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ज्ञानवापी मामला: हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, मुस्लिम पक्ष की याचिका स्वीकार

ज्ञानवापी मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. अब सुप्रीम कोर्ट (Gyanvapi case) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति दे दी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 1, 2024, 4:22 PM IST

वाराणसी :ज्ञानवापी मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति दे दी है. ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली समिति अंजुमन इंतजामियां समेत अन्य मुस्लिम पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें स्वामित्व की मांग वाली मुस्लिम पक्ष की पांचों याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं. मुस्लिम पक्ष का कहना था कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का हस्तक्षेप ठीक नहीं है.

ज्ञानवापी मामला

पांच याचिकाओं को कर दिया था खारिज :बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल 19 दिसंबर को टाइटल सूट को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका सहित पांच याचिकाओं को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि वाराणसी में मस्जिद वाली जगह पर मंदिर के पुनर्स्थापना की मांग करने वाले मुकदमे सुनवाई योग्य है. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि हम इस मामले को मुख्य मामले के साथ जोड़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट में याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद द्वारा दायर की गई थी. यही समिति ज्ञानवापी के सभी मामलों को देख रही है. मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए अपना पक्ष रखा है और कहा है कि इस कानून के तहत ज्ञानवापी परिसर में कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. इसके बाद भी 19 दिसंबर को पिछले साल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी के मामले में इस नियम के आगे ना आने की बात कहते हुए पांच मुकदमों को खारिज कर दिया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि मंदिर के जीर्णोद्धार संबंधी याचिका सुनवाई योग्य है.

महत्वपूर्ण बिंदु

अदालत में इस मुद्दे पर अन्य विशेष अनुमति याचिकाओं के साथ मस्जिद समिति की नवीनतम याचिका का भी निर्देश दिया है. राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे दो निजी वकीलों की तरफ से कोर्ट में पेश हुए थे और मस्जिद कमेटी की दलीलों का जवाब दिया. मस्जिद कमेटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने कहा है कि सबसे पुराने मुकदमे 1991 को बनाए रखने योग्य रखने वाले उच्च न्यायालय के आदेश का हम विरोध करते हैं. उसके खिलाफ कोर्ट से रोक लगाने की गुहार करते हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन दो दिन पहले ही याचिका दाखिल कर चुके हैं. उन्होंने ज्ञानवापी तहखाना में कोर्ट को वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हुए पूजा पाठ को लेकर हाईकोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया था और बताया था कि 26 फरवरी को मुस्लिम पक्ष की पांच याचिकाओं को सुनवाई के बाद खारिज किया गया था.

जानिए क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट

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