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मनाली घूमने का है प्लान? इन 10 टूरिस्ट प्लेस को करलें अपनी लिस्ट में शामिल, एडवेंचर से लेकर ट्रैकिंग हर चीज में बेस्ट - World Tourism Day 2024

World Tourism Day 2024: 27 सितंबर को वर्ल्ड टूरिज्म डे मनाया जाता है. इस मौके पर हम आपको हिमाचल के कुछ पर्यटन स्थलों के बारे में बताएंगे. आप यहां एक बार यहां जरूर जाना चाहेंगे. इन जगहों पर आप प्राकृतिक सुंदरता को निहारने के साथ साथ अध्यात्मिक, सहासिक पर्यटन गतिविधियों का भी मजा ले सकते हैं.

Himachal Tourism
हिमाचल में बेहद खूबसूरत हैं ये टूरिस्ट प्लेस (Himachal Tourism Department)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 26, 2024, 9:20 PM IST

Updated : Sep 27, 2024, 11:46 AM IST

कुल्लू: उतर भारत का हिमालयी इलाका जिसे देखने की चाह हर साल लाखों सेलानियों को पहाड़ों पर खींच लाती है. ऐसे ही वादियां हिमाचल प्रदेश की पर्यटन नगरी मनाली और जनजातीय जिला लाहौल स्पीति की गोद में बसी हैं, जिसके दीदार के लिए सैलानी बरबस खींचे चले आते हैं. मनाली और लाहौल स्पीति में कई ऐसे रोमांचक स्थल हैं कि जहां एक बार कोई आ जाए तो हर बार आने का मन करता है.

मनाली की वादियों में प्राकृतिक की खूबसूरती को निहारने के साथ साथ यहां ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग जैसी अनेकों साहसिक गतिविधियों का भरपूर आनंद भी लिया जा सकाता है. कुल्‍लू-मनाली और लाहौल स्पीति में घूमने आने वाले पर्यटकों को कुछ जगहों का दीदार जरूर करना चाहिए.

Himachal Tourism
रोहतांग दर्रा (Himachal Tourism Department)

देखते ही बनती है रोहतांग दर्रे की खूबसूरती

13050 फीट की ऊंचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा मनाली का एक अभिन्न अंग है. यह देश का ऐसा पर्यटन स्थल है जो जून में भी सैलानियों को बर्फ से रूबरू करवाता है. रोहतांग दर्रे का दृश्य सेलानियो को अचंभित करता है. इसके अलावा मनाली के कोठी से लेकर रोहतांग तक कई खूबसूरत नजारे, झरने, बर्फ की सफेद चादर से ढके पहाड़ ये नजारे आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां आने के लिए सेलानियों को ऑनलाइन परमिट हासिल करना पड़ता है. हालांकि एनजीटी के निर्देश के बाद अब मात्र 1200 पर्यटक वाहनों को ही जाने की अनुमति है, लेकिन अगर आप हिमाचल आ रहे हैं तो इस दर्रे के दीदार करना न भूलें.

अटल टनल का दीदार करना ना भूलें

रोहतांग दर्रे के नीचे पीर पंजाल की पहाड़ी को भेदकर बनाई अटल टनल का भी सैलानी दीदार कर सकते हैं. नौ किलोमीटर इस टनल को पार करने में दस मिनट का समय लगता है. पर्यटक यहां रुककर इसके निर्माण की विधि से भी अवगत हो सकते हैं. अटल टनल से निकलकर पर्यटक कुल्लू की ब्यूटीफुल वादियों से लाहौल की वंडरफुल वादियों में पहुंच जाते हैं. मनाली से अटल टनल की दूरी 18 किलोमीटर है. अटल टनल बनने से लाहौल घाटी के त्रिलोकीनाथ व मृकुला मंदिर में पहुंचना आसान हुआ है.

