गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले में अब तक करीब 3 लाख तीर्थ यात्री आ चुके हैं. विदेशी यात्री भी बड़ी संख्या में इसे समझने और देखने आते हैं. भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ मोक्ष भूमि गयाजी धाम में पितृपक्ष को जानने और समझने पहुंचे. गया जी की महत्वपूर्ण पिंड वेदी सीताकुंड पहुंचकर उन्होंने पिंडदान श्राद्ध और तर्पण कर्मकांड को नजदीक से देखा. इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानने की कोशिश की.
बिहार दौरे पर हैं फ्रांसीसी राजदूतः फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ 19 सितंबर से 22 सितंबर तक बिहार के दौरे पर हैं. मोक्ष भूमि गया में मौजूद थे. यहां पितृपक्ष मेला चल रहा है. बड़ी संख्या में लोग पिंडदान कर रहे हैं. लोगों का उत्साह देखकर फ्रांसीसी राजदूत ने पितृ पक्ष मेला को नजदीक से देखने की इच्छा जतायी. वह देखना चाहते थे, कि सरकार और प्रशासन द्वारा पितृपक्ष मेला की तैयारी कैसे करते हैं.
पिंडदान के बारे में विस्तार से जानाः इसके बाद फ्रांसीसी राजदूत, गया जिला पदाधिकारी डा. त्यागराजन एसएम के साथ सीताकुंड पिंडवेदी पहुंचे. सीताकुंड पहुंचकर फ्रांसीसी राजदूत ने पिंडदान श्राद्ध और तर्पण कर्मकांड को नजदीक से देखा. उन्होंने पिंडदान श्राद्ध और तर्पण कर्मकांड को नजदीक से देखा. उन्हें बताया गया कि पितरों के निमित्त किस तरह से यह कर्मकांड करते हैं. इसका धार्मिक महत्व क्या है. फ्रांसीसी राजदूत ने विस्तार से मोक्ष भूमि गया जी में पिंडदान, श्राद्ध व तर्पण के बारे में जाना.
पिंडदान देख प्रभावित हुए फ्रांसीसी राजदूतः गयाजी धाम में नजदीक से पिंडदान श्राद्ध और तर्पण कर्मकांड देखकर फ्रांसीसी राजदूत काफी प्रभावित हुए. इन चीजों को जानकर प्रसन्नता भी जाहिर की. पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदानी किस प्रकार से पिंडदान श्राद्ध और तर्पण कर्मकांड करते हैं, इसे बखूबी जाना. विश्व प्रसिद्ध पितृ पक्ष मेले में गया जी धाम में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान के बारे में जानकारी फ्रांसीसी राजदूत काफी प्रसन्न दिखे और प्रभावित भी हुए.
अब फल्गु में सालों भर रहता पानीः डीएम डॉक्टर त्यागराजन एसएम ने फ्रांसीसी राजदूत को बताया कि यहां देश और विदेश के कोने-कोने से तीर्थयात्री आते हैं. राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा पिंडदानियों की सुविधा के लिए कई तरह की व्यवस्था की जाती है. पहले श्रद्धालु नदी में बालू में बैठकर पिंडदान करते थे, अब एक किलोमीटर के दायरे में फल्गु नदी में गया जी डैम में पानी है. 2022 में गया जी डैम का निर्माण कराया गया था. अब एक किलोमीटर के दायरे में फल्गु नदी में सालों भर पानी रहता है.
श्रद्धालुओं को दिया जा रहा गंगाजलः डीएम ने बताया कि तीर्थ यात्रियों को देवघाट से सीताकुंड जाने के लिए काफी लंबा रास्ता तय करना पड़ता था, लेकिन अब पाथ वे बनाया गया है. सीतापद का भी निर्माण कराया गया, जिससे तीर्थयात्री अब आसानी से देवघाट से सीताकुंड जा सकते हैं. डीएम ने फ्रांसीसी राजदूत को बताया कि पिंडदानियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. इसलिए राज्य सरकार नई-नई व्यवस्था कर रही है. इस वर्ष तीर्थ यात्रियों को गंगाजल दिया जा रहा है.