शिमला: हिमाचल के इतिहास में ये पहली बार देखा गया कि सितंबर महीने में पहली तारीख को सरकारी कर्मियों को वेतन और पेंशनर्स को पेंशन नहीं मिली. कारण रहा राज्य की खराब वित्तीय स्थिति. यही नहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनके कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपना दो महीने का वेतन विलंबित यानी डेफर कर दिया. अब इस महीने यानी अक्टूबर में पहली तारीख को सरकारी कर्मियों को वेतन तो मिल रहा है, लेकिन पेंशनर्स को अभी नौ अक्टूबर यानी अगले बुधवार का इंतजार करना होगा. इस समय स्थिति ये है कि कर्मचारियों के वेतन के लिए 1200 करोड़ रुपए मासिक चाहिए और पेंशनर्स के लिए 800 करोड़ रुपए महीना.
पेंशनर्स में सरकार के प्रति नाराजगी
अभी पेंशनर्स सरकार के 9 तारीख को भुगतान करने के फैसले से नाराज हैं. उनका कहना है कि पेंशनर्स के साथ ये भेदभाव क्यों? क्या पेंशनर्स को ईएमआई या दवा अथवा अन्य खर्च नहीं करने पड़ते? पेंशनर्स इन सब बातों को लेकर आज यानी मंगलवार को शिमला में मीडिया से बात भी करेंगे. ऐसे में पेंशनर्स के भुगतान को लेकर आने वाले समय में जो परिस्थितियां बनने वाली हैं, उन पर बात करना जरूरी है. अभी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनकी सरकार को हर महीने वेतन व पेंशन के भुगतान से जुड़े सवालों से जूझना होगा. जहां तक डीए व एरियर की देनदारी की बात है तो उसके लिए सभी का इंतजार बरकरार है.
हर साल बढ़ेंगे पेंशनर्स तो कैसे होगा भुगतान
इस समय हिमाचल प्रदेश में पौने दो लाख से अधिक पेंशनर्स हैं. हर साल इनकी संख्या बढ़ती जाती है. साथ ही उनके रिटायरमेंट के समय के भुगतान व पेंशन के खर्च भी बढ़ते हैं. इसी साल सोलहवें वित्तायोग की टीम ने सबसे पहले हिमाचल का दौरा किया था. उसके लिए राज्य सरकार के वित्त विभाग को एक मेमोरेंडम तैयार करना पड़ता है, जिसमें राज्य की वित्तीय स्थिति का पूरा लेखा-जोखा होता है. उस मेमोरेंडम के जरिए भविष्य की जो तस्वीर सामने आई है, वो आने वाली किसी भी सरकार के लिए चिंता की बात बन गई है. हिमाचल सरकार के वित्त विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2030-31 में हिमाचल में पेंशनर्स की संख्या 2 लाख, 38 हजार, 827 हो जाएगी. उस समय राज्य सरकार को उनकी पेंशन पर सालाना 19,628 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. राज्य सरकार को उनकी पेंशन देने के लिए एक साल में 19 हजार, 628 करोड़ रुपए की रकम चाहिए. यानी एक महीने में 1635 करोड़ रुपए से अधिक की रकम की जरूरत होगी. इसे आज के हिसाब से देखें तो अभी से दोगुना खर्च पेंशन की मद में होगा. उस समय तक कर्ज का बोझ भी दो लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने वाला होगा. ऐसे में निकट भविष्य में हिमाचल को केंद्र का कोई बेलआउट पैकेज ही संभाल सकता है. नए वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद संशोधित वेतनमान व ओपीएस के कारण अब राज्य सरकार के खजाने पर सैलरी व पेंशन का बिल 59 प्रतिशत बढ़ा है. ये सभी तथ्य फाइनेंस कमीशन को दिए गए मेमोरेंडम में लिखे गए हैं.
अभी चाहिए 800 करोड़, आने वाले समय में बढ़ेगी रकम