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ज्ञानवापी मूलवाद में आज पक्षकार पर फैसला संभव, फास्ट ट्रैक कोर्ट में पुलिसबल की मौजूदगी में होगी सुनवाई - hearing on originality of Gyanvapi - HEARING ON ORIGINALITY OF GYANVAPI

ज्ञानवापी के मूलवाद की सुनवाई आज वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी. इसको लेकर कोर्ट परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 15, 2024, 12:35 PM IST

वाराणसी:ज्ञानवापी के मूलवाद की सुनवाई बुधवार को वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी. इस मामले में पक्षकार बनाए जाने की जिरह पूरी हो चुकी है. सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) प्रशांत सिंह की कोर्ट इस पर सुनवाई करेगी. इस दौरान कोर्ट परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल की भी तैनाती रहेगी. वहीं, ज्ञानवापी में संपूर्ण परिसर का सर्वे कराए जाने की भी मांग उठेगी. पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी इस मांग को उठाएंगे. साथ ही सोमनाथ व्यास के नाती को पक्षकार बनाने के मामले में पुनर्विचार याचिका पर फैसला संभव है.

इस केस में सुनवाई के दौरान पिछले दिनों विवाद हुआ था. इसमें एक वकील ने दूसरे पर हमला कर दिया. मारपीट करते हुए उसे कोर्ट रूम से बाहर कर दिया था. ऐसे में सुरक्षा का खयाल रखा गया है और आज कोर्ट रूम में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है. आज ही ज्ञानवापी के 1991 के प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मामले में वादी रहे सोमनाथ व्यास के नाती को पक्षकार बनाने के मामले में पुनर्विचार याचिका पर फैसला संभव है. व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार पाने के बाद शैलेंद्र पाठक ने खुद को मूल वाद में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है.

पक्षकार बनाए जाने पर फैसला संभव:ज्ञानवापी मामले से जुड़े मूलवाद में सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) प्रशांत सिंह की कोर्ट इस पर सुनवाई करेगी. पक्षकार बनाए जाने को लेकर सुनवाई जारी है. यह सुनवाई आदिविश्वेश्वर के वाद में शैलेंद्र पाठक और जैलेंद्र पाठक को पक्षकार बनाने की अपील पर हो रही है. कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलील मांगी थी. वहीं, वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से पक्षकार बनने की अर्जी दाखिल की गई थी. इसका मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया था. इस पूरे मामले की सुनवाई करते हुए जज ने 15 मई की तारीख तय की थी. माना जा रहा है कि आज इस मामले में फैसला संभव है.

संपूर्ण सर्वे करने की अर्जी पर होगी बहस:आज कोर्ट में हो रही सुनवाई में पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी ज्ञानवापी में संपूर्ण परिसर का सर्वे करने की मांग करेंगे. प्रार्थना पत्र संख्या-432 पर 1991 के वाद में संपूर्ण सर्वे करने की अर्जी पर भी बहस होगी. उन्होंने पिछली सुनवाई में दलील दी थी, कि हाईकोर्ट ने 6 माह में मुकदमे का निस्तारण करने के आदेश दिए हैं. ऐसे में इसे जल्द ही पूरा किया जाए. ज्ञानवापी परिसर की आराजी नंबर-9130 का एएसआई सर्वे हो गया है, जबकि आदि विश्वेश्वर की आराजी में रकबा नंबर- 9131 और 32 में स्थिति जानने का भी सर्वे हो जाना चाहिए.

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शेष हिस्सों का सर्वे कराने की मांग:कोर्ट में वादी की ओर से दलील दी गई है, कि इस आराजी में भगवान आदि विशेश्वर का बड़ा मंदिर, चहारदीवारी और बहुत पुराना मंदिर है. ASI की ओर से ज्ञानवापी परिसर के शेष हिस्सों का भी सर्वे होना चाहिए. वहीं, पूजा के अधिकार को लेकर शैलेंद्र पाठक व्यास ने कोर्ट से कहा है कि सात मार्च 2000 को पं. सोमनाथ व्यास का निधन हो गया. उनके स्थान पर पैरवी करने के लिए अदालत ने पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र नियुक्त किया. अब उनके नाती मामले में पैरवी करते हुए आगे तक ले जाना चाहते हैं.

कोर्ट के आदेश के बाद हो रही पूजा:वहीं, विजय शंकर रस्तोगी का कहना है, कि इस मामले में अब वही जीवित वादी बचे हैं. इस मामले के अन्य वादियों की मृत्यु हो चुकी है. उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इलस मामले को जल्द से जल्द फैसले की ओर ले जाया जाए. बता दें कि 10 दिसंबर 2019 को विशेश्वरनाथ के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अदालत में एएसआई सर्वे की अपील की थी. शैलेंद्र पाठक व्यास का कहना है, कि व्यास परिवार 143 वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहा था. पिछले 30 वर्ष से तहखाने में पूजा बंद थी. अब कोर्ट के आदेश के बाद पूजा करने का काम फिर से शुरू हुआ है.

BHU में RSS शस्त्रागार केस में सुनवाई आज: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में RSS आर्मरी या RSS पवेलियन की जमीन के लिए आज वाराणसी के लोअर कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले को लेकर तीन महीने पहले याचिका दायर की गई थी. इस मामले में सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख तय की गई थी. यह केस दुनिया की पहली हिंदू यूनिवर्सिटी काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आज के सबसे बड़े हिंदू संगठन RSS की आर्मरी (शस्त्रागार) से जुड़ा है. अपीलकर्ता का कहना है कि 1937 में बनी ये हेरिटेज बिल्डिंग थी. हेडगेवार और गोलवलकर के कहने पर मावलीय जी ने जमीन उपलब्ध कराई थी. मदन मोहन मालवीय के आर्किटेक्ट और सिविल इंजीनियर राजा ज्वाला प्रसाद सिंह ने इसे बनवाया था.

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