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भयानक भूकंप के मुहाने पर खड़े हैं उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्य, वैज्ञानिकों के अनुसार 8 मैग्नीट्यूड से ज्यादा हो सकती है तीव्रता - Earthquake in Himalayan states

Himalayan states are at risk of a major earthquake भारत के हिमालयी राज्य बहुत बड़े भूकंप के मुहाने पर खड़े हैं. इस भूकंप की तीव्रता 8 मैग्नीट्यूड या उससे अधिक हो सकती है. इसकी भयावहता का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि उत्तरकाशी में 1991 में जिस भूकंप ने 768 लोगों की जान ली थी और संपत्ति का बहुत बड़ा नुकसान किया था, उसकी तीव्रता 6.8 मैग्नीट्यूड थी. 1999 में चमोली में 103 लोगों की जान लेने वाले भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.1 थी. वैज्ञानिक इसका कारण भी बता रहे हैं.

EARTHQUAKE IN HIMALAYAN STATES
हिमालयी राज्यों पर बड़े भूकंप का खतरा (Photo- ETV Bharat Graphics)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 10, 2024, 3:30 PM IST

Updated : Aug 10, 2024, 7:56 PM IST

भयानक भूकंप के मुहाने पर खड़े हैं उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्य (Photo- ETV Bharat Graphics)

देहरादून: उत्तराखंड समेत देश के तमाम हिमालयी की राज्यों में लगातार हो रहे भारी बारिश के चलते आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. आलम यह है कि पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन का जारी है. इसके चलते जानमाल का नुकसान होने के साथ ही आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. हिमालयी राज्यों में जो परिस्थितियां आफत की बारिश की वजह से बनी हुई हैं, अगर इसी बीच भूकंप ट्रिगर हो जाता है, तो पर्वतीय क्षेत्रों में स्थितियां बद से बदतर हो जायेंगी.

पर्वतीय राज्यों में बड़े भूकंप की आशंका: दरअसल, पर्वतीय क्षेत्रों में जहां एक ओर भारी बारिश के चलते पहले से ही भूस्खलन हो रही है, तो वहीं भूकंप आने से भूस्खलन की फ्रीक्वेंसी और अधिक बढ़ जाएगी. उत्तराखंड की बात करें तो राज्य में भूस्खलन संभावित सैकड़ों स्पॉट हैं. हर साल खासकर मानसून सीजन के दौरान भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं. इसके चलते जानमाल को काफी नुकसान पहुंचता है. साथ ही सड़कें बाधित हो जाती हैं. हाल ही में रुद्रप्रयाग जिले में हुई भारी बारिश के चलते राष्ट्रीय राज मार्ग के साथ ही केदारनाथ धाम जाने वाला पैदल मार्ग भी बाधित हो गया है.

400 साल से नहीं आया बड़ा भूकंप (Photo- ETV Bharat Graphics)

वैज्ञानिक कर रहे हैं ये अध्ययन: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर कालाचंद साईं ने बताया कि भूस्खलन किसी पर्टिकुलर रीजन के ट्रिगर करने की वजह से होता है. इसमें मुख्य रूप से भारी बारिश, भूकंप का आना जैसे फैक्टर शामिल हैं, जिनकी वजह से भूस्खलन आता है. वर्तमान समय में वैज्ञानिक इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि किसी फैक्टर का इंपैक्ट दूसरे फैक्टर पर पड़ने से क्या होगा. जैसे कि अगर भूकंप या फिर भारी बारिश हुई तो उससे भूस्खलन हो सकता है. अगर भूस्खलन हुआ तो वो किसी रिवर को ब्लॉक करके डैम बना सकता है. ऐसे में वो डैम टूटकर बाढ़ जैसी स्थिति बना सकता है. इस पूरी प्रक्रिया को कैस्केडिंग इफेक्ट कहते हैं.

