शिमला: बजट पेश करने का जैसे ही समय आता है, हिमाचल के बागवान भरपूर उम्मीद के साथ सेब पर आयात शुल्क सौ फीसदी किए जाने की मांग उठाने लगते हैं. हिमाचल के बागवानों की ये आवाज कई कारणों से अनसुनी रह जाती है. इस बार भी इंपोर्ट ड्यूटी यानी आयात शुल्क सौ प्रतिशत किए जाने के साथ-साथ अन्य उम्मीदें लेकर बागवान बजट की प्रतीक्षा कर रहे हैं. सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी से जुड़ा वादा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी किया था. अप्रैल 2014 में जिस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में प्रचार में डटे थे, उन्होंने सोलन की रैली में वादा किया था कि यूपीए सरकार ने सेब के बाजार को खुला छोड़ दिया है. दुनिया का कोई भी देश यहां सेब भेज सकता है. यदि उन्हें सरकार में आने का मौका मिला तो ये सब ठीक किया जाएगा. बागवानों को आस जगी थी कि सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाएगी, लेकिन ये संभव नहीं हुआ. आखिर क्यों खास है हिमाचल की एप्पल इंडस्ट्री और यहां के बागवानों को क्यों चाहिए विदेश से आयात होने वाले सेब पर सौ फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी, इसकी पड़ताल करते हैं.
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हिमाचल और सेब
सबसे पहले हिमाचल की परिस्थितियों और यहां के बागवानों की मुश्किलों के बारे में बात करते हैं. हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन का दौर सौ साल का सफर पूरा कर चुका है. सेब यहां के बागवानों की आर्थिकी का बड़ा सहारा है. हिमाचल में हर साल ढाई से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. सालाना कारोबार 3500 से 4500 करोड़ रुपए का है. हिमाचल के अलावा देश में कश्मीर, उत्तराखंड व अरुणाचल प्रदेश में सेब उगाया जाता है. सेब उत्पादन के मामले में हिमाचल अन्य राज्यों से कई मायनों में आगे है. यदि कठिनाई की तरफ देखा जाए तो हिमाचल में सेब बागवानों के लिए सिंचाई की सुविधाओं की कमी, मुश्किल टैरेन, पहाड़ी रास्तों से मंडियों तक सेब पहुंचाने में दिक्कत और प्रति हेक्टेयर उत्पादन का खर्च सामने आता है. ऐसे में सेब उत्पादन की लागत अधिक हो जाती है. विदेश से आने वाला सेब सस्ता पड़ता है. कारण ये है कि वहां अत्याधुनिक तकनीक व सिंचाई सुविधाओं का प्रसार बहुत है. वहां उत्पादन की लागत कम है. ऐसे में हिमाचल के बागवान चाहते हैं कि विदेश से आने वाले सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाए. सौ फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी होने पर अन्य देशों को यहां सेब निर्यात करने में हतोत्साहित किया जा सकेगा और हिमाचल के बागवानों को अपनी उपज के अच्छे दाम मिल सकेंगे.
चीन, अमेरिका, न्यूजीलैंड सहित कई देशों से आयात
भारत में चीन, अमेरिका व न्यूजीलैंड सहित कई देशों से सेब का आयात होता है. ये सेब क्वालिटी के मामले में बेहतर होता है. इसकी शेल्फ लाइफ भी अच्छी होती है और ये दाम में सस्ता रहता है. फिर तुर्की से आने वाला सेब वाया अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए भारत आता है. ये ड्यूटी फ्री होने के कारण सस्ता होता है. इसकी मार भी हिमाचल के बागवानों पर पड़ती है. हिमाचल में चार लाख बागवान परिवार हैं. यहां बागीचों की जोत छोटी है और समस्याएं अधिक हैं. ऐसे में बागवान चाहते हैं कि सेब की इंपोर्ट ड्यूटी सौ फीसदी की जाए, ताकि विदेश से सेब कारोबार हतोत्साहित हो सके और हिमाचल के सेब को अच्छे दाम यहीं की मार्केट में मिले. कुल मिलाकर ये हिमाचल व अन्य सेब उत्पादक राज्यों के लिए लाभप्रद होगा.