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हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर एक्शन मोड में BJP, 55 सीटों पर लगी मुहर, कब होगी पहली लिस्ट जारी? - Haryana Assembly polls

Haryana Assembly polls: जाट प्लस और अन्य के फॉर्मूले के सहारे मिशन हरियाणा की लड़ाई जीतने में भाजपा जुट गई है ,गुरुवार को पूरे दिन और आधी रात तक मंथन के बाद जहां लगभग 55 सीटों पर मुहर लगी थी वहीं शुक्रवार को भी पूरे दिन चली कोर कमिटी की बैठक में 35 सीटों पर भी चर्चा हुई. सूत्रों की माने तो अगले 24 घंटे में भाजपा हरियाणा के लिए अपनी पहली उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर सकती है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा सीईसी की बैठक (ANI and ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2024, 10:56 PM IST

नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई. कल देर रात हुई बैठक में लगभग 55 सीट पर फाइनल मुहर लग गई है. हालांकि, अभी तक पहली लिस्ट जारी नहीं की गई है. सूत्रों के मुताबिक, अगले 24 घंटे के अंदर बीजेपी हरियाणा के लिए पहली लिस्ट जारी कर सकती है. 35 सीटों पर आज (शुक्रवार) फिर से कोर ग्रुप की बैठक हुई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट (ETV Bharat)

बता दें कि, हरियाणा में भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में पूरे दम खम के साथ जुटी है. हालांकि अंदरखाने पार्टी को ये मालूम है कि, इस बार उसे चुनावी मैदान में कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल सकती है. वह इसलिए क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को आगे कर कांग्रेस जाट समुदाय को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस जहां जाट,मुस्लिम और दलित समुदाय के समीकरण पर दावे लगा रही वहीं भाजपा उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ज्यादा से ज्यादा समुदाय को लुभाने की तैयारी कर रही है.

भाजपा एक तरफ जहां हरियाणा की सबसे बड़ी आबादी जाटों को लुभाने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ दलितों और ओबीसी के साथ-साथ ब्राह्मण, पंजाबी, जाट सिख,राजपूत,गुर्जर जैसे अन्य समुदायों को भी पार्टी के साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है. बीजेपी ने जहां एक तरफ जाट नेता किरण चौधरी को बीजेपी में शामिल कराकर उनको राज्ययभा भेजा तो वहीं ओलंपिक में पदक से चूकने के बावजूद विनेश फोगाट को तमाम पुरस्कारों से नवाजा. बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी समाज के सभी वर्गों के साथ ही जाट समाज को पूरी तवज्जों और अहमियत देती है.

भाजपा की रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि जो समुदाय पूरी तरह से साथ नहीं है,उनमें ज्यादा से ज्यादा वोटों का बिखराव पैदा किया जाए. यही वजह है कि जाट वोट बैंक में सेंघ लगाने के लिए भाजपा हरियाणा से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों और किसानों की पार्टी माने जाने वाले जयंत चौधरी को आगे करने जा रही है. हरियाणा में जाटों की आबादी 22 फीसदी से ज्यादा है. भाजपा जयंत चौधरी की पार्टी रालोद को हरियाणा में 2 -3 सीटें देकर, जाट वोटरों को संदेश देना चाहती है.

इसके साथ ही पार्टी राज्य में जीत हार में अहम भूमिका निभाने वाले अन्य समुदायों पर भी टारगेट कर रही है. जाट के बाद हरियाणा में सबसे बड़ी जनसंख्या अनुसूचित जाति की है जिनकी तादाद 21 फीसदी के लगभग है. पार्टी को अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं के सहारे दलितों का वोट मिलने की उम्मीद है. भाजपा की रणनीति यह है कि, अभय चौटाला, मायावती, दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर के दोनों गठबंधनों पर ज्यादा से ज्यादा हमला बोल कर दलित और जाट वोट बैंक में बंटवारा किया जाए. वहीं हुड्डा और कुमारी शैलेजा के बीच मतभेद को उभार कर कांग्रेस को दलित विरोधी साबित किया जाए.

मुख्यमंत्री सैनी ने जाटों को देशभक्त बताकर जाट के साथ साथ किसान समुदाय का भी भरोसा जीतने की कोशिश की है. वहीं ओबीसी समुदाय को लुभाने के लिए पार्टी के पास ओबीसी का मुख्यमंत्री चेहरा नायब सिंह सैनी हैं. सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं और वे ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी हैं. ऐसे में भाजपा को लगता है कि, ओबीसी समाज एकजुट होकर भाजपा को वोट करेगा. राज्य की आबादी में 7.5 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले ब्राह्मण समुदाय को लुभाने के लिए ही पार्टी ने अपने ब्राह्मण नेता मोहन लाल बडौली को हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.

इसके साथ ही पार्टी 8 फीसदी वाले पंजाबी, 5 फीसदी वाले वैश्य, 4 फीसदी वाले जाट सिख, 3.5 फीसदी वाले राजपूत और लगभग इतनी ही संख्या वाले गुर्जर और अन्य समुदाय को लुभाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के नेताओं को अलग अलग इलाकों में जिम्मेदारी भी दी गई है. कुल मिलाकर कहा जाए तो भाजपा ने हरियाणा का रण जितने के लिए एड़ी चोटी का दम लगा दिया है, जिसे लेकर पार्टी फूल प्रूफ प्लान के साथ ही चुनावी मैदान उतरना चाहती है. क्योंकि इस बार पार्टी अकेले ही चुनाव में उतर रही और गठबंधन को लेकर आगे भी कोई संभावना बहुत साफ नहीं दिख रही है.

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