वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में 21 जुलाई 2023 के आदेश के मुताबिक हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के वैज्ञानिक सर्वे में जो चीजें सामने आईं, वह अब सभी के सामने हैं. इस परिसर की चहारदिवारी के अंदर बीते 355 सालों से जो छुपा हुआ था, 33 साल पुराने मुकदमे के बाद अब यह सच धीरे-धीरे उजागर हो रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस परिसर के अंदर आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम को न सिर्फ पत्थर की मूर्तियां, पत्थर के स्ट्रक्चर, डिजाइन शिलापट्ट और तमाम संस्कृत, देवनागरी, कन्नड़ और तेलुगु में लिखे हुए श्लोक मिले हैं, बल्कि अंदर की दीवारों पर बने हुए त्रिशूल और स्वास्तिक समेत ओम के निशान भी पाए गए हैं. इन सबसे अलग बहुत बड़ी संख्या में एएसआई की टीम को औरंगजेब के शासनकाल से लेकर आधुनिक शताब्दी के सैकड़ों सिक्के मिले हैं.
कॉपर, सिल्वर, एल्युमिनियम और अन्य पुरातन समय में चलने वाले इन सिक्कों पर देवनागरी, अरबी, फारसी भाषा में उस वक्त के शासनकाल की सत्यता लिखी हुई है. सबसे बड़ी बात यह है कि 1600 ई से लेकर 1900 ई तक के तमाम सिक्के परिसर के अलग-अलग हिस्सों से मिले हैं. जिनको संग्रह करके सुरक्षित जिला अधिकारी वाराणसी को सुपुर्द किया गया है जो बड़े साक्ष्य के रूप में न्यायालय में इस मुकदमे को मजबूत करने का काम करेंगे.
ज्ञानवापी परिसर के अंदर बहुत कुछ ऐसा मिला है, जो अपने आप में अनूठा है. राम का नाम लिखा एक संगमरमर का पत्थर, माता गंगा की सवारी पत्थर का घड़ियाल, प्रभु हनुमान की प्रतिमा, भगवान गणेश की मूर्ति, शंकर पार्वती की टूटी हुई मूर्ति, शिवलिंग के पत्थर के अधूरे हिस्से और वह खंभा जो तहखाना के अंदर इस पूरे परिसर के मंदिर होने के सबसे बड़े सबूत के तौर पर माना जा रहा है.