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मणिकर्ण गुरुद्वारा (Himachal Tourism Department)

बहुत प्राचीन हैं ये मंदिर

पर्यटन नगरी मनाली में स्थित माता हिडिंबा का मंदिर मनाली के दर्शनीय स्थलों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. हिडिम्बा मंदिर भीम की पत्नी हिडिम्बा को समर्पित है. यह बाकि मंदिरों की तुलना में एकदम भिन्न है. इसका प्रवेश द्वार लकड़ी से बना है और इसकी छत एक छतरी के आकार की है. ये पैगोड़ा शैली में बना है. इसके अलावा मनाली गांव में मनु ऋषि का मंदिर मनु ऋषि से जुड़ा है. मान्यता है कि पृथ्वी पर जब प्रलय आई थी तो मनु महाराज की नाव मनाली आकर रुकी थी. इसके अलावा ऋषि वशिष्ठ का मंदिर भी दर्शनीय है. हर तरफ शांति का माहौल और चाचों तरफ देवदार के लंबे-लंबे पेड़ों से ढकी वादियां इन मंदिरों को बेहद खूबसूरत बनाती हैं.

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सोलंगनाला (Himachal Tourism Department)

सोलंगनाला में ले सकते हैं सहासिक गतिविधियों का आनंद

मनाली शहर में आकर सबसे पहले आप सोलंग घूमने का आनंद उठा सकते हैं. यह पर्यटन स्थल साहसिक खेलों का हब है. यहां आकर आप पैराग्लाइडिंग, घुड़सवारी, रोपवे, माउंटेन बाइक, स्नो स्कूटर जैसी गतिविधि का आनंद उठा सकते हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोलंग नाला में पैराग्लाइडिंग का आनंद लिया था. सोलंग घाटी मनाली से 12 किलोमीटर दूरी पर ही है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. कुल्लू का मणिकर्ण पार्वती नदी के तट पर बसा हुआ है. यहां स्थित ऐतिहासिक मणिकर्ण गुरुद्वारा हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है. गुरुद्वारा हिंदुओं व सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है. यहां गर्म पानी के कुंड में स्नान का आनंद भी लिया जा सकता है. मणिकर्ण के आस-पास का वातावरण शांति और आध्यात्मिकता से जुड़ाव महसूस करवाता है.

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हिड़िंबा माता मंदिर (Himachal Tourism Department)

रोरिक आर्ट गैलरी का भी ले सकते हैं आनंद

प्राचीन समय में कुल्लू की राजधानी रही नग्गर भी सैलानियों की पहली पसंद है. यहां जगती पट्ट और करोड़ों देवी देवताओं का वास भी है. धार्मिक पर्यटन स्थल होने के साथ साथ यह स्थल निकोलस रोरिक से भी जुड़ा है. रौरिक आर्ट गैलरी भी यहां आने वाले पर्यटकों की पसंद रहती है और यहां आकर सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. यह जगह मनाली से 20 किलोमीटर की दूरी पर है.

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त्रिलोकीनाथ मंदिर (Himachal Tourism Department)

बौद्धों और हिंदुओं का धार्मिक स्थल त्रिलोकीनाथ

त्रिलोकीनाथ मंदिर बौद्धों और हिंदुओं दोनों के बीच धार्मिक महत्व रखता है. ये मंदिर गांव में एक चट्टान पर स्थित है. कुल्लू मनाली आने वाले पर्यटक यहां आसानी से पहुंच सकते हैं. त्रिलोकीनाथ के दर्शन कर आप सीधे किशोरी गांव होकर माता मृकला मंदिर पहुंच सकते हैं. दोनों देवताओं का आशीर्वाद लेकर शाम को वापस मनाली आ सकते हैं. हालांकि उदयपुर में भी रहने की व्यवस्था है और यह मनाली से 110 किलोमीटर दूर है.

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चंद्रताल झील (Himachal Tourism Department)

चंद्रताल झील में ले एजवेंचर का मजा

लाहौल स्पीति के पर्यटन स्थल चन्द्रताल-कुंजम दर्रा की खूबसूरती पर्यटकों को मोह लेती है. ये दोनों पर्यटक स्थल आसपास हैं. दोनों पर्यटन स्थल लाहौल से काजा की ओर जाने वाले रास्ते मे पड़ते हैं. चंद्रताल झील को हिमालय में लगभग 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सबसे खूबसूरत झीलों में गिना जाता है. ये झील एडवेंचर का शौक रखने वाले कई पर्यटकों को आकर्षित करती है. चंद्रताल मनाली से 140 किलोमीटर दूर है. पर्यटक आसानी से एक दिन में यहां घूम कर वापस मनाली पहुंच सकते हैं.

