हरियाणा में सियासी घमासान तेज, दुष्यंत बोले- कांग्रेस अगर सरकार गिराए तो हमारा समर्थन, सीएम का पलटवार- अल्पमत में नहीं है सरकार - Haryana Political Crisis - HARYANA POLITICAL CRISIS
Haryana Political Crisis: हरियाणा सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद से सूबे में सियासी घमासान मचा है. पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने तो यहां तक कह दिया कि अगर कांग्रेस सरकार गिराने की कोशिश करेगी तो वो कांग्रेस का साथ देंगे. वहीं बीजेपी कह रही है कि घबराने की कोई बात नहीं है.
हरियाणा में सियासी घमासान तेज, दुष्यंत बोले- कांग्रेस अगर सरकार गिराए तो हमारा समर्थन, सीएम का पलटवार- अल्पमत में नहीं है सरकार (Etv Bharat)
करनाल: हरियाणा में एक बार फिर से सियासी बवाल मचा है. मंगलवार को अचानक से तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. तीनों निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है. इसी के साथ सीएम नायब सैनी की अगुवाई वाली हरियाणा बीजेपी सरकार पर अल्पमत का खतरा मंडरा रहा है. मार्च में ही जेजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद बीजेपी ने निर्दलियों के समर्थन से सरकार बनाई थी. अब तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. इनमें पूंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान शामिल हैं.
दुष्यंत ने सीएम से मांगा इस्तीफा: इस मुद्दे पर पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने हिसार में जेजेपी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई. इस दौरान दुष्यंत चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा कि तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. जिसके बाद हरियाणा सरकार मौजूदा आंकड़ों में अल्पमत में आ गई है.
कांग्रेस को समर्थन देंगे दुष्यंत चौटाला? दुष्यंत ने कहा कि अब कांग्रेस पार्टी को देखना है कि क्या वो बीजेपी सरकार को गिराना चाहती है कि नहीं. अगर वो बीजेपी सरकार को गिराना चाहती है, तो हम भी बाहर से सरकार गिराने में उनका समर्थन करेंगे. अब ये कांग्रेस को सोचना है कि वो बीजेपी सरकार को गिराने के लिए कोई कदम उठाएंगे या नहीं. हम बाहर से समर्थन देंगे. जब तक व्हिप की ताकत है. तब तक वोट सबको व्हिप के आदेश अनुसार डालना पड़ेगा.
'अल्पमत में हरियाणा सरकार': इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार अल्पमत में आ गई है. दीपेंद्र हुड्डा ने दावा किया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी हरियाणा से जा रही है और भूपेंद्र हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस सरकार बना रही है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान वो जहां भी जा रहे हैं. उन्हें लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है.
निर्दलीय विधायक का BJP पर अनेदखी का आरोप: हरियाणा सरकार से समर्थन वापस लेने वाले नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा "हमने राज्यसभा चुनाव, राष्ट्रपति चुनाव में सरकार का समर्थन किया था. नए सीएम नायब सैनी को भी हमने अपना समर्थन दिया. अब पूरे देश में चुनाव चल रहा है. करनाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनोहर लाल चुनावी मैदान में हैं. नीलोखेड़ी, तरावड़ी, निसिंग में मनोहर लाल के कई कार्यक्रम हुए. मुझे किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया. अब मैंने हल्के की जनता के कहने पर समर्थन वापस ले लिया है."
निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा "हम तीन विधायकों ने समर्थन सरकार से वापस लिया है. कांग्रेस गरीब, किसान हित की पार्टी है. कांग्रेस एक अच्छी पार्टी है. मुझे हल्के की जनता ने आशीर्वाद दिया था. मुझे अपने हल्के के किसी भी कार्यक्रम में चुनाव के दौरान बीजेपी ने नहीं बुलाया. अभी कांग्रेस में शामिल होने की कोई बात नहीं है और ना हमें मंत्री पद चाहिए. बस हम अपने हल्के का काम करवाना चाहते हैं. बता दें कि धर्मपाल गोंदर करनाल के नीलोखेड़ी से विधायक हैं, जो कि एक आरक्षित सीट है. उन्होंने यहां से निर्दलीय चुनाव जीता था और बीजेपी सरकार को समर्थन दिया था."
