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अहमदाबाद में नकली कोर्ट बनाकर दे रहा था फैसला, जिला कलेक्टर को भी दिए थे आदेश, गिरफ्तार - FAKE COURT BUSTED

गुजरात के अहमदाबाद में नकली कोर्ट का मामला आया सामने. फर्जी जज बनकर दे रहा था फैसला.

AHMEDABAD A FAKE COURT CAUGHT
गुजरात में फर्जी कोर्ट पकड़ा गया (ETV Bharat Gujarat Desk)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 22, 2024, 10:23 AM IST

Updated : Oct 22, 2024, 11:05 AM IST

अहमदाबाद :अहमदाबाद में एक फर्जी कोर्ट पकड़ी गई है. पेशे से एक वकील नकली जज बनकर पिछले कई सालों से फर्जीवाडे़ का यह धंधा चल रहा था. मामला प्रकाश में आने पर कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की.

हैरानी की बात ये है कि पेशे से वकील मॉरिस क्रिश्चन ने फर्जी जज बनकर विवादित जमीनों से जुड़े मामले में कई ऑर्डर पास किए. बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ ऑर्डर डीएम ऑफिस तक पहुंच गए.

मामला तब प्रकाश में आया जब इससे जुड़ा केस अहमदाबाद सिटी सेशंस कोर्ट के जज के पास पहुंचा. फिर रजिस्ट्रार ने इसकी शिकायत थाने में दर्ज कराई. पुलिस ने जांच के बाद मॉरिस क्रिश्चन को गिरफ्तार कर लिया.

आरोप है कि उसने एक फर्जी न्यायाधीकरण बनाकर खुद को जज के रूप में पेश किया. अहमदाबाद के भद्र सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई ने कारंज पुलिस स्टेशन में आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चिन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई द्वारा दायर शिकायत में यह कहा गया है कि आरोपी ने अन्य व्यक्तियों के साथ ठाकोर बापूजी छनाजी के नाम पर एक आपराधिक साजिश रची. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 170 (लोक सेवक के रूप में किसी भी पद पर रहने का दिखावा करना) और धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

2019 में क्रिश्चियन ने उसी कार्यप्रणाली का उपयोग करके अपने ग्राहक के पक्ष में एक आदेश पारित कर दिया था. पूरा मामला जिला कलेक्टर के पास था. जिसका केस क्रिश्चियन देख रहा था, वह व्यक्ति चाहता था कि शहर के पालडी क्षेत्र में स्थित भूखंड से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड में उसका नाम जुड़े.

क्रिश्चियन ने दावा किया कि वह सरकार द्वारा नियुक्त आधिकारिक मध्यस्थ है. इस बाबत उसने कार्रवाही शुरू की और अपने मुवक्किल के पक्ष में फैसला सुना दिया. उसने कलेक्टर को आदेश तक दे डाला.

अपने आदेश को लागू करवाने के लिए क्रिश्चियन ने एक अन्य वकील का सहारा लिया. उसने वकील के जरिए सिविल कोर्ट में अपील दायर की और उस अपील में अपने द्वारा पारित आदेश को संलग्न कर दिया.

कोर्ट के रजिस्ट्रार ने जब कागज चेक किया, तो उन्हें शक हुआ. उन्होंने जांच की और पाया कि जिस मध्यस्थ का हस्ताक्षर है, उस नाम का कोई भी व्यक्ति कोर्ट द्वारा नियुक्त नहीं किया गया है. इसके बाद रजिस्ट्रार ने शिकायत दर्ज करवाई और इस तरह से क्रिश्चियन का खेल खत्म हुआ.

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Last Updated : Oct 22, 2024, 11:05 AM IST

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