नई दिल्ली: दिल्ली की गाजीपुर लैंडफिल साइट के कूड़े के पहाड़ को खत्म करने को लेकर दिल्ली नगर निगम तारीख पर तारीख निर्धारित करती आ रही है, लेकिन कूड़ा खत्म नहीं हो पा रहा है.एमडीसी की गाजीपुर एसएलएफ करीब 70 एकड़ में फैली हैं जोकि साल 1984 में अस्तित्व में आई थी. इसके बाद से धीरे-धीरे इसकी ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच गई जिसकी वजह से पिछले कुछ सालों से यह हादसों की साइट भी बन गई है.
गाजीपुर लैंडफिल साइट में हुई थी दो लोगों की मौत:बात अगर साल 2017 की करें तो सितंबर माह में दोपहर के वक्त इस साइट का एक बहुत बड़ा हिस्सा टूट गया था. इस दौरान सड़क और नहर के साथ से गुजर रहे कई वाहन इसके मलबे की चपेट में आ गए थे. इसकी वजह से दो लोगों की मौत भी हो गई थी जिसमें एक स्कूटी सवार लड़की और एक महिला शामिल थीं.
साइट के पास की नहर में 3-4 कारें भी जा गिरीं थीं. इसके बाद एनडीआरएफ और दिल्ली पुलिस के अलावा दूसरी टीमों ने रेस्क्यू अभियान चलाया था और 5 लोगों की जान बचायी थी. इसके बाद दिल्ली की सियासत खूब गरमायी और बड़े-बड़े दावे बीजेपी, आम आदमी पार्टी के नेताओं की ओर से किए गए. हैरान करने वाली बात यह है कि इस हादसे के 3 साल बाद 2020 में फिर इस साइट पर आग लगने की घटना सामने आई और यह आग करीब 5 दिनों तक नहीं बुझ पायी. इससे निकलने वाले जहरीले धुंए ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया.
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इस घटना के बाद खूब दावे और वादे किए गए. लेकिन इसके बाद मार्च, 2022 में गाजीपुर लैंडफिल साइट के कूड़े में आग लगने की घटना हुई. 28 मार्च को गाजीपुर लैंडफिल साइट के ऊपरी हिस्से में आग लगी थी जिसको 3 दिन तक बुझाने का काम किया गया था. लेकिन आग पर काबू नहीं किया जा सका. आग लगने के चौथे दिन फायर बिग्रेड की गाड़ियां पीछे हट गई और बुलडोजर से उस हिस्से को ढहाने का काम किया गया. जिससे आग तो नहीं बुझ पायी. आग मलबे में दब गई.
प्राइवेट कंपनी को सौंपा था कूड़े प्रोसेसिंग का जिम्मा:एमसीडी की माने तो अब गाजीपुर लैंडफिल साइट के कूड़े के पहाड़ को हटाने के लिए 2026 की डेडलाइन तक की गई है. इस साइट के कूड़े को लेकर साल 2019 में एक सर्वे कराया गया था तो उस वक्त इस पर 1.40 लाख मीट्रिक टन कूड़ा होने का अनुमान लगाया गया था. इसके बाद इसके कूड़े को खत्म करने के लिए 2024 डेडलाइन तक की गई थी. निगम ने इस कूड़े प्रोसेसिंग का जिम्मा एक प्राइवेट कंपनी को सौंपा गया था.