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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 6 hours ago

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हर महीने वेतन-पेंशन की तारीख के सवाल से जूझेगी हिमाचल सरकार, कर्मियों से ज्यादा हो जाएंगे पेंशनर्स तो कैसे होगा भुगतान! - HP Employees Salary and Pension

Himachal Salary and Pension Crisis: हिमाचल प्रदेश में वित्तीय संकट के चलते कर्मचारियों और पेंशनर्स को सैलरी और पेंशन में सितंबर माह में देरी से मिली. इस बार कर्मचारियों को तो सैलरी समय पर मिल रही है, लेकिन पेंशनर्स को फिर से इंतजार करना पड़ेगा. वहीं, हिमाचल में आने वाले समय में पेंशनर्स की तादाद बढ़ने वाली है, जिससे सरकार पर पेंशन का बोझ और बढ़ने वाला है.

Himachal Salary and Pension Crisis
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (ETV Bharat)

शिमला: हिमाचल के इतिहास में ये पहली बार देखा गया कि सितंबर महीने में पहली तारीख को सरकारी कर्मियों को वेतन और पेंशनर्स को पेंशन नहीं मिली. कारण रहा राज्य की खराब वित्तीय स्थिति. यही नहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनके कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपना दो महीने का वेतन विलंबित यानी डेफर कर दिया. अब इस महीने यानी अक्टूबर में पहली तारीख को सरकारी कर्मियों को वेतन तो मिल रहा है, लेकिन पेंशनर्स को अभी नौ अक्टूबर यानी अगले बुधवार का इंतजार करना होगा. इस समय स्थिति ये है कि कर्मचारियों के वेतन के लिए 1200 करोड़ रुपए मासिक चाहिए और पेंशनर्स के लिए 800 करोड़ रुपए महीना.

पेंशनर्स में सरकार के प्रति नाराजगी

अभी पेंशनर्स सरकार के 9 तारीख को भुगतान करने के फैसले से नाराज हैं. उनका कहना है कि पेंशनर्स के साथ ये भेदभाव क्यों? क्या पेंशनर्स को ईएमआई या दवा अथवा अन्य खर्च नहीं करने पड़ते? पेंशनर्स इन सब बातों को लेकर आज यानी मंगलवार को शिमला में मीडिया से बात भी करेंगे. ऐसे में पेंशनर्स के भुगतान को लेकर आने वाले समय में जो परिस्थितियां बनने वाली हैं, उन पर बात करना जरूरी है. अभी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनकी सरकार को हर महीने वेतन व पेंशन के भुगतान से जुड़े सवालों से जूझना होगा. जहां तक डीए व एरियर की देनदारी की बात है तो उसके लिए सभी का इंतजार बरकरार है.

हर साल बढ़ेंगे पेंशनर्स तो कैसे होगा भुगतान

इस समय हिमाचल प्रदेश में पौने दो लाख से अधिक पेंशनर्स हैं. हर साल इनकी संख्या बढ़ती जाती है. साथ ही उनके रिटायरमेंट के समय के भुगतान व पेंशन के खर्च भी बढ़ते हैं. इसी साल सोलहवें वित्तायोग की टीम ने सबसे पहले हिमाचल का दौरा किया था. उसके लिए राज्य सरकार के वित्त विभाग को एक मेमोरेंडम तैयार करना पड़ता है, जिसमें राज्य की वित्तीय स्थिति का पूरा लेखा-जोखा होता है. उस मेमोरेंडम के जरिए भविष्य की जो तस्वीर सामने आई है, वो आने वाली किसी भी सरकार के लिए चिंता की बात बन गई है. हिमाचल सरकार के वित्त विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2030-31 में हिमाचल में पेंशनर्स की संख्या 2 लाख, 38 हजार, 827 हो जाएगी. उस समय राज्य सरकार को उनकी पेंशन पर सालाना 19,628 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. राज्य सरकार को उनकी पेंशन देने के लिए एक साल में 19 हजार, 628 करोड़ रुपए की रकम चाहिए. यानी एक महीने में 1635 करोड़ रुपए से अधिक की रकम की जरूरत होगी. इसे आज के हिसाब से देखें तो अभी से दोगुना खर्च पेंशन की मद में होगा. उस समय तक कर्ज का बोझ भी दो लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने वाला होगा. ऐसे में निकट भविष्य में हिमाचल को केंद्र का कोई बेलआउट पैकेज ही संभाल सकता है. नए वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद संशोधित वेतनमान व ओपीएस के कारण अब राज्य सरकार के खजाने पर सैलरी व पेंशन का बिल 59 प्रतिशत बढ़ा है. ये सभी तथ्य फाइनेंस कमीशन को दिए गए मेमोरेंडम में लिखे गए हैं.