सरकार को कोई खतरा नहीं: तीन निर्दलीय विधायकों के बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने पर सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि "प्रदेश सरकार अल्पमत में नहीं है. सरकार को कोई खतरा नहीं है. सरकार बड़ी मजबूती से काम कर रही है. सरकार को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है. कांग्रेस की इच्छा पूरी नहीं होने वाली है. कांग्रेस के नेता सरकार के गिरने की भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं".
जानें मनोहर लाल ने क्या कहा: इस पूरे मुद्दे पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और करनाल लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार मनोहर लाल ने कहा कि बहुत से विधायक हमारे संपर्क में हैं. किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि देश में फिलहाल चुनावी माहौल है. कौन किधर जाता है, किधर नहीं जाता. उससे असर नहीं पड़ता, कई विधायक हमारे संपर्क में हैं. इसलिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. कब, कौन क्या करेगा. चुनाव अभी लंबा चलेगा.
हरियाणा का सियासी गणित:हरियाणा में 90 विधानसभा सीट हैं. सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 46 है. अब दो इस्तीफों के बाद 88 विधायक बचे हैं. यानी बहुमत का आंकडा घटकर 45 हो गया है. बता दें किहरियाणा विधानसभा 2019 के चुनावी नतीजों में बीजेपी को 40, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10, हरियाणा लोकहित पार्टी को 1, इंडियन नेशनल लोकदल को 1 और निर्दलीयों को 7 सीटें मिली थी. हरियाणा में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 46 है. लिहाजा बीजेपी-जेजेपी ने गठबंधन कर सरकार बनाई. महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू को छोड़कर बाकी 6 निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी को समर्थन दिया.
वर्तमान में हरियाणा विधानसभा की स्थिति
पार्टी
विधायकों की संख्या
बदलाव
BJP
40
मनोहर लाल के इस्तीफे के बाद
Congress
30
JJP
10
INLD
01
HLP
01
Independent
06
रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद
Total
88
2 इस्तीफे, कुल- 90 सीटें
कुलदीप बिश्नोई के आने से बीजेपी हुई थी मजबूत: बीच में कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. जिसके बाद आदमपुर विधानसभा उपचुनाव हुआ. इस चुनाव में कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई की जीत हुई. जिसके बाद विधानसभा में बीजेपी की संख्या 41 और कांग्रेस की 30 हो गई. मई में जेजेपी से गठबंधन तोड़कर हरियाणा का सीएम बदल दिया गया. मनोहर लाल को हटाकर नायब सैनी की ताजपोशी हुई. मनोहर लाल ने करनाल विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. इसके अलावा रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. लिहाजा 90 में दो सीट खाली हो गई.
सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़, मनोहर लाल और रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद
पार्टी
विधायकों की संख्या
BJP 40+2 Ind+1HLP
43
Congress 30+3 IND
33
JJP
10
INLD
01
Independent
01
बहुमत
45
हरियाणा विधानसभा की वर्तमान स्थिति:मनोहर लाल के इस्तीफे के बाद नायब सैनी सरकार को 89 में से 47 विधायकों का समर्थन प्राप्त था. जिसमें भाजपा के 40, हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा और 6 निर्दलीय विधायक शामिल थे. रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद ये आंकड़ा बीजेपी के पास 46 का रह गया. विधायकों की संख्या भी 88 रह गई. अब तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन रह गया है. अगर नायब सैनी चुनाव जीत जाते हैं, तो ये आंकड़ा 44 हो जाएगा. वर्तमान परिस्थितियों में विधानसभा के सदस्यों की संख्या 88 है. बहुमत के लिए 45 विधायकों का होना जरूरी है. फिलहाल सरकार के पास अभी 43 विधायकों का समर्थन है.