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ऐसी हॉट सीट जिसपर नहीं टिक पाई RJD, खुद लालू भी यहां से हारे, जानें लोकसभा क्षेत्र का समीकरण?

Lok Sabha Elections : बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट हॉट सीट बन चुकी है. इस सीट पर डायरेक्ट राजद परिवार से एनडीए का मुकाबला होता आया है. हर बार इस सीट पर चाहे लालू यादव की बेटी मीसा भारती हों या फिर खुद लालू यादव सभी को एनडीए ने पटखनी दी है. 2024 के लोकसभा चुनाव में ताजा हालात और समीकरण क्या कहते हैं? ये जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 20, 2024, 6:02 AM IST

Updated : Mar 20, 2024, 12:07 PM IST

देखें रिपोर्ट.

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. दोनों ओर से चुनावी जंग की तैयारी शुरू हो चुकी है. हर सीट पर दमदार उम्मीदवारों को उतारने की माथापच्ची चल रही है. ऐसे में सियासी गलियारियों में लोकसभा सीटों के इतिहास और समीकरण पर भी चर्चा तेज हो चुकी है. इसी क्रम में आज हम आपको पटना जिले के पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के सियासी समीकरण और इतिहास बताने जा रहे हैं. पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के बिहार राज्य का एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है.

पाटलिपुत्र सीट का इतिहास: 2008 के परिसीमन से तीन लोकसभा क्षेत्रों से लेकर पाटलिपुत्र लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र बनाया गया. जहां जहानाबाद से मसौढ़ी, आरा से पालीगंजएवं मनेर तथा पटना लोकसभा से फुलवारी, दानापुर व बिक्रम विधानसभा क्षेत्रों को शामिल कर नया नाम दिया गया था. लेकिन पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर शुरू से एनडीए का कब्जा रहा है. इस बार एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच टक्कर होने की उम्मीद है. हालांकि पाटलिपुत्र लोकसभा से एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों का चेहरा साफ नहीं है.

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NDA Vs INDIA ब्लॉक :इधर एनडीए के तरफ से पाटलिपुत्र लोकसभा से वर्तमान भाजपा सांसद रामकृपाल यादव की चर्चा है. लेकिन इंडिया गठबंधन के तरफ से राजद पार्टी के तरफ से अभी फिलहाल मीसा भारती का नाम चर्चा में है. आपको बताते हैं कि जनता के बीच इस बार भी एनडीए उम्मीदवार भाजपा सांसद रामकृपाल यादव हैं वो लगातार अपने जनता के बीच रहते हैं और लगातार जनता की समस्या दूर करते रहते हैं.

लालू और मीसा भारती की हो चुकी है हार: इतिहास के बारे में जाने तो पाटलिपुत्र लोकसभा का चुनाव पहली बार 2009 में हुआ था. उस समय एनडीए की तरफ से जदयू कोटे से रंजन प्रसाद चुनाव लड़े थे और राजद कोटे से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने चुनाव लड़ा था. लेकिन उस वक्त भी रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद यादव को चुनाव में हराया था. उसके बाद 2014 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर एनडीए कोटे से भाजपा ने रामकृपाल यादव को चुनाव मैदान में उतारा तो दूसरी ओर महागठबंधन से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती चुनाव मैदान में उतरी लेकिन 2014 और 2019 में हार का सामना करना पड़ा.

पाटलिपुत्र लोकसभा में उद्योग धंधा: वहीं पाटलिपुत्र लोकसभा में उद्योग धंधों का बात करें तो लोकसभा में कुल छह विधानसभा आते हैं जिसमे फुलवारी शरीफ, दानापुर, मनेर, बिक्रम, पालीगंज, मसौढ़ी है. वैसे लगभग सभी विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं. इधर 10 सालों की बात करें तो इन 10 सालों में खासतौर पर पटना के ग्रामीण इलाकों में उद्योग धंधे काफी आए हैं. वो चाहे बिहार सरकार की तरफ से या केंद्र सरकार से पाटलिपुत्र क्षेत्र के बिहटा में राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा आईटी पार्क का निर्माण हुआ जहा एनआईटी, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज जैसे संस्था के अलावा कई उद्योग धंधों की शुरुआत हुई है.

पाटलिपुत्र सीट पर जातीय समीकरण : पाटलिपुत्र लोकसभा का जातीय समीकरण बताएं तो फुलवारी विधानसभा मुसलिम और कुर्मी बहुल क्षेत्र है. तो वहीं, बिक्रम विधानसभा भूमिहार और मसौढ़ी में कुर्मी और यादव की बहुलता है. पालीगंज में सबसे ज्याद वोटर यादव और भूमिहार से आते हैं. जहां पाटलिपुत्र लोकसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2019 के अनुसार है 19.25 लाख है. लेकिन अब 5 सालों के बाद 2024 में लोकसभा चुनाव होना है.

जातीय गणना से बदला समीकरण : जातीय जनगणना के अनुसार करीब पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में 19.25 लाख मतदाताओं की संख्या है. जिसमें महिलाओं की संख्या 9,14,418 है, जबकि पुरुष की संख्या 10,11,006 है. हालांकि इस साल युवा वोटर भी जुड़ने जा रहे हैं. लेकिन अभी तक इसका डाटा विभाग की तरफ से जारी नहीं किया गया है. वहीं पाटलिपुत्र लोकसभा से वर्तमान सांसद भाजपा कोटे से रामकृपाल यादव हैं.