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कुंजुम टॉप (Himachal Tourism Department)

कुंजुम दर्रा से दिखता है स्पीति घाटी का शानदार नजारा

कुंजुम दर्रा सबसे ऊंचे पर्वत दर्रों में से एक है. यहां सैलानी आसानी से मोटर बाइक चला सकते हैं. ये समुद्र तल से 4,551 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से पर्यटक बारा-शिगरी ग्लेशियर (दुनिया का दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर), चंद्रभागा रेंज और स्पीति घाटी का शानदार दृश्य देख सकते हैं. यहां से आप चंद्रताल झील के लिए 9 किलोमीटर की ट्रैकिंग का मजा भी ले सकते हैं.

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नग्गर कैसल (Himachal Tourism Department)

स्पीति घाटी में दिखते हैं स्नो लैपर्ड और आईबैक्स

जिला लाहौल स्पीति का काजा स्पीति का मुख्‍यालय है. यह स्पीति नदी के बाढ़ग्रस्त मैदानों में स्थित है. लुभावने नजारों के अलावा यहां विश्राम गृह, होटल, स्वास्थ्य केंद्र और बाजार जैसी सुविधाएं भी मौजूद हैं. इस शहर में आकर हर पर्यटक शांति महसूस करता है स्पीति के सभी पर्यटन स्थल काजा के आसपास ही हैं. यहां की गोंपा, ढंखर गोंपा जैसे ऐतिहासिक गोंपाओं के आप दीदर कर सकते हैं. इन पर्यटन स्थलों में विलुप्त प्रजातियों के जीव जंतु स्नो लेपर्ड और आइबेक्स आसानी से दिख जाते हैं.

पिन वैली नेशनल पार्क में ले घूमने का आनंद

लाहौल और स्पीति जिले के ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र के बीच स्थित, पिन वैली नेशनल पार्क प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है. एडवेंचर का शौक रखने वालों के लिए भी पिन वैली नेशनल ट्रैक बेस्ट जगह है. 11,500 फीट से 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, पिन वैली पार्क को 1987 में वन्यजीव पार्क के रूप में गठित किया गया था. वन्यजीव पार्क के अलावा, पिन वैली पार्क ट्रैक प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. यहां आप कई एडवेंचरस एक्टिविटीज का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां जाने के लिए आप लंबा टूअर प्‍लान बना सकते हैं.

ये भी पढ़ें: यूपी की तर्ज पर हिमाचल में रेहड़ी फड़ी वालों को नाम और आईडी लगानी पड़ेगी: विक्रमादित्य सिंह

कुल्लू: उतर भारत का हिमालयी इलाका जिसे देखने की चाह हर साल लाखों सेलानियों को पहाड़ों पर खींच लाती है. ऐसे ही वादियां हिमाचल प्रदेश की पर्यटन नगरी मनाली और जनजातीय जिला लाहौल स्पीति की गोद में बसी हैं, जिसके दीदार के लिए सैलानी बरबस खींचे चले आते हैं. मनाली और लाहौल स्पीति में कई ऐसे रोमांचक स्थल हैं कि जहां एक बार कोई आ जाए तो हर बार आने का मन करता है.

मनाली की वादियों में प्राकृतिक की खूबसूरती को निहारने के साथ साथ यहां ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग जैसी अनेकों साहसिक गतिविधियों का भरपूर आनंद भी लिया जा सकाता है. कुल्‍लू-मनाली और लाहौल स्पीति में घूमने आने वाले पर्यटकों को कुछ जगहों का दीदार जरूर करना चाहिए.

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रोहतांग दर्रा (Himachal Tourism Department)

देखते ही बनती है रोहतांग दर्रे की खूबसूरती

13050 फीट की ऊंचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा मनाली का एक अभिन्न अंग है. यह देश का ऐसा पर्यटन स्थल है जो जून में भी सैलानियों को बर्फ से रूबरू करवाता है. रोहतांग दर्रे का दृश्य सेलानियो को अचंभित करता है. इसके अलावा मनाली के कोठी से लेकर रोहतांग तक कई खूबसूरत नजारे, झरने, बर्फ की सफेद चादर से ढके पहाड़ ये नजारे आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां आने के लिए सेलानियों को ऑनलाइन परमिट हासिल करना पड़ता है. हालांकि एनजीटी के निर्देश के बाद अब मात्र 1200 पर्यटक वाहनों को ही जाने की अनुमति है, लेकिन अगर आप हिमाचल आ रहे हैं तो इस दर्रे के दीदार करना न भूलें.

