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अब जायका बिगाड़ेगा लहसुन, जनता बोली कुछ तो करो सरकार, लहसुन पहुंचा 500 पार - people trouble for garlic rate hike

Garlic Price Increase: प्याज टमाटर के बाद अब लहसुन लोगों को जायके का स्वाद बिगाड़ रहा है. लहसुन के दाम 500 रुपए के पार पहुंच रहा है. इस महंगाई से आम जनता परेशान है. शहोडल से अखिलेश शुक्ला की रिपोर्ट में पढ़िए लहसुन के महंगे होने का कारण और दूसरी सब्जियों के दाम...

garlic price increase
अब जायका बिगाड़ेगा लहसुन

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 2, 2024, 8:33 PM IST

Updated : Feb 2, 2024, 9:13 PM IST

अब जायका बिगाड़ेगा लहसुन

शहडोल। अभी कुछ महीने पहले ही प्याज के दाम आसमान छू रहे थे. उसके बाद टमाटर के भाव कुछ ऐसे बढ़े कि लोगों के पहुंच से ही टमाटर दूर होता जा रहा था. अब लहसुन की बारी है. जिसके दाम सुनकर हर कोई हैरान है. आम जनता बस महंगाई की मार से त्रस्त है. लहसुन के दाम को लेकर उसका तो यही कहना है, कुछ तो करो सरकार, लहसुन की कीमत पहुंच चुकी है 500 पार.

लहसुन के बढ़े दाम, आम जनता परेशान

पिछले कुछ दिनों से लहसुन के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. इस कदर बढ़ रहे हैं कि अब यह आम आदमी की थाली से दूर होता जा रहा है. लहसुन को आयुर्वेदिक महत्व है. लहसुन का सेवन ठंड में बहुत लाभकारी बताया जाता है. अगर खाने में स्वाद लाना है तो लहसुन का इस्तेमाल जरूरी होता है. कई लोग तो बिना लहसुन के खाने को ही पसंद नहीं करते हैं. कई तरह के मसाले में भी लहसुन का बहुत बड़ा रोल होता है, लेकिन पिछले कुछ समय से लहसुन के दाम जिस कदर से बढ़े हुए हैं. अब वो आम आदमी की पहुंच से दूर होते जा रहा है. वर्तमान में लहसुन खुले बाजार में लगभग ₹400 से ₹500 प्रति किलो की दर से बिक रहा है. कुछ जगहों पर तो 500 रुपये भी पार हो चुका है. ऐसे में अब आम जनता परेशान है.

लहसुन पहुंचा 500 पार

लहसुन के दाम को लेकर विक्रेता उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं की लहसुन के दाम वर्तमान में शहडोल जिले में 400 से ₹500 किलो तक बिक रहा है. वहीं थोक भाव की बात करें तो 350 से ₹400 प्रति किलो तक बिक रहा है. पाव की बात करें तो ₹100 से 120 रुपए तक लहसुन बिक रहा है. लहसुन के दाम बहुत तेजी से बढ़े हैं, अब तो आलम ये है कि जो लोग 1 किलो आधा किलो लहसुन लेकर जाया करते थे. वह 50 ग्राम 100 ग्राम ही लहसुन खरीद रहे हैं. दुकानों पर भी लहसुन की बहुत कम मात्रा रख पा रहे हैं, क्योंकि इतना महंगा लहसुन खरीद कर वह पूंजी नहीं फंसा सकते हैं.

लहसुन के क्यों बढ़े दाम ?

आखिर लहसुन के इतने दाम क्यों बढ़े हैं इसे लेकर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय हमने जानी.

लहसुन व्यापारी उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि पिछले साल की ही बात है. जब उत्पादन अच्छा हुआ था, तब किसान को रेट नहीं मिल रहा था. लहसुन को इसी सीजन में सड़कों पर फेंकने को वो मजबूर था. बाहर से गाड़ियां आती थी 5 किलो लहसुन ₹100 में दे जाती थी. जिसकी वजह से इस बार किसानों ने रकबा भी घटाया और उत्पादन भी कम हुआ. साथ ही आवक भी कम है. जिसकी वजह से लहसुन के दाम इस कदर बढ़े हैं. उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि पिछले सीजन में जनवरी महीने में ₹5 किलो तक लहसुन बिका है और इस जनवरी फरवरी महीने में देखिए की यही लहसुन ₹500 प्रति किलो तक जा चुका है.

एक और लहसुन के विक्रेता अमित कुमार गुप्ता का मानना है कि लहसुन के इस बढ़ते कीमत की वजह पहले तो आवक कम हो पा रही है. दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि इस बार मानसून देरी से आया. लहसुन की फसलों का उत्पादन देरी से हुआ है, इसलिए आवक भी देरी से हो रही है. जब नया लहसुन मार्केट में आएगा, तो अपने आप कुछ दाम घटेंगे, लेकिन जब तक नया लहसुन मार्केट में नहीं आएगा, तब तक दाम नहीं घटेंगे.

कृषि एक्सपर्ट से समझिए क्यों बढ़े दाम ?

