लखनऊःकांग्रेस की गढ़ माने जाने वाली अमेठी सीट पर नामांकन के आखिरी दिन संस्पेंस खत्म हुआ. शुक्रवार की सुबह किशोरी लाल शर्मा को कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित कर दिया. इसके साथ ही प्रियंका गांधी अमेठी पहुंचकर किशोरी लाल शर्मा का नामांकन भी दाखिल करा दिया. ऐसे में यह बात तो साफ है कि किशोरी लाल शर्मा के नाम पर पहले ही मुहर लग गई थी, बस कांग्रेस की ओर से रिवील नहीं किया जा रहा था. ऐसे में इस सीट से 47 साल बाद कोई गांधी परिवार से इतर कोई चुनाव लड़ रहा है. पहले और दूसरे चुनाव के बाद लगातार यहां से गांधी परिवार से कोई न कोई चुनाव लड़ता रहा है. यहां तक कि 1984 में राजीव गांधी के सामने मेनका गांधी भी चुनाव लड़ चुकी हैं.
11 चुनाव में कांग्रेस को मिल चुकी है जीत
बता दें कि 1967 में अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. तब से लेकर 2019 लोकसभा चुनाव तक सिर्फ 3 बार ही दूसरी पार्टी के उम्मीदवार ही यहां से जीत पाए थे. इसमें भाजपा 2 और 1 बार जनता पार्टी के उम्मीदवार को सफलता मिली है. जबकि 11 बार कांग्रेस के उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचे हैं. पहली बार हुए 1967 में विद्याधर वाजपेई ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. इसके बाद 1971 में वाजपेई ने इस सीट पर कब्जा बरकार रखा था. वहीं, 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज कर कांग्रेस का विजयी अभियान रोक दिया था. वहीं, 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पलटी मारी और इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने रविंद्र सिंह को हरा दिया। 1980 में संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत होने के बाद 1981 में उपचुनाव हुआ. जिसमें संजय गांधी के भाई और सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी ने जीत दर्ज की. राजीव गांधी 1984, 1989 और 1991 तक लगातार यहां सासंद चुने गए। 1991 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। 1991 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के सतीश शर्मा सांसद चुने गए. इसके बाद 1996 में भी सतीश शर्मा ने फिर बाजी मार ली.