अटल टनल का दीदार करना ना भूलें

रोहतांग दर्रे के नीचे पीर पंजाल की पहाड़ी को भेदकर बनाई अटल टनल का भी सैलानी दीदार कर सकते हैं. नौ किलोमीटर इस टनल को पार करने में दस मिनट का समय लगता है. पर्यटक यहां रुककर इसके निर्माण की विधि से भी अवगत हो सकते हैं. अटल टनल से निकलकर पर्यटक कुल्लू की ब्यूटीफुल वादियों से लाहौल की वंडरफुल वादियों में पहुंच जाते हैं. मनाली से अटल टनल की दूरी 18 किलोमीटर है. अटल टनल बनने से लाहौल घाटी के त्रिलोकीनाथ व मृकुला मंदिर में पहुंचना आसान हुआ है.

Himachal Tourism
मणिकर्ण गुरुद्वारा (Himachal Tourism Department)

बहुत प्राचीन हैं ये मंदिर

पर्यटन नगरी मनाली में स्थित माता हिडिंबा का मंदिर मनाली के दर्शनीय स्थलों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. हिडिम्बा मंदिर भीम की पत्नी हिडिम्बा को समर्पित है. यह बाकि मंदिरों की तुलना में एकदम भिन्न है. इसका प्रवेश द्वार लकड़ी से बना है और इसकी छत एक छतरी के आकार की है. ये पैगोड़ा शैली में बना है. इसके अलावा मनाली गांव में मनु ऋषि का मंदिर मनु ऋषि से जुड़ा है. मान्यता है कि पृथ्वी पर जब प्रलय आई थी तो मनु महाराज की नाव मनाली आकर रुकी थी. इसके अलावा ऋषि वशिष्ठ का मंदिर भी दर्शनीय है. हर तरफ शांति का माहौल और चाचों तरफ देवदार के लंबे-लंबे पेड़ों से ढकी वादियां इन मंदिरों को बेहद खूबसूरत बनाती हैं.

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सोलंगनाला (Himachal Tourism Department)

सोलंगनाला में ले सकते हैं सहासिक गतिविधियों का आनंद

मनाली शहर में आकर सबसे पहले आप सोलंग घूमने का आनंद उठा सकते हैं. यह पर्यटन स्थल साहसिक खेलों का हब है. यहां आकर आप पैराग्लाइडिंग, घुड़सवारी, रोपवे, माउंटेन बाइक, स्नो स्कूटर जैसी गतिविधि का आनंद उठा सकते हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोलंग नाला में पैराग्लाइडिंग का आनंद लिया था. सोलंग घाटी मनाली से 12 किलोमीटर दूरी पर ही है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. कुल्लू का मणिकर्ण पार्वती नदी के तट पर बसा हुआ है. यहां स्थित ऐतिहासिक मणिकर्ण गुरुद्वारा हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है. गुरुद्वारा हिंदुओं व सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है. यहां गर्म पानी के कुंड में स्नान का आनंद भी लिया जा सकता है. मणिकर्ण के आस-पास का वातावरण शांति और आध्यात्मिकता से जुड़ाव महसूस करवाता है.

Himachal Tourism
हिड़िंबा माता मंदिर (Himachal Tourism Department)

रोरिक आर्ट गैलरी का भी ले सकते हैं आनंद

प्राचीन समय में कुल्लू की राजधानी रही नग्गर भी सैलानियों की पहली पसंद है. यहां जगती पट्ट और करोड़ों देवी देवताओं का वास भी है. धार्मिक पर्यटन स्थल होने के साथ साथ यह स्थल निकोलस रोरिक से भी जुड़ा है. रौरिक आर्ट गैलरी भी यहां आने वाले पर्यटकों की पसंद रहती है और यहां आकर सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. यह जगह मनाली से 20 किलोमीटर की दूरी पर है.

