लखनऊ: किसी हादसे में विकृत हुए अंगों को जोड़ने में माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी से सफलता की संभावना अधिक होती है. इस क्षेत्र में नई तकनीकों का इस्तेमाल होने से मरीजों को राहत मिल रही है. यह जानकारी प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. बृजेश मिश्रा ने साझा की. वह किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के जनरल सर्जरी विभाग के 113वें स्थापना दिवस पर बुधवार को आयोजित हुई कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.
विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अभिनव अरुण सोनकर के मार्गदर्शन में सर्जिकल शिक्षा कार्यक्रम का बुधवार को दूसरा दिन आयोजित किया. केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड प्रो. विजय कुमार ने बर्न (आग) की चोट के उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा की. इस दौरान उन्होंने बताया कि जले हुए गंभीर मरीजों को इस विभाग में नया जीवन मिल रहा है. साथ ही कटा हुआ अंग समय पर डॉक्टर के पास पहुंचने से उसे आसानी से जोड़ा जा सकता है. इसके लिए जागरूकता जरुरी है.
जीएसवीएम कानपुर के डॉ. प्रेम शंकर ने प्लास्टिक सर्जरी अवधारणाओं पर जानकारी साझा की. वहीं, डॉ. अभिनव अरुण सोनकर ने कहा कि पित्ताशय की थैली में कैंसर का सटीक इलाज ऑपरेशन है, लेकिन लोग ऑपरेशन से घबराते हैं. ऑपरेशन कराना ठीक रहेगा या नहीं. इसी उहापोह में मरीज कीमती समय गंवा देते हैं. मरीजों को डॉक्टरों पर भरोसा कर इलाज कराना चाहिए. ऑपरेशन पूरी तरह से सुरक्षित है. इससे काफी हद तक बीमारी पर भी काबू पाया जा सकता है.
डॉ. शिव राजन ने कहा कि खाने की नली के कैंसर के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. इसकी बढ़ी वजह तम्बाकू व शराब का सेवन है. धूम्रपान, तम्बाकू व शराब से तौबा कर खाने की नली के कैंसर से काफी हद तक बच सकते हैं. जीवनशैली में सुधार लाएं. प्रतिदिन कसरत करें. फास्ट फूड के सेवन से बचें.
पीजीआई के गैस्ट्रोसर्जन डॉ.आशीष सिंह ने पित्त नली कैंसर और इसके विभिन्न उपचार विकल्पों पर जानकारी दी. इस मौके पर डॉ. समीर मोहिंद्रा, डॉ. फराज अहमद, डॉ. पंकज सिंह और डॉ रवि कुमार आदि विशेषज्ञों ने भी कार्यशाला को संबोधित किया.
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