पर्वतीय राज्यों में बड़े भूकंप की आशंका (Photo- ETV Bharat Graphics)

400 साल से नहीं आया बड़ा भूकंप: वाडिया के डायरेक्टर ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में इंडियन और यूरेशियन प्लेट के घर्षण से एनर्जी एकत्र हो रही है. ऐसे में जहां भी वीक जोन होगा, वहां से एनर्जी भूकंप के माध्यम से रिलीज़ होने की संभावना है. खासकर उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल रीजन में पिछले करीब 400 सालों से कोई बहुत बड़ा भूकंप नहीं आया है. अध्ययन से पता चला कि जमीन के अंदर काफी अधिक एनर्जी एकत्र है, जो एक ग्रेट अर्थक्वेक को ला सकता है. लेकिन अभी तक ऐसी कोई तकनीक डेवलप नहीं हो पाई है, जिसके जरिए ये कहा जा सके कि कब और कहां बड़ा अर्थक्वेक आएगा या फिर कितने मैग्नीट्यूड का अर्थक्वेक आएगा.

साल 2000 के बाद से देश-दुनिया में आए बड़े भूकंप (Photo- ETV Bharat Graphics)

सिस्मिक जोन 5 में हैं ये जिले: उत्तराखंड का पूरा क्षेत्र सिस्मिक जोन 4 और 5 में आता है. लिहाजा, हाईली सेंसेटिव और सिस्मिक एक्टिव रीजन को जोन 5 में रखा जाता है. ऐसे में पूरी हिमालयन बेल्ट में भूकंप कहीं पर भी आ सकता है. लेकिन पिछले करीब 400 से 500 सालों के भीतर कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जिससे भारी तबाही मची हो. हालांकि इतना जरूर है कि साल 1991 में उत्तरकाशी जिले में 6.8 मैग्नीट्यूड और साल 1999 में चमोली जिले में 6.1 मैग्नीट्यूड के साथ ही 2017 में करीब 5.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. इसके चलते सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी. ऐसे में अगर उत्तराखंड के किसी हिस्से में ग्रेटर भूकंप यानी करीब 8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आता है, तो प्रदेश में भारी तबाही मचेगी.

साल 2000 के बाद से देश-दुनिया में आए बड़े भूकंप (Photo- ETV Bharat Graphics)

जब उत्तराखंड में आए थे 8 मैग्नीट्यूड के भूकंप: वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तराखंड में सैकड़ों साल पहले दो बड़े भूकंप आ चुके हैं. इसके तहत हरिद्वार के लालगढ़ के समीप साल 1344 और साल 1505 में करीब 8.0 मैग्नीट्यूट के भूकंप आ चुके हैं. जिस दौरान भी भारी तबाही मची थी. इसके बाद खासकर उत्तराखंड क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. इसके अलावा, देश में कई हिस्सों में बड़े भूकंप आ चुके हैं. साल 1897 में असम, साल 1905 में हिमाचल के कांगड़ा, साल 1934 में बिहार-नेपाल और साल 1950 में असम में करीब 8.0 मैग्नीट्यूड से अधिक का भूकंप आया था. इन भूकंपों में हजारों लोगों की मौत हुई थी. ऐसे में अगर उत्तराखंड राज्य के खासकर बेहद संवेदनशील चमोली और उत्तरकाशी जिलों में बड़ा अर्थक्वेक आता है, तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश का मंजर कितना भयावक होगा.

साल 2000 के बाद से देश-दुनिया में आए बड़े भूकंप:

  • साल 2001 में गुजरात में आए 7.7 मेग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 20 हजार लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2003 में बैम, ईरान में आए 6.6 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 27 हज़ार लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2004 में सुमात्रा अंडमान, इंडोनेशिया में आए 9.2 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब दो लाख 40 हज़ार लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2005 में मुजफ्फराबाद, पाकिस्तान में आए 7.6 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 87 हज़ार लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2008 में सिचुआन, चीन में आए 8.0 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 80 हज़ार लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2010 में कैरेबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ आए 7.0 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 3 लाख 16 हज़ार लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2011 में तोहोकू, जापान में आए 9.1 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 18 हज़ार लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2011 में सिक्किम में आए 6.9 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 120 लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2015 में नेपाल में आए 7.8 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 10 हज़ार लोगों की मौत हुई थी
  • साल 2018 में अलास्का, यूएसए में 7.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. हालांकि यहां किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी
  • साल 2021 में कैरेबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ आए 7.2 मैग्नीट्यूड के भूकंप की वजह से करीब 3 हज़ार लोगों की मौत हुई थी

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Last Updated : Aug 10, 2024, 7:56 PM IST

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