प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में मंगलवार को ज्ञानवापी मामले की सुनवाई हुई. मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की याचिक पर सुनवाई हुई. अदालत ने ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष की संशोधन अर्जी स्वीकार कर ली. अब जिला जज के आदेश पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर बहस (Hearing on Muslim side s petition in Gyanvapi case) बुधवार को भी जारी रहेगी.
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाना में पूजा करने का आदेश देने के खिलाफ हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर मस्जिद पक्ष की ओर से दी गई संशोधन अर्जी हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली. संशोधन अर्जी में जिला जज वाराणसी द्वारा 17 जनवरी को जिला अधिकारी को रिसीवर नियुक्त करने के आदेश को भी चुनौती दे दी गई है. इस प्रकार से कोर्ट में जिला जज वाराणसी के 17 जनवरी और 31 जनवरी के दोनों आदेशों के खिलाफ अपील दाखिल हो गई है. इस पर सुनवाई जारी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ कर रही है.
मंगलवार को मस्जिद पक्ष की ओर से कहा गया कि जिला जज का आदेश एक पक्षीय है. व्यास परिवार का कभी भी तहखाने में कब्जा नहीं था और ना ही कभी वहां पूजा आरती की जाती थी. पूजा किए जाने की बात कृत्रिम रूप से तैयार की गई है. दिसंबर 1993 में पूजा किए जाने से रोकने की बात भी काल्पनिक है. मस्जिद पक्ष का कहना था कि 1993 में यदि पूजा करने से रोका गया, तो उसके बाद उस आदेश को कहीं भी चुनौती क्यों नहीं दी गई और वर्ष 2023 में आकर यह मामला उठाया गया. मस्जिद पक्ष की यह भी दलील थी कि जिला जज ने अपने 31 जनवरी के आदेश में जिला अधिकारी को 7 दिन के भीतर व्यवस्था करने का आदेश दिया था, मगर जिला अधिकारी ने उसी रात पूजा शुरू करवा दी.
वह अदालत में मौजूद नहीं थे इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि कोर्ट ने उनको मौखिक आदेश दिया था. उन्हें कोर्ट के आदेश की प्रति कैसे मिली. अदालत ने मस्जिद पक्ष से जानना चाहा कि क्या आप लोग उस स्थान पर काबिज़ थे इस पर मस्जिद पक्ष का कहना था कि तहखाना उनकी मस्जिद के नीचे बना है. कोर्ट में हिंदू पक्ष से जानना चाहा कि उनका प्रार्थना पत्र जिसमें की रिसीवर नियुक्त करने और पूजा का अधिकार दिए जाने की दो मांगे थी. उनमें से जिला जज ने 17 जनवरी के आदेश में एक मांग रिसीवर नियुक्त करने की स्वीकार कर ली और प्रार्थना पत्र निस्तारित कर दिया.