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त्रिलोकीनाथ मंदिर (Himachal Tourism Department)

बौद्धों और हिंदुओं का धार्मिक स्थल त्रिलोकीनाथ

त्रिलोकीनाथ मंदिर बौद्धों और हिंदुओं दोनों के बीच धार्मिक महत्व रखता है. ये मंदिर गांव में एक चट्टान पर स्थित है. कुल्लू मनाली आने वाले पर्यटक यहां आसानी से पहुंच सकते हैं. त्रिलोकीनाथ के दर्शन कर आप सीधे किशोरी गांव होकर माता मृकला मंदिर पहुंच सकते हैं. दोनों देवताओं का आशीर्वाद लेकर शाम को वापस मनाली आ सकते हैं. हालांकि उदयपुर में भी रहने की व्यवस्था है और यह मनाली से 110 किलोमीटर दूर है.

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चंद्रताल झील (Himachal Tourism Department)

चंद्रताल झील में ले एजवेंचर का मजा

लाहौल स्पीति के पर्यटन स्थल चन्द्रताल-कुंजम दर्रा की खूबसूरती पर्यटकों को मोह लेती है. ये दोनों पर्यटक स्थल आसपास हैं. दोनों पर्यटन स्थल लाहौल से काजा की ओर जाने वाले रास्ते मे पड़ते हैं. चंद्रताल झील को हिमालय में लगभग 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सबसे खूबसूरत झीलों में गिना जाता है. ये झील एडवेंचर का शौक रखने वाले कई पर्यटकों को आकर्षित करती है. चंद्रताल मनाली से 140 किलोमीटर दूर है. पर्यटक आसानी से एक दिन में यहां घूम कर वापस मनाली पहुंच सकते हैं.

Himachal Tourism
कुंजुम टॉप (Himachal Tourism Department)

कुंजुम दर्रा से दिखता है स्पीति घाटी का शानदार नजारा

कुंजुम दर्रा सबसे ऊंचे पर्वत दर्रों में से एक है. यहां सैलानी आसानी से मोटर बाइक चला सकते हैं. ये समुद्र तल से 4,551 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से पर्यटक बारा-शिगरी ग्लेशियर (दुनिया का दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर), चंद्रभागा रेंज और स्पीति घाटी का शानदार दृश्य देख सकते हैं. यहां से आप चंद्रताल झील के लिए 9 किलोमीटर की ट्रैकिंग का मजा भी ले सकते हैं.

Himachal Tourism
नग्गर कैसल (Himachal Tourism Department)

स्पीति घाटी में दिखते हैं स्नो लैपर्ड और आईबैक्स

जिला लाहौल स्पीति का काजा स्पीति का मुख्‍यालय है. यह स्पीति नदी के बाढ़ग्रस्त मैदानों में स्थित है. लुभावने नजारों के अलावा यहां विश्राम गृह, होटल, स्वास्थ्य केंद्र और बाजार जैसी सुविधाएं भी मौजूद हैं. इस शहर में आकर हर पर्यटक शांति महसूस करता है स्पीति के सभी पर्यटन स्थल काजा के आसपास ही हैं. यहां की गोंपा, ढंखर गोंपा जैसे ऐतिहासिक गोंपाओं के आप दीदर कर सकते हैं. इन पर्यटन स्थलों में विलुप्त प्रजातियों के जीव जंतु स्नो लेपर्ड और आइबेक्स आसानी से दिख जाते हैं.

पिन वैली नेशनल पार्क में ले घूमने का आनंद

लाहौल और स्पीति जिले के ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र के बीच स्थित, पिन वैली नेशनल पार्क प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है. एडवेंचर का शौक रखने वालों के लिए भी पिन वैली नेशनल ट्रैक बेस्ट जगह है. 11,500 फीट से 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, पिन वैली पार्क को 1987 में वन्यजीव पार्क के रूप में गठित किया गया था. वन्यजीव पार्क के अलावा, पिन वैली पार्क ट्रैक प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. यहां आप कई एडवेंचरस एक्टिविटीज का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां जाने के लिए आप लंबा टूअर प्‍लान बना सकते हैं.

ये भी पढ़ें: यूपी की तर्ज पर हिमाचल में रेहड़ी फड़ी वालों को नाम और आईडी लगानी पड़ेगी: विक्रमादित्य सिंह

Last Updated : Sep 27, 2024, 11:46 AM IST
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