वाराणसी: ज्ञानवापी के आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या 355 सालों से चल रहा है यह विवाद अब खत्म होगा? 1669 में ज्ञानवापी मंदिर को ध्वस्त करके जिस मस्जिद के निर्माण की बात ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट में सामने आई है. इस मामले में 33 सालों से मुकदमे चल रहे हैं. पुराने मुकदमों के साथ नए मुकदमे भी जुड़ते गए और एक के बाद एक कई मुकदमे दायर होते गए. 1991 के लॉर्ड आदि विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के मुकदमे के बाद 2021 में परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की याचिका पांच महिलाओं द्वारा दायर करने के बाद एक के बाद एक कई और मुकदमे दायर होते गए.
एक के बाद एक कई केस दाखिल: इसके बाद अब सवाल यही है कि इस सर्वे रिपोर्ट के सामने आने के बाद क्या यह विभाग खत्म हो पाएगा या अभी और भी मुकदमे वाली जारी रहेगी. दरअसल ज्ञानवापी को लेकर पहला मुकदमा 1991 में लॉर्ड विश्वेश्वर मामले में दाखिल हुआ था. इस मामले में भी असी सर्वे कराए जाने की मांग की गई थी लेकिन बाद में इस पर हाई कोर्ट से स्टे ले लिया गया था. इसके बाद 17 अगस्त 2021 को राखी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू ब्यास और लक्ष्मी देवी की तरफ से एक नया वाद दाखिल किया गया.
पूरे ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने की मांग की गयी: इसमें परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग की गई और पूरे परिसर का सर्वे कराए जाने की भी बात कही गई. बाद में मामला जिला जज की अदालत में ट्रांसफर हुआ और 2 साल तक सुनवाई जारी रहने के बाद 21 जुलाई 2023 को जिला जज ने इस पूरे परिसर का वैज्ञानिक विधि से आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के द्वारा सर्वे कराए जाने का आदेश दिया. अगर इतिहास के झरोखे से देखा जाए तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सर्वे रिपोर्ट अयोध्या से राम मंदिर की तरह ही काशी के ज्ञानवापी के विवाद को खत्म करने के लिए बड़ा सबूत साबित हो सकती है. 1669 से चल रहा है यह विवाद भले ही न्यायालय में 33 सालों से हो लेकिन अयोध्या राम जन्मभूमि की तर्ज पर ही काशी का भी यह विवाद 355 सालों से जारी है.
मुस्लिम पक्ष ने जतायी ASI रिपोर्ट पर आपत्ति: सबसे बड़ी बात यह है कि इसी सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाकर अब हिंदू यानी वादी पक्ष अब लंबी कानूनी लड़ाई के अंत की बात कर रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष अब और लड़ाई तेज करने की और अग्रसर करने के दावे कर रहा है. सभी सबूत को आधार बनाकर एक तरफ जहां नए मुकदमे को मजबूत करने की तैयारी है तो पुराने मुकदमे में भी इस सर्वे रिपोर्ट को सीनियर जज सिविल डिवीजन की अदालत में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के वकील के द्वारा दाखिल किया जा चुका है. जिससे पुराने मुकदमे को भी आगे बढ़ाए जाने में काफी मदद मिलेगी, जो 2018 में लगे स्टे के हाई कोर्ट के आदेश के बाद हटने के बाद अब इस पर भी सुनवाई शुरू हो चुकी है.
क्या है हिंदू पक्ष का दावा:ज्ञानवापी को लेकर वादी यानी हिंदू पक्ष की तरफ से यह दावा है की मस्जिद परिसर में 100 फीट ऊंचा आदि विशेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन औरंगजेब ने 1664 में मंदिर को तुड़वा दिया दावे में यह भी कहा गया है की मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसी के स्ट्रक्चर पर किया गया है, जो इस सर्वे रिपोर्ट से भी अब साफ हो रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बनाकर इस पूरे मसले को काफी हद तक दबा कर रखा. इस कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता. अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे 1 से 3 साल की जय और जुर्माना हो सकता है.