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महिलाओं के बायोमेट्रिक से एक्टिवेट किए 20 हजार सिम, इंटरनेशनल साइबर क्रिमिनल्स को भेजे, ऐसे होता था भारत में ठगी का बड़ा खेल - Fake SIM cards sent abroad

Uttarakhand Cyber ​​Crime, Haridwar Latest News, Uttarakhand Fake SIM Case, Uttarakhand STF: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले से इंटरनेशनल साइबर क्रिमिनलों की मदद की जा रही थी, जिसका खुलासा उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने सोमवार 30 सितंबर को देहरादून में किया. इस मामले में उत्तराखंड एसटीएफ ने एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया है, जो इंटरनेशनल साइबर क्रिमिनलों को विदेशों में भारतीय कंपनियों के सिम को फर्जी तरीके से सप्लाई करता था. जानें कैसे उत्तराखंड में कैसे ये पूरा खेल चल रहा था.

Uttarakhand Cyber ​​Crime
सिम वाले साइबर ठग (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 30, 2024, 5:27 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने दक्षिण एशिया में सिम कार्ड भेजने वाले सिम कार्टेल का भंडाफोड़ किया है. उत्तराखंड एसटीएफ ने अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों को फर्जी सिम कार्ड और OTP उपलब्ध कराने वाले मास्टर माइंड साइबर क्रिमिनल को हरिद्वार जिले के मंगलौर थाना क्षेत्र से अरेस्ट किया है. आरोपी अभी तक 20 हजार से ज्यादा सिम एक्टिवेट कर फर्जी तरीके से दक्षिण एशियाई देशों- थाइलैंड, कम्बोडिया और म्यांमार आदि के अलावा भारत के कई राज्यों के साइबर ठगों को भेज चुका है. पुलिस अब इनके ट्रांसपोर्टेशन के तरीके का पता लगा रही है.

ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को लालच देकर एक्टिव कराते थे सिम: उत्तराखंड एसटीएफ ने अपने खुलासे में बताया कि आरोपी मंगलौर थाना क्षेत्र में घर-घर जाकर महिलाओं को फर्जी सरकारी स्कीम और कंपनी की ओर से कप का सेट देने का लालच देकर उनके आधार कार्ड आदि दस्तावेज व बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा निशानी ले लिया करते थे, फिर उन्हीं से सिम को एक्टिवेट किया करते थे.

विदेशों में बैठे इंटरनेशनल साइबर क्रिमिनल्स को उत्तराखंड से भेजे गए 20 हजार सिम. (ETV Bharat)

OTP के लिए जाते थे पैसे: उत्तराखंड एसटीएफ के मुताबिक, सिम कार्ड्स को चाइना और कंबोडिया भेजे जाने के साथ-साथ वहां साइबर ठगों से व्हाट्सएप ग्रुप को एक्टिवेट कराने के लिए तीन से लेकर 50 रुपये प्रति ओटीपी के हिसाब से रकम ली जाती थी. साथ ही चाइना और कंबोडिया से संचालित व्हाट्सएप ओटीपी ग्रुप के माध्यम से सुदूर विदेशों में बैठे अन्य आरोपी इन भारतीय सिमों पर व्हाट्सएप और अन्य एप्लीकेशन एक्टिवेट कर व्हाट्सएप कॉलिंग कर या इंस्टाग्राम पर लोगों को अपने जाल में फंसा कर ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट के नाम पर सहित अन्य लालच देकर पूरे भारतवर्ष में साइबर ठगी कर रहे थे.

साइबर ठगों के जाल में कैसे फंसा पीड़ित: दरअसल, अप्रैल 2024 में माजरी माफी मोहकमपुर देहरादून निवासी पीड़ित ने मुकदमा दर्ज कराया था. उसने पुलिस को बताया था कि वो पिछले आठ महीने से फेसबुक पर कथित कल्याणी निवासी चेन्नई के संपर्क में था. कल्याणी ने बताया कि वो Metal Advisor का काम करती थी. साथ ही कल्याणी वेबसाइट पर लोगों को पैसा इन्वेस्ट कर तीन गुना मुनाफा कमाने को कहती थी.

पीड़ित भी आ गया झांसे में: पीड़ित ने पुलिस को बताया कि कल्याणी ने फेसबुक पर कई ऐसी चैट के स्क्रीनशॉट डाले थे, जिसमें लोगों ने तीन गुना फायदा होने की बात स्वीकारी थी. पीड़ित भी कल्याणी की बातों में आ गया और खुद भी इन्वेस्टमेंट करने का फैसला लिया. इसके बाद कल्याणी ने पीड़ित को बेवसाइट का लिंक भेजा. बेवसाइट पर पीड़ित की आईडी बनवाई गई. शुरू में पीड़ित ने दस हजार रुपए इन्वेस्ट किए. मुनाफे के तौर पर पीड़ित के खाते में दो दिनों के अंदर ही 23 हजार रुपए से ज्यादा आ गए.

इसके बाद पीड़ित ने 25 हजार रुपए और इन्वेस्ट किए तो बेवसाइट वालों की तरफ से बताया गया कि इन्वेस्ट की मिनिमम लिमिट 50,000 रुपए कर दी गई है, जिसके लिए उनको 25 हजार रुपये और इन्वेस्ट करने होंगे, नहीं तो पहले के 25 हजार भी नहीं निकाल पाएंगे. पीड़ित ने 25 हजार रुपए बचाने के लिए और 25 हजार रुपए बेवसाइट पर इन्वेस्ट कर दिए. 50 हजार रुपए जाने के बाद भी पीड़ित पैसा नहीं निकाल सका. पीड़ित को फिर से एक लाख रुपए जमा कराने को कहा गया, जिस पर पीड़ित को शक हुआ और उसने आरोपी को साइबर क्राइम पुलिस को रिपोर्ट करने का कहा, जिसके बाद आरोपियों ने पीड़ित का नंबर ही ब्लॉक कर दिया. साथ ही बेवसाइट भी नहीं खुल रही थी.

इसके बाद पीड़ित ने साइबर पुलिस को शिकायत की. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी. पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल नंबर खंगाले तो सामने आया कि अधिकांश नंबर मंगलौर क्षेत्र में महिलाओं के नाम पर हैं. पुलिस ने जब इसकी जांच की तो आरोपी का नाम सामने आया, जिसे उत्तराखंड एसटीएफ ने गिरफ्तार किया. आरोपी के कब्जे से उत्तराखंड एसटीएफ को करीब 1,816 सिम, दो चेक बुक, पांच मोबाइल फोन और दो बायोमेट्रिक डिवाइस बरामद हुई.

आरोपी अपने इलाके की महिलाओं को फर्जी सरकारी स्कीम का लालच देकर उनके आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज और बायोमेट्रिक थंब ले लिया करते थे, फिर उन्हीं दस्तावेजों से फर्जी सिम लिया करते थे. इसके बाद आरोपी सिम कार्ड से ओटीपी बायर को सिम कार्ड के जरिए ओटीपी बनाकर बेचता था. प्रत्येक सिम कार्ड के ओटीपी पर आरोपी को तीन से 50 हजार रुपए का मुनाफा होता है. आरोपी अभीतक 10 हजार के करीब सिम कार्ड और मोबाइल को तोड़कर जला चुका है.- निलेश आनंद भरणे, आईजी लॉ एंड ऑर्डर, उत्तराखंड पुलिस

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