हैदराबाद: उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आश्चर्यजनक नामांकन ने एक बड़ी बहस छेड़ दी है. वह इसलिए क्योंकि कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में एक बार फिर से इतिहास दोहराया जा रहा है. दरअसल, सबसे पहले 1952 में राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ कर जीता था. फिरोज गांधी इसके बाद 1958 में जीत हासिल की थी. उनके बाद इंदिरा गांधी का यहां से अपना राजनीतिक करियर की शुरूआत की. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली सीट से दो बार सांसद रहीं. अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने परिवार की विरासत को संभालने जा रहे हैं.
राहुल गांधी अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाएंगे!
फिरोज गांधी ने रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र में जो मजबूत नींव रखी, उसे बाद में उनकी पत्नी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने और अधिक मजबूत किया. उन्होंने 1967, 1971 और 1980 में रायबरेली सीट से जीतीं. जिसके बाद गांधी परिवार के करीबी और उनके सदस्यों ने भी इस सीट पर जीत हासिल की. रायबरेली संसदीय सीट पर कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की है. वहीं बीजेपी के अशोक सिंह ने यहां से दो बार जीत दर्ज की और एक बार जनता पार्टी के राजनारायण ने जीत दर्ज की थी. बताते चले कि, इमरजेंसी के बाद 1977 में रायबरेली सीट से जीतने वाले भारतीय लोकदल के राजनारायण पहले गैर कांग्रेसी सांसद बने थे.
कब किसने कहां से चुनाव लड़ा
इंदिरा गांधी ने 1980 में दो सीटों, रायबरेली और तेलंगाना में मेडक से चुनाव लड़ा था. उन्होंने मेडक सीट बरकरार रखने का फैसला किया था. वहीं, अरुण नेहरू ने 1980 और उसके बाद 1984 में उपचुनाव जीता. अरुण नेहरू को पूर्व पीएम राजीव गांधी का दाहिना हाथ माना जाता था. रायबरेली सीट से अरुण नेहरू के बाद शीला कौल व अन्य गांधी परिवार के रिश्तेदार और सहयोगियों ने चुनाव जीता. फिरोज गांधी के निधन के बाद 1960 के उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस के आरपी सिंह के पास चली गई. वहीं, 1962 में एक अन्य कांग्रेस नेता बैज नाथ कुरील ने यहां से चुनाव जीता. शीला कौल ने 1989 और 1991 में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. 1999 में गांधी परिवार के एक और मित्र, सतीश शर्मा ने रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता.