लखनऊ : दो मुस्लिम युवकों ने सनातन धर्म से प्रेरित होकर घरवापसी कर ली. शनिवार को मनकामेश्वर मंदिर में महंत देव्या गिरी ने दोनों को गंगा जल पिलाया, फिर माथे पर तिलक लगाकर सनातन में स्वागत किया. इस दौरान ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सिंगर उर्फ वसीम रिजवी भी मौजूद रहे.
ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सिंगर ने कहा कि मुस्लिम समाज में नफरत और कट्टरता को छोड़कर आज सरफराज अहमद (40) निवासी बिजनौर और गुलनाज (32) निवासी शाहजहांपुर ने सनातन को स्वीकार कर लिया.
सरफराज बने राजन, गुलनाज को मिला विराट नाम: दोनों को नया नाम दिया गया. ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सिंगर ने कहा कि सरफराज अहमद का नाम अब राजन मिश्रा और गुलनाज का नाम विराट मिश्रा है. इनको समाज अब इन्हीं नामों से पहचानेगा.
दावा- आंकड़ा दो लाख पहुंचेगा: उन्होंने दावा किया कि यह सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा. अभी यह संख्या दो है, जल्द ही यह आंकड़ा दो लाख तक पहुंचेगा. उन्होंने बताया कि मुस्लिम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपनाने वालों को आर्थिक मदद भी दी जा रही है. इस प्रक्रिया के तहत इन दोनों लोगों को 3000 रुपये मासिक और सनातन धर्म अपनाने पर 11,000 की राशि दी गई है.
आर्थिक सहायता मिलेगी: रिजवी ने कहा, हम खुद सामाजिक बहिष्कार झेल चुके हैं, इसलिए जो भी सनातन धर्म अपनाएगा, हम उसे आर्थिक रूप से सहयोग देंगे, ताकि वह परेशान न हो. हमारा ट्रस्ट इस अभियान को आगे बढ़ाएगा और इसके लिए चंदे से धन एकत्र किया जाएगा.
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सरफराज बोले- इस्लाम में कई चीजें हराम: बिजनौर के रहने वाले सरफराज उर्फ राजन मिश्रा ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान ही इस्लाम छोड़ दिया था. इस्लाम में कई चीजें हराम हैं, जो हमें स्वीकार नहीं थीं. हमने प्रकृति से जुड़े हिंदू धर्म को अपनाने का निर्णय लिया, जहां धरती और जल तक की पूजा होती है.
गुलनाज ने कहा- कुंभ में लगाएंगे डुबकी: राजन मिश्रा ने कहा, परिवार ने हमें वापस आने के लिए कहा, लेकिन अब हम कभी इस्लाम में नहीं लौटेंगे. हम पूरी तरह से सनातन धर्म में रहेंगे और कुंभ में डुबकी भी लगाएंगे.
इस्लाम में महिलाओं का सम्मान नहीं: शाहजहांपुर के गुलनाज उर्फ विराट मिश्रा का कहना है कि इस्लाम धर्म में महिलाओं को उचित सम्मान नहीं दिया जाता और कट्टरता सिखाई जाती है. पहले मूर्ति पूजा को हराम समझता था, लेकिन अब महसूस होता है कि यह सही है. सनातन धर्म महान है और मैं सभी से अपील करता हूं कि वे भी इसे अपनाएं.
उन्होंने बताया कि 2010 से ही उन्हें इस्लाम धर्म पसंद नहीं था और लंबे सोच-विचार के बाद उन्होंने सनातन धर्म में वापसी का फैसला किया.
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