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इस दिन से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि 2024, जानें क्या है महालया का महत्व - Durga Puja kab se hai

DURGA PUJA KAB SE HAI : हिंदू धर्म में मान्यता है कि माता दुर्गा ने दैत्य महिषासुर का नौ दिनों तक चले युद्ध के बाद अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को वध किया था. जानकारी के मुताबिक हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा के दौरान मां के नौ स्वरुप यानि नौ देवियों की पूजा की जाती है. पढ़ें पूरी खबर..

DURGA PUJA KAB SE HAI
महालया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2024, 6:31 AM IST

Updated : Oct 1, 2024, 7:46 PM IST

हैदराबादः भारत ही नहीं दुनिया भर में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग आस्था व धूमधाम से शारदीय नवरात्र 2024 (दुर्गा पूजा) मनाते हैं. मुख्य रूप से यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. महालया से प्रारंभ होकर दुर्गा पूजा विजयादशमी या दशहरा को समाप्त होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 2 अक्टूबर को महालया के साथ प्रारंभ होगा, 3 अक्टूबर को पहली पूजा और 12 अक्टूबर को विजयादशमी/दशहरा के साथ संपन्न होगा.

DURGA PUJA KAB SE HAI
शारदीय नवरात्रि 2024 (ETV Bharat)

महालया का क्या है महत्व
धार्मिक मान्यता है कि महालया पितृ पक्ष श्राद्ध (पूर्वजों को श्रद्धांजलि देन की अवधि का 16वां दिन) है. यह 16 दिवसीय पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है. महालया मां दुर्ग का धरती पर आगमन का दिन माना जाता है. मान्यता है कि देवी दुर्गा अपनी मायके की ओर यात्रा प्रारंभ करती हैं. यह दिन दुर्गा पूजा के शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है. इस साल पितृ पक्ष का आखिरी दिन 2 अक्टूबर है. इसलिए इस साल महालया 2 अक्टूबर को है. इस दिन को महालया अमावस्या या सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इसके अगले दिन कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जायेगा.

शारदीय नवरात्र 2024 कैलेंडर

  1. महालया-(2 अक्टूबर, बुधवार) मां दुर्गा का धरती पर आगमन
  2. पहला दिन- (3 अक्टूबर, गुरुवार) मां शैलपुत्री की पूजा
  3. दूसरा दिन- (4 अक्टूबर, शुक्रवार) मां बह्मचारिणी की पूजा
  4. तीसरा दिन- (5 अक्टूबर, शनिवार) मां चंद्रघंटा की पूजा
  5. चौथा दिन- (6 अक्टूबर, रविवार ) मां कूष्मांडा की पूजा
  6. पांचवा दिन-(7 अक्टूबर, सोमवार) मां स्कंदमाता की पूजा
  7. छठा दिन- (8 अक्टूबर, मंगलवार) मां कात्यायनी की पूजा
  8. सातवां दिन- (9 अक्टूबर बुधवार) मां कालरात्रि की पूजा
  9. आठवां दिन-(10 अक्टूबर, गुरुवार) मां महागौरी की पूजा
  10. नौवां दिन- (11 अक्टूबर शुक्रवार) मां सिद्धिदात्री की पूजा
  11. दसवां दिन-(12 अक्टूबर शनिवार) विजयादशमी या दशहरा

दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. पहला रूप मां शैलपुत्री, दूसरा रूप मां बह्मचारिणी, तीसरा रूप मां चंद्रघंटा, चौथा रूप मां कूष्मांडा, पांचवां रूप मां स्कंदमाता, छठा रूप मां कात्यायनी, सातवां रूप मां कालरात्रि, आठवां रूप मां महागौरी, नौवां रूप मां सिद्धिदात्री है. दूसरी ओर ज्यादातर जगहों पर प्रतिमाओं में माता दुर्गा को 10 भुजाओं के साथ देखा जाता है. वहीं भागवत पुराण के अनुसार महालक्ष्मी (माता दुर्गा का एक रूप) को 18 भुजाओं वाला माना जाता है. मां दुर्गा की सभी भुजाओं के निर्माण के समय देवों की ओर से उन्हें दी गई वस्तुओं को धारण करती है. दुर्गा पूजा के दौरान इन वस्तुओं की भी पूजा व आरती की परंपरा है.