वर्तमान सांसद पर लोगों का भरोसा कायम? : भाजपा सांसद रामकृपाल यादव से बात किया गया तो उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का विकास पहले से काफी बढ़ा है. पाटलिपुत्र लोकसभा की जनता की समस्या को हमेशा से दूर करने का काम किया हूं. वह चाहे पाटलिपुत्र लोकसभा के विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेन का ठहराव हो या सड़क निर्माण से जुड़ा कार्य हो. बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन का निर्माण कार्य को लेकर भी लगातार कार्य करता रहा हूं.

''इस बार भी क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद मिलेगा. क्षेत्र में सबसे बड़ा भारत सरकार का अस्पताल ईएसआईसी जहां पाटलिपुत्र लोकसभा और आसपास के अन्य लोकसभा की जनता इससे लाभ ले रही है. हर वर्ग के लोगों को मुफ्त में इलाज और दवा दिया जा रहा है.''- रामकृपाल यादव, सांसद, बीजेपी

पाटलिपुत्र का विधानसभावार विश्लेषण : पाटलिपुत्र में जाति समीकरण की बात करें तो लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा यादव मतदाताओं की संख्या है. उसके बाद सवर्ण वोटर आते हैं. जिसमें भूमिहार मतदाता, वैश्य, राजपूत आदि हैं, वहीं कुशवाहा, कुर्मी और मुस्लिम वोटर भी खास पकड़ रखते हैं. पाटलिपुत्र लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें सभी पर महागठबंधन का ही राज है. दानापुर, मनेर से राजद कोटा के विधायक जबकि पालीगंज फुलवारी और मसौढ़ी से भाकपा माले पार्टी के विधायक और विक्रम विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं. हालांकि विक्रम विधानसभा के वर्तमान कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरभ अब भाजपा खेमे में बैठने लगे हैं.

पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या: अगर पाटलिपुत्र लोकसभा में मतदान की बात करें तो इस सीट पर 2009 में पहला चुनाव हुआ उस समय के आंकड़ों की बात करे तो कुल मतदाताओं की संख्या 15,26241 थी. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 817820 थी, जबकि महिला की संख्या 708421 थी. वोटिंग प्रतिशत 41% हुआ था. 2014 लोकसभा चुनाव की बात करें तो वोटिंग प्रतिशत 56% रहा. कुल मतदाताओं की संख्या 1736074 थी. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 934086 थी. महिला मतदाताओं की संख्या 801923 थी. वोटिंग प्रतिशत 56% रहा था. 2019 में वोटिंग प्रतिशत 56% था, जिसमें कुल मतदाताओं की संख्या 1925479 थी. पुरुष मतदाताओं की संख्या 1011006, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 914418 थी.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?: इधर लोकसभा चुनाव को लेकर जनता और राजनीतिक के क्षेत्र में एक्सपर्ट से बात की गई. जहां पाटलिपुत्र लोकसभा में अपनी राजनीति पकड़ रखने वाले प्रो.विपिन बिहारी ने बताया कि 2009 में पाटलिपुत्र लोकसभा का गठन किया गया और उस समय एनडीए के जेडीयू पार्टी से उम्मीदवार रंजन प्रसाद यादव थे और दूसरी ओर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव थे. लेकिन पाटलिपुत्र की जनता ने उस समय भी राजद को हराया और एनडीए को जीतने का काम किया. उसके बाद से 2014 और 2019 में एनडीए के भाजपा कोटे से रामकृपाल यादव रहे जो कभी लालू यादव के करीबी भी माने जाते थे. लगातार एनडीए के उम्मीदवार ही इस सीट से जीतते आ रहे हैं. वजह है जनता से जुड़ाव और जनता के बीच में रहना.

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''इस बार भी पाटलिपुत्र लोकसभा की जनता के मन में एनडीए ही है. देश की सरकार मोदी सरकार के चेहरे पर लोग रामकृपाल यादव को वोट देते आ रहे हैं. वैसे भी राजद के लोग केवल चुनाव में ही दिखते हैं, जमीनी नेता नहीं है. साथ ही साथ परिवारवाद के कारण ही पाटलिपुत्र लोकसभा सीट लगातार हारते आ रहे हैं.''- प्रोफेसर विपिन बिहारी, राजनीतिक विश्लेषक

हॉट सीट बनी पाटलिपुत्र लोकसभा सीट: पाटलिपुत्र लोकसभा की आम जनता ने कहा कि यह लोकसभा सीट पहले से ही काफी चर्चा में रही है. लगातार एनडीए के खाते में सीट रही है. इस बार भी एनडीए की खाते में सीट रहने की उम्मीद है. हालांकि इस बार पाटलिपुत्र के मनेर विधानसभा के कुछ किसान नाराज भी हैं. वजह है दानापुर एलिवेटेड रोड हो या पटना रिंग रोड में जमीन का जाना और मुआवजा सही नहीं मिलना. जिसके कारण भाजपा सांसद से किसानों की नाराजगी सामने आई है.
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Last Updated : Mar 20, 2024, 12:07 PM IST

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