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मुगलिया दौर में ताजनगरी में खूब बरसे होली के रंग, आगरा किले की होली थी बेहद खास ! - holi festival 2024 - HOLI FESTIVAL 2024

होली का पर्व नजदीक है ऐसे में रंगों के त्योहार की धूम अब बाजारों (Mughal period holi festival) में भी देखने को मिल रही है. इतिहासकार बताते हैं कि मुगलिया दौर में भी आगरा की होली की रंगत बेहद खास रही.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 22, 2024, 11:48 AM IST

आगरा :ब्रज के अग्रवन कहे जाने वाले आगरा में होली के रंग हर दौर में बरसते रहे. भले ही मुगलिया दौर का केंद्र बिंदु आगरा रहा. क्योंकि, मु​गलिया सल्तनत की आगरा राजधानी थी. आगरा किला से पूरे हिन्दुस्तान पर हुकुमत चलती थी. मगर, मुगलिया दौर में भी आगरा की होली की रंगत बेहद खास रही. इसका जिक्र तमाम किताबों में है. जिसमें लिखा है कि, मुगल बादशाह अकबर अपनी बेगम जोधाबाई के साथ होली खेलता था. उस दौर में भी आगरा किला की होली बेहद खास होती थी. इस बारे में ईटीवी भारत से खास बातचीत में आगरा के वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगलिया दौर में अकबर, जहांगीर और शाहजहां के कार्यकाल में किला में होली खेली जाती थी. लेकिन, औरंगजेब के समय पर आगरा किला ही नहीं, पूरे हिंदुस्तान में होली मनाने पर एक तरह से पाबंदी ही लग गई थी.

ताजनगरी में खूब बरसे होली के रंग

ये किताबें बयां कर रहीं आगरा किला की होली :बता दें कि, आगरा किला और वहां की होली समय-समय पर इतिहासकार और साहित्यकारों ने अपनी लेखनी से बयां की. मुगल दरबारी अबुल फजल ने अपनी मशहूर किताब 'आईने-अकबरी' में आगरा किला की होली को लिखा है. इतिहासकारों ने लिखा है कि, बाबर जब आगरा आया तो यहां की होली देखकर हैरान रह गया था. मुंशी जकुल्लाह की किताब 'तारीख-ए-हिंदुस्तानी' में आगरा किला की होली के बारे में लिखा गया है. उन्होंने लिखा है कि, बादशाह अकबर खूब होली खेलता था. बादशाह होली खेलने के लिए पिचकारियों को भी चुनता था. ये पिचकारी बेहद खूबसूरत होने के साथ ही उनकी मार दूर तक होती थी. जिससे दूर तक रंग पहुंचाया जा सके.

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जहांगीर ने दिया था होली को 'ईद-ए-गुलाबी' नाम :उन्होंने बताया किमुगल बादशाह अकबर आगरा किला में जोधाबाई के साथ होली खेलने के बाद आम लोगों के साथ होली खेलने के लिए बाहर निकलता था. बादशाह अकबर के बाद जहांगीर के समय में आगरा किला और हिंदुस्तान में होली खूब खेली जाती थी. बादशाह जहांगीर ने होली को 'ईद-ए-गुलाबी' यानी रंगों का त्योहार नाम दिया था. जहांगीर के दरबार में होली के मौके पर नृत्य और संगीत की महफ़िल सजती थी.

अकबर, जहांगीर और शाहजहां तक चली होली :वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगलिया दौर में बादशाह अकबर, बादशाह जहांगीर और शाहजहां तक आगरा किले में होली खेलने का उल्लेख किताबों में मिलता है. मुगल बादशाह शहंशाह के दौर में होली को 'आबपाशी' यानी पानी की बौछार का त्योहार कहा जाता था. इसके बाद जब मुगलिया सल्तनत के तख्त पर औरंगजेब बैठा. औरंगजेब के दौर में कट्टरवाद के कारण आगरा किले में होली मनाना बंद हो गया. औरंगजेब के दौर में आगरा किला ही नहीं, मुगलिया सल्तनत में होली खेलना लगभग बंद ही हो गया था. मगर, जब दक्षिण में मराठा पॉवरफुल हुए और भरतपुर के जाट ​राजा सत्ता में आए तो होली खेली जाने लगी.

संरक्षित पांडुलिपियों में होली का उल्लेख :उन्होंने बताया किमुगलिया दौर में आगरा और ब्रज में मनाई जाने वाली होली को तत्कालीन चित्रकारों गोवर्धन और रसिक ने दर्शाया है. ब्रज संस्कृति शोध संस्थान में संरक्षित पांडुलिपियों में मुगलों के होली खेलने का उल्लेख है. होली पर हिंदी में लिखे पद रामपुर की रजा लाइब्रेरी में मौजूद हैं.

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