी पक्ष दूसरे के खिलाफ यौन उत्पीड़न का कोई दावा नहीं करेगा और उन्हें सौहार्दपूर्ण तरीके से साथ रहेगा.
  • तीसरे प्रावधान के अनुसार महिला पुरुष के साथ उसके घर पर रहेगी, लेकिन अगर उसे उसका व्यवहार अस्वीकार्य लगता है, तो वह एक महीने के नोटिस के साथ घर छोड़ने का विकल्प चुन सकती है.
  • चौथा प्रावधान के मुताबिक महिला के रिश्तेदारों को उसके साथ रहने के दौरान उससे मिलने की अनुमति नहीं होगी.
  • पांचवें प्रावधान के अनुसार महिला पुरुष को कोई उत्पीड़न या मनोवैज्ञानिक संकट नहीं पहुंचाएगी.
  • छठे प्रावधान में कहा गया कि अगर इस दौरान महिला गर्भवती हो जाती है, तो पुरुष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा.
  • सातवें प्रावधान के अनुसार अगर किसी उत्पीड़न के कारण पुरुष को गंभीर मानसिक आघात पहुंचता है, जिससे उसका जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है, तो महिला जिम्मेदार होगी.

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Last Updated : Sep 4, 2024, 10:36 PM IST

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