राजस्थान

rajasthan

मेवाड़ में खेली गई गोला-बारूद से होली, जानें मुगल कनेक्शन - CANNONS HOLI IN RAJASTHAN

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 27, 2024, 10:26 AM IST

Updated : Mar 27, 2024, 11:25 AM IST

Rajasthan Unique Holi, कोड़ा मार होली, लट्ठ मार होली, पत्थर मार होली तो आपने बहुत देखी व सुनी होगी, लेकिन क्या कभी आपने गोला बारूद से होली खेलने के बारे में सुना है. अगर नहीं तो चलिए हम आपको राजस्थान के एक गांव की अनूठी परंपरा के बारे में बताते हैं, जहां रंग गुलाल से नहीं, बल्कि गोलियों की गड़गड़ाहट और तोपों के धुओं के बीच होली का जश्न मनाया जाता है.

HOLI OF MENAR
HOLI OF CANNONS

मेवाड़ में खेली जाती है गोला बारूद की होली

उदयपुर.जिले में एक गांव ऐसा है, जहां होली पर होली नहीं बल्कि दिवाली मनाई जाती है. यहां पटाखे, फुलझड़ियां के बजाय गोला बारूद से होली खेलने की अनूठी परंपरा है. इस नजारे को देखने के लिए यहां देश-विदेश से लोगों की भीड़ उमड़ती है. मंगलवार रात को उदयपुर के मेनार में ऐसी ही होली खेली गई, जिसमें रंग-गुलाल नहीं, बल्कि तोप और बारूद चले.

उदयपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर मेनार गांव की होली इतिहास की उस कहानी को बयां करती है, जिसमें यहां के लोगों ने मुगलों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. यहां होली के बाद तीसरे दिन यानी कृष्ण पक्ष द्वितीया को बारूद से होली खेली जाती है. इसमें तलवारों और बंदूकों की आवाज से युद्ध का दृश्य जीवंत हो उठता है. वहीं, मेनारवासी इस परंपरा का निर्वहन पिछले 450 साल से अनवरत करते आ रहे हैं.

Rajasthan Unique Holi

मंगलवार रात एक के बाद एक कई तोप आग उगलते नजर आए. तड़ातड़ बंदूकें चल रही थीं. इस दृश्य को देख मानों ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे रण में योद्धा विजय उत्सव मना रहे हो. दरअसल, मौका था शौर्य पर्व जमरा बीज का, जो बड़े धूमधाम से मनाया गया. वहीं, गांव के युवा जो दुबई, सिंगापुर, लंदन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में रहते हैं, वो भी इस उत्सव में शरीक हुए.

मेनार में दिखा युद्ध सा नजारा :मंगलवार रात 9 बजे बाद सभी पूर्व रजवाड़े के सैनिकों की पोशाकों धोती कुर्ता व कसुमल पाग से सजे धजे ग्रामीण गांव के मुख्य बाजार ओंकारेश्वर चौक पर पहुंचे. सभी अलग-अलग रास्तों से ललकारते हुए और बंदूक-तलवारों को लहराते हुए यहां पहुंचे. यहां ग्रामीणों ने बंदूक और तोप से गोले दागे और पटाखों से आतिशबाजी की, जिससे निकली आग की लपटों ने ऊँचाइयां छूई. तोपों और बंदूकों की गर्जना 5 किलोमीटर दूर तक सुनाई दे रही थी. बारूद से भरी हुई बंदूकों से फायरिंग की गई.

रेजिमेंटल सटीकता के साथ खूबसूरती से तालमेल बैठाया गया. ग्रामीणों ने जमकर जश्न मनाया. शाम से शुरू होकर आधी रात तक चली बंदूकों, पटाखों व तोपों की गर्जना लगातार जारी रही. पांचों रास्तों से गांव बंदूकों व तोपों की आवाज से गूंज उठा, मानों युद्ध का परिदृश्य जीवन्त हों उठा. साथ ही पटाखों के धमाकों से ओंकारेश्वर चौक दहल उठा. इस बीच जैन समुदाय की ओर से अबीर-गुलाल से रणबांकुरों का स्वागत भी किया गया.

बंदुकों की गर्जना से दहला मेनार

इसे भी पढ़ें :राजस्थान में यहां खेली जाती है कोड़ामार होली, सालों पुरानी पंरपरा निभा रहें ग्रामीण - Holi 2024

500 सालों से चली आ रही परंपरा : देश-दुनिया में रहने वाले मेनार गांव के लोग इस दिन को सैलेब्रेट करने अपने गांव लौट आते हैं. पूरा गांव जमराबीज के दिन काफी खूबसूरत तरीके से रंग-बिरंगी लाइटों से सजा रहता है. शाम ढलने के साथ ही गांव के अलग-अलग रास्तों से रणबांकुरों की टोलियां सेना की टुकड़ियों के वेश में अलग-अलग रास्तों से मुख्य चौक पर पहुंचती हैं. ये त्योहार याद दिलाता है कि इलाके के रणबांकुरों ने मुगल सेना को धूल चटाई थी. 500 साल से चली आ रही इस परंपरा को अब बारूद की होली के नाम से पहचाना जाने लगा है.

इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि जब महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष के लिए हल्दीघाटी के युद्ध की शुरुआत की थी. ऐसे में प्रताप ने मेवाड़ के हर व्यक्ति को उस चेतना से जोड़ते हुए स्वाभिमान का पाठ पढ़ाया था. इसी के बाद अमर सिंह के नेतृत्व में मुगल थानों पर विभिन्न हमले किए जा रहे थे. उन्होंने बताया कि मेनार के पास मुगलों की एक छावनी हुआ करती थी. मुगल छावनी का गांव में काफी अत्याचार बढ़ रहा था. इससे मुक्ति पाने के लिए मेनार के ग्राम वासियों ने इस अत्याचार का मुंहतोड़ जवाब दिया. लोगों ने मुगलों की छावनी पर भीषण आक्रमण कर वहां की सेना को शिकस्त दी. इसके बाद जो जीत हासिल हुई थी, उसी की याद में यहां हर साल मेनार की अनूठी होली खेली जाती है.

इसे भी पढ़ें :यहां होली पर लोगों ने एक-दूसरे पर बरसाए पत्थर, जानिए क्या है ये 'खूनी' परम्परा - Holi 2024

पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए ग्रामीण : जमराबीज पर पूरी रात भर मस्ती और उमंग देखने को मिलती है. इस दिन पूरी रात टोपीदार बंदूक और तोप की गूंज सुनाई देती है. मेनारिया समाज के लोग जमकर मस्ती करते हैं. इस दिन गांव में जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ता है, वैसे-वैसे उत्साह का आनंद अपने शबाब पर होता है.

Last Updated : Mar 27, 2024, 11:25 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details