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नवरात्रि 2024: इस बार पालकी पर पधार रहीं मां दुर्गा, चरणायुद्ध पर होगी विदाई, जानें आप पर क्या पड़ेगा प्रभाव - SHARDIYA NAVRATRI 2024

हैदराबादः भारत ही नहीं दुनिया भर में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग आस्था व धूमधाम से शारदीय नवरात्र 2024 (दुर्गा पूजा) मनाते हैं. मुख्य रूप से यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. महालया से प्रारंभ होकर दुर्गा पूजा विजयादशमी या दशहरा को समाप्त होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 2 अक्टूबर को महालया के साथ प्रारंभ होगा, 3 अक्टूबर को पहली पूजा और 12 अक्टूबर को विजयादशमी/दशहरा के साथ संपन्न होगा.

DURGA PUJA KAB SE HAI
शारदीय नवरात्रि 2024 (ETV Bharat)

महालया का क्या है महत्व
धार्मिक मान्यता है कि महालया पितृ पक्ष श्राद्ध (पूर्वजों को श्रद्धांजलि देन की अवधि का 16वां दिन) है. यह 16 दिवसीय पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है. महालया मां दुर्ग का धरती पर आगमन का दिन माना जाता है. मान्यता है कि देवी दुर्गा अपनी मायके की ओर यात्रा प्रारंभ करती हैं. यह दिन दुर्गा पूजा के शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है. इस साल पितृ पक्ष का आखिरी दिन 2 अक्टूबर है. इसलिए इस साल महालया 2 अक्टूबर को है. इस दिन को महालया अमावस्या या सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इसके अगले दिन कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जायेगा.

शारदीय नवरात्र 2024 कैलेंडर

  1. महालया-(2 अक्टूबर, बुधवार) मां दुर्गा का धरती पर आगमन
  2. पहला दिन- (3 अक्टूबर, गुरुवार) मां शैलपुत्री की पूजा
  3. दूसरा दिन- (4 अक्टूबर, शुक्रवार) मां बह्मचारिणी की पूजा
  4. तीसरा दिन- (5 अक्टूबर, शनिवार) मां चंद्रघंटा की पूजा
  5. चौथा दिन- (6 अक्टूबर, रविवार ) मां कूष्मांडा की पूजा
  6. पांचवा दिन-(7 अक्टूबर, सोमवार) मां स्कंदमाता की पूजा
  7. छठा दिन- (8 अक्टूबर, मंगलवार) मां कात्यायनी की पूजा
  8. सातवां दिन- (9 अक्टूबर बुधवार) मां कालरात्रि की पूजा
  9. आठवां दिन-(10 अक्टूबर, गुरुवार) मां महागौरी की पूजा
  10. नौवां दिन- (11 अक्टूबर शुक्रवार) मां सिद्धिदात्री की पूजा
  11. दसवां दिन-(12 अक्टूबर शनिवार) विजयादशमी या दशहरा

दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. पहला रूप मां शैलपुत्री, दूसरा रूप मां बह्मचारिणी, तीसरा रूप मां चंद्रघंटा, चौथा रूप मां कूष्मांडा, पांचवां रूप मां स्कंदमाता, छठा रूप मां कात्यायनी, सातवां रूप मां कालरात्रि, आठवां रूप मां महागौरी, नौवां रूप मां सिद्धिदात्री है. दूसरी ओर ज्यादातर जगहों पर प्रतिमाओं में माता दुर्गा को 10 भुजाओं के साथ देखा जाता है. वहीं भागवत पुराण के अनुसार महालक्ष्मी (माता दुर्गा का एक रूप) को 18 भुजाओं वाला माना जाता है. मां दुर्गा की सभी भुजाओं के निर्माण के समय देवों की ओर से उन्हें दी गई वस्तुओं को धारण करती है. दुर्गा पूजा के दौरान इन वस्तुओं की भी पूजा व आरती की परंपरा है.

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Last Updated : Oct 1, 2024, 7:46 PM IST
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