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आपराधिक मामला लंबित होना पासपोर्ट से इनकार का आधार नहीं: हाईकोर्ट - high court news - HIGH COURT NEWS

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि आपराधिक मामला लंबित होना पासपोर्ट से इनकार का आधार नहीं है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 1, 2024, 6:54 AM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि आपराधिक मामला लंबित होना पासपोर्ट से इनकार का आधार नहीं है. न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की एकल पीठ ने यह आदेश अंबेडकर नगर निवासी अशोक कुमार की याचिका पर पारित किया. याची का कहना था कि उसने अंबेडकर नगर की एक निचली अदालत में पट्टीदार से मारपीट का एक मुकदमा लंबित होने के कारण पासपोर्ट प्राप्त करने की अनुमति मांगी थी. कहा गया कि निचली अदालत ने उसके प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. न्यायालय ने निचली अदालत के उक्त आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि पासपोर्ट से संबंधित अधिसूचना के तहत बस यह घोषित करना होता है कि आवेदक को किसी आपराधिक मामले में दो अथवा अधिक साल के कारावास की सजा नहीं मिली है. न्यायालय ने कहा कि हमारे विचार से भारत के नागरिक को पासपोर्ट का अधिकार है.

भरवारा रेलवे ओवर ब्रिज का काम पूर्ण करने में क्या कठिनाई, HC ने पूछा
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोमती नगर के भरवारा रेलवे क्रासिंग पर प्रस्तावित ओवर ब्रिज के संबंध में भारतीय रेलवे, राज्य सरकार, राज्य ब्रिज कॉर्पोरेशन व एलडीए से जवाब मांगा है. न्यायालय ने इन सभी को अलग-अलग हफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि उक्त रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण में क्या कठिनाई सामने आ रही है। मामल की अगली सुनवाई 23 मई को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने वैज्ञानिक स्वामी सत्य प्रकाश वेद विज्ञान सेवा समिति की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया है. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए आवश्यक जमीनों ओर अभी कब्जे नहीं लिए गए हैं और कब्जा लिए जाने से पूर्व विधि के तहत पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा तथा याचियों को क्षतिपूर्ति भी दी जाएगी. वहीं सुनवाई के दौरान न्यायालय को यह भी बताया गया कि टेंडर नोटिस में दिए गए समय के भीतर निर्माण कार्य पूरा करने का सभी प्रयास किया गया लेकिन राजस्व अधिकारियों की ओर से जमीनों के सर्वेक्षण में उत्पन्न की गई कठिनाईयों के कारण उक्त प्रोजेक्ट में आ रही संपत्तियों के एवज में प्रस्तावित क्षतिपूर्ति का निर्धारण नहीं किया जा सका है। इस पर न्यायालय ने कठिनाईयों का ब्यौरा तलब कर लिया.


वहीं सुनवाई के दौरान उक्त रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के विरुद्ध दाखिल हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र को न्यायालय ने खारिज कर दिया. न्यायालय ने पाया कि इस सम्बंध में हस्तक्षेप प्रार्थी द्वारा एक याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने ओवर ब्रिज के निर्माण के विरुद्ध अपनी मांग को बल न दिए जाने की बात कही थी लिहाजा वर्तमान याचिका में उसकी उक्त मांग पर सुनवाई नहीं की जा सकती है.

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