दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

लीज पर जमीन लेने वाले किसानों के लिए नीति बना रही सरकार, जानें क्या होगा फायदा? - FARMER SCHEME

सरकार लीज पर जमीन लेने वाले किसानों के लिए एक नीति बनाने जा रही है. पढ़ें ईटीवी भारत की संवाददाता चंचल मुखर्जी की रिपोर्ट.

Shivraj
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 24, 2025, 6:45 PM IST

नई दिल्ली: सरकार लीज पर जमीन लेने वाले किसानों के लिए एक नीति बनाने की योजना बना रही है, ताकि उन्हें फसल बीमा योजना, फर्टिलाइजर पर सब्सिडी, बीमा और कृषि उपज पर सही मूल्य सहित सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके.वर्तमान में लाखों से अधिक लीज पर जमीन लेने वाले किसान अपनी स्थिति के बारे में स्पष्ट नीति के अभाव में इन सुविधाओं से वंचित हैं, जिसके चलते लाभ भूमि मालिकों को ट्रांसफर होते हैं.

भूमि पट्टे पर किसानों के मुद्दे के बारे में बताते हुए, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "केंद्र सरकार लीज पर जमीन लेने वाले किसानों के लिए एक उचित प्रणाली तैयार करने की योजना बना रही है, क्योंकि बड़ी संख्या में किसान लीज पर जमीन लेकर काम कर रहे हैं, वे सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं, जिसमें कम ब्याज दर पर कर्ज, फर्टिलाइजर पर सब्सिडी, किसान क्रेडिट कार्ड और एमएसपी शामिल हैं."

चौहान ने कहा, "लीज पर जमीन लेने वाले किसान भी खेती के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. सरकार उन्हें सुविधाएं मुहैया कराएगी. इसके अलावा सरकार बाजार, कृषि उपज का सही मूल्य और किसानों के लिए प्रशिक्षण पर भी काम कर रही है." उन्होंने कहा कि जब पट्टे पर जमीन लेने वाले किसानों के लिए स्पष्ट नीति आ जाएगी, तो इससे कई कानूनी मुद्दों और भूमि विवादों को कम करने में मदद मिलेगी.

इस संबंध में कृषि एक्सपर्ट और पंजाब की किसान सुखविंदर कौर ने ईटीवी भारत से कहा, "किसानों के लिए पट्टे पर खेती करना एक बड़ा मुद्दा है. अगर कोई पट्टेदार किसान रिकॉर्ड में आता है तो पट्टेदार और जमीन मालिक के बीच जमीन के स्वामित्व को लेकर टकराव शुरू हो जाता है. सरकार को जमीन के पट्टे के समझौते का प्रावधान करना चाहिए, जिसमें यह उल्लेख होना चाहिए कि किसी व्यक्ति के पास किराए पर जमीन है, ताकि वह अपनी फसलों पर सरकारी लाभ प्राप्त कर सके. इसी तरह, जमीन के मालिक का नाम भी उल्लेख होना चाहिए, ताकि जमीन के स्वामित्व के मुद्दों से बचा जा सके."

राज्यसभा के आंकड़ों के अनुसार तेलंगाना सरकार ने बताया कि उन्होंने राज्य में काश्तकारों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें तेलंगाना में बैंक काश्तकारों को शामिल करने वाले समूह के लिए संयुक्त देयता समूह (भूमिहीन-किसान) जारी कर रहे हैं. वित्तीय वर्ष-2024-25 के दौरान, बैंकों ने 68177 समूहों को 337.35 करोड़ रुपये की राशि वितरित की है. 30 सितंबर, 2024 तक बैंकों के पास कुल बकाया संयुक्त देयता समूह ऋण 1109.99 करोड़ रुपये था, जिसे 339116 समूहों को दिया गया

JLG योजना का उद्देश्य भूमिहीन किसानों को ऋण प्रवाह में वृद्धि करना है, जो काश्तकार, मौखिक पट्टेदार या बटाईदार और छोटे/सीमांत किसानों के साथ-साथ कृषि गतिविधियों, कृषि से इतर गतिविधियों और गैर-कृषि गतिविधियों में लगे अन्य गरीब व्यक्तियों के रूप में भूमि पर खेती करते हैं, राज्यसभा के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.

कृषि विशेषज्ञों ने काश्तकार, पट्टाधारक और छोटे किसानों के लिए एक व्यापक नीति पर जोर दिया है, ताकि वे सीधे सरकारी लाभ उठा सकें, क्योंकि वे कई बार वंचित रह गए हैं. कृषि विशेषज्ञ धर्मेंद्र मलिक ने ईटीवी भारत से कहा, "काश्तकार या छोटे किसानों को लाभ प्रदान करने का कोई मॉडल नहीं है, जिसके चलते वे हमेशा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से पीछे रह जाते हैं." मलिक ने कहा, "अधिकांश समय यह देखा जाता है कि भूमिधारक सभी सरकारी लाभों का लाभ उठाते हैं और काश्तकार लाभ से खाली हाथ रह जाते हैं."

मंत्रालय द्वारा भूमिहीन किसानों की कोई विशिष्ट जनगणना या सर्वे नहीं किया गया है. इसलिए, देश में भूमिहीन किसानों और भूमि-स्वामियों के साथ फसल बंटवारे के आधार पर खेती करने वाले किसानों की सही संख्या उपलब्ध नहीं है. हालांकि, लोकसभा के आंकड़ों के अनुसार, नवीनतम कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार देश में पूर्णतः पट्टे पर ली गई परिचालन जोत/भूमिहीन किसानों की संख्या 5,31,285 है.

यह भी पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त जारी की, जानें कितने किसानों को मिलेगी राशि

ABOUT THE AUTHOR

...view details