अभी चाहिए 800 करोड़, आने वाले समय में बढ़ेगी रकम

हिमाचल प्रदेश छोटा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां के लोग सरकारी नौकरी पर अधिक निर्भर हैं. इस समय निरंतर नियमित सरकारी नौकरियां देना संभव नहीं लग रहा है. ऐसे में आने वाले समय में सरकारी कर्मियों की संख्या तो घटती जाएगी, लेकिन पेंशनर्स बढ़ेंगे. मौजूदा आंकड़ों पर नजर डालें तो हिमाचल में इस वित्त वर्ष यानी 2024-25 में पेंशनर्स की संख्या 1 लाख, 89 हजार, 466 है. अगले साल ये संख्या बढ़ेगी और 2025-26 में ये आंकड़ा 1 लाख, 99 हजार, 931 होगा. यानी दो लाख के करीब. फिर 2026-27 में पेंशनर्स का आंकड़ा दो लाख की संख्या क्रॉस कर जाएगा. तब ये संख्या 2 लाख, 08 हजार, 896 होगी. उससे अगले वित्त वर्ष में यानी 2027-28 में ये आंकड़ा बढ़कर 2 लाख, 17 हजार, 115 हो जाएगा. फिर वित्त वर्ष 2028-29 में हिमाचल प्रदेश में पेंशनर्स की संख्या 2 लाख, 24 हजार, 563 होगी और उससे आगे वित्त वर्ष 2029-30 में ये बढ़कर 2 लाख, 31 हजार, 682 हो जाएगी. इसके साथ ही जब वित्त वर्ष 2030-31 शुरू होगा तो ये संख्या 2 लाख, 38 हजार, 827 हो जाएगी. उस समय की परिस्थितियों में भुगतान की व्यवस्था कैसी होगी, ये चिंता की बात है.

बढ़ता जाएगा खजाने पर भार

वित्त वर्ष 2024-25 में अंत तक पेंशन का खर्च 9961 करोड़ रुपए सालाना हो जाएगा. फिर 2025-26 में 10858 करोड़ रुपए सालाना, वर्ष 2026-27 में 16823 करोड़ रुपए, वर्ष 2027-28 में 17130 करोड़ रुपए सालाना, वर्ष 2028-29 में 17655 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2029-30 में 18420 करोड़ रुपए व वित्त वर्ष 2030-31 में ये खर्च 19628 करोड़ रुपए सालाना हो जाएगा. राज्य सरकार के वित्त सचिव रहे आईएएस अधिकारी (रिटायर) केआर भारती का कहना है, "स्थितियां निरंतर चिंता का विषय बनती जा रही हैं. छोटे राज्य के खजाने पर इतना बोझ है और संसाधन बढ़ नहीं रहे हैं. ऐसे में सरकार को खर्च पर नियंत्रण कर रेवेन्यू जुटाने के उपाय गंभीरता से लागू करने होंगे. पर्यटन व हाइड्रो पावर सेक्टर मददगार हो सकता है, बशर्ते नए प्रयोग किए जाएं."

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है,"सरकार कोई भी आए, उसके लिए वेतन व पेंशन का भुगतान एक गंभीर चिंता रहेगी ही. वाटर सेस वाला मामला सिरे चढ़ जाए और बिजली की सब्सिडी खत्म करने का इंपैक्ट खजाने पर आए तो स्थितियों में हल्का सुधार होगा." वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कई मंचों पर ये दोहरा चुके हैं और दावा कर चुके हैं कि वर्ष 2027 तक हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर होगा.

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