पटना: बिहार में चौथे चरण का चुनाव संपन्न हो गया. चौथे चरण में कई बड़े नेता मैदान में थे. भाजपा के फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का मुकाबला अवधेश राय से तो गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का मुकाबला बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक मेहता से था. नीतीश कुमार के करीबी नेता ललन सिंह और राष्ट्रीय जनता दल की अनीता देवी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. इसके अलावा दरभंगा लोकसभा सीट पर गोपाल जी ठाकुर की टक्कर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री ललित यादव से हुई.
दो केंद्रियों की किस्मत EVM में कैद : इधर, समस्तीपुर लोकसभा सीट पर बिहार सरकार के दो मंत्री की प्रतिष्ठा दाव पर है. जदयू नेता अशोक चौधरी ने जहां अपनी पुत्री शांभवी चौधरी को एलजेपीआर के टिकट पर मैदान में उतारा है, वहीं बिहार सरकार के एक और मंत्री महेश्वर हजारी ने अपने पुत्र सन्नी हजारी को मैदान में उतारा है. सन्नी हजारी महागठबंधन के उम्मीदवार हैं जबकि शांभवी एनडीए की उम्मीदवार हैं.
बेगूसराय का चुनावी मीटर: बेगूसराय लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले कई चुनाव से कांग्रेस अपनी दमदार उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाई है. पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो 2009 में NDA के बैनर तले जेडीयू के मोनाजिर हसन ने सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को हराकर जीत हासिल की. 2014 में जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और इस बार बेगूसराय सीट पर कमल खिला. बीजेपी के उम्मीदवार भोला प्रसाद सिंह ने आरजेडी के तनवीर हसन को मात दी. 2019 में बीजेपी ने सफलता की कहानी फिर दोहराई, हालांकि इस बार चेहरे बदले हुए थे. 2019 में बीजेपी के गिरिराज सिंह ने सीपीआई के कन्हैया कुमार को बड़े अंतर से मात दे दी.
उजियारपुर में किसका पलड़ा भारी? : बेगूसराय लोकसभा सीट पर 2009 में 48.75% मतदान हुए थे, तो 2014 में 60.6% मतदान हुए. बात अगर 2019 में 62.58 % मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया था. बात अगर 2024 की कर लें तो इस बार 58.40% मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया है. मतदान का प्रतिशत 2019 के मुकाबले लगभग 4% कम है. उजियारपुर लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट है. उजियारपुर लोकसभा सीट पर गृह मंत्री अमित शाह के हनुमान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मैदान में हैं. उनका मुकाबला राजद नेता और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक मेहता से है.
आलोक मेहता पलटेंगे बाजी?: आलोक मेहता का नाम तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं में शुमार हैं. उजियारपुर लोकसभा सीट से एक बार सांसद भी रह चुके हैं. उजियारपुर लोकसभा सीट परिसीमन आयोग के सिफारिश के आधार पर 2008 में अस्तित्व में आया. 2009 के चुनाव में जदयू उम्मीदवार अश्वमेघ देवी ने राष्ट्रीय जनता दल के आलोक मेहता को शिकस्त दी थी. परिसीमन से पहले 2004 में आलोक मेहता राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर समस्तीपुर से सांसद बने थे. लेकिन परिसीमन के बाद राष्ट्रीय जनता दल एक बार भी उजियारपुर सीट नहीं जीत पाई.
उजियारपुर का चुनावी आंकड़ा : उजियारपुर लोकसभा सीट पर 2009 में 45.89% मतदान हुए थे, जबकि 2014 में 60.22% मतदान हुए. 2019 में 60.12% मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था. 2024 की अगर बात कर लें तो इस बार 56% मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया है. पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 4% कम वोट हुए हैं. जदयू के बड़े नेता और नीतीश कुमार के करीबी ललन सिंह तीसरी बार यहां से चुनाव के मैदान में है. इस बार उनका मुकाबला बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी से है.
ललन के गढ़ में सेंधमारी? : 2019 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह ने महागठबंधन उम्मीदवार नीलम देवी को 167000 मतों से हराया था. मुंगेर लोकसभा सीट इस बार नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के लिए प्रतिष्ठा का विषय है. लालू प्रसाद यादव के प्रयोग की जहां अग्नि परीक्षा है, वही नीतीश कुमार की साख दाव पर है. प्रधानमंत्री मोदी भी ललन सिंह को जिताने के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं.
मुंगेर का चुनावी आंकड़ा: मुंगेर लोकसभा सीट पर 2009 में 41.65% वोटिंग हुई जबकि 2014 में 53.6% वोटिंग दर्ज की गई. 2019 में आंकड़ा बढ़कर 54.89% हो गया. बात अगर 2024 की कर लें तो 55% मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया है. मुंगेर लोकसभा सीट पर इस बार 2019 के तरह ही वोटिंग हुई. समस्तीपुर लोकसभा सीट भी बेहद दिलचस्प है. बिहार सरकार के दो मंत्री की साख यहां दाव पर है.
समस्तीपुर में दो मंत्री पुत्र-पुत्री में टक्कर: बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने जहां अपनी बेटी शांभवी चौधरी को लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर मैदान में उतारा है, तो वहीं दूसरी तरफ बिहार सरकार के एक और मंत्री महेश्वर हजारी ने अपने पुत्र सन्नी हजारी को महागठबंधन की ओर से मैदान में उतारा है. दोनों नेताओं ने अपने पुत्र और पुत्री को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के महेश्वर हजारी यहां से चुनाव जीते और 2014 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के रामचंद्र पासवान चुनाव जीते.