इसे लेकर कृषि एक्सपर्ट अखिलेश नामदेव से जब हमने बात की तो उनका भी मानना है कि मध्य प्रदेश लहसुन उत्पादन में प्रथम स्थान पर है. इसके बाद भी ये स्थितियां बनी हुई हैं. जो चिंता का विषय है. पिछले साल किसानों ने बहुत बड़े रकबे में लहसुन की खेती की थी. उनका उत्पादन भी अच्छा हुआ था, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया, ना ही उसकी खरीदी हुई. ना ही किसानों को कोई मदद मिली, जिसकी वजह से किसानों को औने पौने दाम पर लहसुन की फसल बेचनी पड़ी. उन्हें नुकसान लगा. उनकी लागत भी नहीं निकली. इसलिए किसानों ने इस बार लहसुन का रकबा कम कर दिया. दूसरा कारण ये भी है कि देर से इस बार मानसून आया. मौसम भी बहुत बदल रहा है, जिसकी वजह से फसल भी लेट हुई है.

लहसुन की महंगाई से आम जनता परेशान

जो व्यापारी है और जो उपभोक्ता हैं. इनके बीच भी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है. व्यापारी उपभोक्ता और बाजार को देखकर इस स्थिति को भांप कर उत्पादन को देखते हुए इसका संग्रह कर लेता है. दाम बढ़ने पर ही बाहर निकालता है, ये भी एक बड़ी वजह है. परिणाम स्वरुप ज्यादा से ज्यादा किसान फसलों का विक्रय तो कर देते हैं, लेकिन उनका लाभ उन्हें नहीं मिलता है और उसका असली लाभ व्यापारी को मिलता है.

लहसुन का बड़ा उत्पादक मध्यप्रदेश

देखा जाए तो मध्य प्रदेश में लहसुन का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. वैसे तो लहसुन की खेती भारत के लगभग लगभग सभी राज्यों में होती है, लेकिन लहसुन उत्पादन के मामले में एमपी भारत के सभी राज्यों में काफी आगे है. यहां की जलवायु मिट्टी लहसुन के उत्पादन के लिए उपयुक्त है. इस वजह से सबसे अधिक लहसुन का उत्पादन यहां होता है. एक आंकड़े के मुताबिक देश में कुल उत्पादित होने वाले लहसुन में से एमपी में अकेले लगभग 63% तक लहसुन का उत्पादन होता है. इसके अलावा दूसरे नंबर पर राजस्थान और फिर तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में लहसुन का उत्पादन अच्छा खासा होता है.

किसानों को नजरअंदाज करना पड़ा भारी

लहसुन के महंगाई की एक वजह ये भी है कि अब किसान स्मार्ट किसान हो गया है. बदलते वक्त के साथ अब वो भी उसी फसल की खेती करना चाहता है. जिसमें नुकसान कम लगे. लहसुन की खेती में भी कुछ ऐसा ही हुआ. पिछले साल साल 2023 में प्रदेश में किसानों ने जमकर लहसुन की खेती की थी. उत्पादन भी अच्छा हुआ था, लेकिन किसानों को सड़कों पर लहसुन फेंकना पड़ा था, क्योंकि ₹5 किलो तक भी लहसुन बिका था. जिसके बाद मौजूदा साल किसानों ने लहसुन की खेती ही कम कर दी है.

प्याज के बाद लहसुन भी महंगी

इसे आंकड़ों से ऐसे समझ सकते हैं कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक साल 2021-22 में देश भर में 4 लाख 31 हजार हेक्टेयर में लहसुन की खेती हुई थी. जो 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान में घटकर मात्र 38, 6000 हेक्टेयर में सिमट गई. मतलब एक ही साल में रकबा 45000 हेक्टेयर घट गया. लहसुन के उत्पादन को समझे तो साल 2021-22 के दौरान देश भर में 35 लाख 23 हजार मैट्रिक टन लहसुन का उत्पादन हुआ था. जबकि 2022-23 में देश के तीसरे अग्रिम अनुमान में यह घटकर 32, 33,000 मेट्रिक टन ही रह गया. मतलब 1 साल में 29,0000 मेट्रिक टन लहसुन उत्पादन की गिरावट आई है. जिसकी वजह से लहसुन का दाम इस साल अपने रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है.

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लहसुन के साथ अब और सब्जियों के बढ़ रहे दाम

इतना ही नहीं लहसुन के साथ ही अब और सब्जियों के दाम भी बढ़ने शुरू हो गए हैं. टमाटर के दाम गिर गए थे, लेकिन अब वो भी ₹50 किलो तक पहुंच चुका है. लगातार इसके दाम भी बढ़ रहे हैं. दूसरी सब्जियों पर नजर डालें तो सब्जी व्यापारी राम प्रताप साहू बताते हैं की करेला ₹80 की प्रति किलो की दर से बिक रहा है. परवल ₹300 किलो तक बिक रहा है. टमाटर तो 50 है ही, बैगन 40 और 50 के बीच में बिक रहा है. भिंडी ₹80 प्रति किलो, मिर्ची भी 80 रुपए प्रति किलो है. खीरा ₹60 प्रति किलो, बरबटी 80 रुपए प्रति किलो, मटर भी ₹50 किलो है. शिमला मिर्च 80 रुपये प्रति किलो है. इस तरह से कुछ सब्जियों को छोड़ दें, तो ज्यादातर सब्जियों के दाम ₹50 प्रति किलो के ऊपर ही पहुंच गए हैं. इसकी वजह भी सब्जी व्यापारी बताते हैं की मौसम में जिस तरह से बदलाव हुआ है. कभी बदली कभी बारिश इसकी वजह से आवक भी कम हुई है. सब्जियों का उत्पादन भी घटा है. लोकल लेवल की सब्जियां भी आनी कम हुई है. इसकी वजह से इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं.

Last Updated : Feb 2, 2024, 9:13 PM IST

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