देहरादून (उत्तराखंड):बनभूलपुरा की गफूर बस्ती का एक परिवार ऐसा भी है, जिसने हिंसा में अपने दो सदस्यों को खो दिया. पिता और पुत्र की मौत से परिजन सदमे में है. इतने दिनों बाद भी वह इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिरकार हिंसा में उनके परिवार के दो सदस्यों को क्यों मार दिया गया.हालांकि अब तक उन्हें इन सवालों का जवाब नहीं मिला है और ना ही वो इस बात को समझ पा रहे हैं कि अब आगे उनकी रोजी रोटी कैसे चलेगी.
हिंसा में पिता पुत्र की मौत:बनभूलपुरा क्षेत्र की गफूर बस्ती में मोहम्मद जाहिद और उसके बेटे अनस की मौत से हर कोई हैरान है.दरअसल हल्द्वानी हिंसा के दौरान जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, उनमें यह दोनों पिता-पुत्र भी शामिल हैं.घटना के बाद से ही परिवार के लोग सदमे हैं और उस काली रात को याद कर सहम जाते हैं. जिसमें उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया. मोहम्मद जाहिद 43 साल के थे और मजदूरी कर अपने घर का भरण पोषण करते थे.मोहम्मद जाहिद हर दिन कमाकर लाते, तब जाकर परिवार को रोज रात की रोटी मिल पाती.
उपद्रवियों ने थाने को किया आग के हवाले:उनका बेटा अनस भी पढ़ाई के साथ अपने पिता की मदद करता था, अनस मात्र 18 साल का ही था.बनभूलपुरा के गफूर बस्ती में रहने वाला यह परिवार 8 फरवरी की वह रात कभी नहीं भूल पाएगा, जिसने उसकी जिंदगी बदल दी. दरअसल, नगर निगम और पुलिस की टीम उस दिन शाम को "मलिक का बगीचा" क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंची थी. गफूर बस्ती से यह पूरी घटना काफी दूरी पर हो रही थी. इस क्षेत्र में सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन घटना के बाद उपद्रवियों ने मलिक का बगीचा क्षेत्र से निकलकर बनभूलपूरा के थाने की तरफ बढ़े. उपद्रवियों ने यहां थाने को घेर लिया और उसे आग लगा दी.
दूध लेने गया था मोहम्मद जाहिद :करीब 15 से 20 मिनट तक उपद्रवियों का आतंक यहां पर बढ़ता चला गया और कई हताहत हो गए. मोहम्मद जाहिद के परिजन बताते हैं कि उस दिन मोहम्मद जाहिद रोज की तरह मजदूरी करके वापस लौटा था और घर आने के बाद वह बच्चों के लिए पास की एक दुकान में दूध लेने के लिए जा रहा था. इस बीच क्षेत्र में गोलीबारी की आवाज आने लगी. पिता को देखने के लिए उसका पुत्र अनस भी दुकान की तरफ आगे बढ़ने लगा.