नई दिल्ली: नेस्ले, एमडीएच मसाला और अन्य खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर विवाद के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा जांच किए गए खाद्य नमूनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. मंत्रालय के अनुसार एफएसएसएआई ने 2020-21 में 1,07,829 नमूनों की जांच की है. 2023-24 में 4,51,000 से अधिक नमूनों की जांच की गई. यानी जांच में तीन गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई.
खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करने और मानव उपभोग के लिए सुरक्षित व पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने के लिए एफएसएसएआई ने इसी अवधि के दौरान 1,05,907 खाद्य नमूनों का पता लगाया है, जो तय मानकों पर खरे नहीं पाए गए. आंकड़ों के अनुसार, एफएसएसएआई ने 2020-21 में कुल जांच किए गए खाद्य नमूनों में से 28,347 को मानक के अनुरूप नहीं पाया.
इसी तरह 2021-22 में कुल 1,44,345 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 32,934 खाने के योग्य नहीं थे. एफएसएसएआई ने 2022-23 में 1,77,511 नमूनों का परीक्षण किया, जिनमें से 44,626 खाने योग्य नहीं थे. वहीं, एफएसएसएआई ने 2023-24 में 4,51,296 खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच की है. मंत्रालय ने बताया कि 'खाद्य नमूनों की जांच के नतीजे अभी प्राप्त नहीं हुए हैं.
खाद्य मानक सुनिश्चित करने की रणनीति
एफएसएसएआई अपनी सहायक संस्थाओं, एफएसएस अधिनियम की धारा 13 और 14 के तहत स्थापित वैज्ञानिक पैनल (एसपी) और वैज्ञानिक समिति (एससी) और अन्य कार्य समूह के सहयोग से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बनाए रखने लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करता है. वैज्ञानिक समिति द्वारा समय-समय पर खाद्य सुरक्षा मानक तैयार किए जा सकते हैं. अब तक एफएसएसएआई ने खाद्य उत्पादों के 700 से अधिक मानक तैयार किए हैं. साथ ही आवश्यक मानकों की समीक्षा और संशोधन भी किया है.
खाद्य सुरक्षा मानक
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, विज्ञान आधारित मानक विकसित करने की प्रक्रिया खाद्य सुरक्षा के सिद्धांत और उससे जुड़े जोखिमों के आकलन से संचालित होती है. सामान्य प्रकृति का मानक सभी उत्पाद श्रेणियों पर लागू होता है, और अक्सर इसे क्षैतिज मानक के रूप में जाना जाता है. ऐसे मानकों में खाद्य योजक (Food Additives) प्रावधान शामिल हैं- प्रदूषकों की सीमा, विषाक्त पदार्थ, एंटीबायोटिक अवशेष, कीटनाशकों का अवशेष, सूक्ष्मजीवविज्ञानी मानदंड, पैकेजिंग और लेबलिंग आवश्यकताएं आदि. दूसरी ओर, जो मानक किसी उत्पाद या उत्पाद श्रेणी के लिए विशिष्ट होते हैं, उन्हें वर्टिकल मानक (Vertical Standard) कहा जाता है. ऊर्ध्वाधर मानक मुख्य रूप से किसी खाद्य उत्पाद या उत्पाद श्रेणी की पहचान और गुणवत्ता विशेषताओं को निर्धारित करते हैं.
FSSAI के वैज्ञानिक पैनल
एफएसएसएआई ने 21 वैज्ञानिक पैनल का गठन किया है, जिनमें विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और अन्य प्रतिष्ठित सरकारी संगठनों जैसे- सीएसआईआर, आईसीएआर, आईसीएमआर, आईआईटीआर, निफ्टम, आईआईटी, सीएफटीआरआई आदि के विषय विशेषज्ञ शामिल हैं. वैज्ञानिक पैनल जोखिम मूल्यांकन और उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्यों पर विचार करता है और एक मसौदा मानक विकसित करता है, जिसे बाद में वैज्ञानिक समिति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है. वैज्ञानिक समिति में 21 वैज्ञानिक पैनल और छह स्वतंत्र विशेषज्ञ शामिल होते हैं.
खाद्य प्राधिकरण की अंतिम मंजूरी से पहले वैज्ञानिक समिति द्वारा मानक की समीक्षा और सत्यापन किया जाता है. फिर खाद्य प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित मानक या विनियमन के मसौदे को हितधारकों और डब्ल्यूटीओ सदस्यों से टिप्पणियां आमंत्रित करने के लिए मंत्रालय की उचित मंजूरी के साथ भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया जाता है. हितधारकों की टिप्पणियों को संबोधित करने और बाद में वैज्ञानिक समिति और खाद्य प्राधिकरण की मंजूरी के बाद मानकों को अंतिम रूप दिया जाता है.
खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं
एफएसएसएआई सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में संचालित खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं में विभिन्न खाद्य उत्पादों का नियामक परीक्षण करता है. इन प्रयोगशालाओं को प्राथमिक और रेफरल प्रयोगशालाओं के रूप में अधिसूचित किया गया है. वर्तमान में, देश में 239 प्राथमिक खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं के साथ-साथ 261 मोबाइल प्रयोगशालाएं, 22 रेफरल प्रयोगशालाएं और 12 संदर्भ प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं. भारत में प्रयोगशालाओं की संख्या सिंगापुर, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस सहित कई अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है.
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