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सत्ता बदलने के बाद बिहार के लिए बजट में क्या है खास? जानें एक्सपर्ट की राय

Budget 2024: देश का आंतरिक बजट पेश होने वाला है. ऐसे में बिहार के लोग ज्यादा उत्सुक हैं, क्योंकि बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बन गई है. राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया है कि इस बार बजट में बिहार के लिए क्या-कुछ खास हो सकता है. तो आइए जानते हैं.

आम बजट में क्या है खास
आम बजट में क्या है खास

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 31, 2024, 8:12 PM IST

Updated : Feb 6, 2024, 10:57 AM IST

बिहार के लिए बजट में क्या है खास?

पटना:पिछली बार बिहार में महागठबंधन की सरकार रहने की वजह से आम बजट में बिहार के साथ पक्षपात का आरोप लगा था लेकिन इस बार राज्य में भी एनडीए की सरकार बन गई है. लोकसभा चुनाव भी नजदीक है, ऐसे में इस बार का आंतरिक बजट बिहार के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विशेषज्ञों ने बताया है कि बजट में बिहार के लिए क्या-कुछ खास हो सकता है.

आंतरिक बजट में बिहार के लिए क्या?:देशवासियों के साथ-साथ बिहारवासियों की नजरें बजट पर टिकी हुई हैं. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ रोजगार देने, महंगाई कम करने आदि को लेकर भी उम्मीद जताई जा रही है. लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार की ओर से लाई जा रही बजट में बिहार के ना केवल राजनीतिक बल्कि अर्थशास्त्री भी उम्मीद लगाए हुए हैं.

बजट पर क्या है एक्सपर्टस की राय?:इस डबल इंजन की सरकार में विशेषज्ञों का कहना है कि लोकसभा चुनाव नजदीक है. अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है, तो वैसे राज्य जो पहले से ही स्पेशल स्टेटस की डिमांड कर रहे हैं, इसे पक्षपात समझेंगे. केंद्र सरकार चुनाव के मद्देनजर ऐसा रिस्क नहीं लेगी. इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की कम उम्मीद है. लेकिन विशेष पैकेज मिलना ही चाहिए.

"बिहार को फिलहाल विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है, क्योंकि कई दूसरे राज्य भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन राज्यों को केंद्र सरकार नाराज नहीं कर सकती है, लेकिन केंद्र से विशेष पैकेज तो मिल ही सकता है. बिहार की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार को बजट में इसके लिए प्रावधान करना चाहिए."-के. चौधरी,अर्थशास्त्र प्रोफेसर

'बिहार को मिले विशेष पैकेज':वहीं ए.एन. सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर डॉ विद्यार्थी विकास का कहना है, "आम बजट में बिहार की स्थिति को देखते हुए कोई बड़ी घोषणा बिहार के लिए जरूर करनी चाहिए. नीति आयोग रिपोर्ट में बिहार में 50% गरीबी रेखा से नीचे लोग हैं. जातीय गणना की रिपोर्ट में भी 94 लाख से अधिक परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को विशेष पैकेज की घोषणा करनी चाहिए."

राजनीतिक विशेषज्ञों की राय: वहीं इस मसले पर राजनीतिक विशेषज्ञों ने भी अपनी राय दी है. उनका है कि अब केंद्र और राज्य में एक ही सरकार है, ऐसे में बिहार के साथ अच्छा होगा. बिहार की जो अपेक्षा है, वह जरूर पूरी होगी.

"अब बिहार में एनडीए की सरकार हो गई है. केंद्र में भी एनडीए की सरकार है, तो बिहार की जो पहले से अपेक्षा है निश्चित रूप से वह पूरी होगी."- राजीव रंजन, वरिष्ठ नेता, जदयू

बिहार को बड़ी राशी की जरूरत: हर राज्य में बजट को लेकर विश्लेषण किया जा रहा है. बिहार में जातीय गणना के आधार पर 2 लाख रुपए की राशि 94 लाख से अधिक गरीब परिवारों को देने की योजना भी शुरू हुई है. अन्य योजनाओं पर बड़ी राशि खर्च होने वाली है. शिक्षक बहाली भी बड़े पैमाने पर की गई है. वहीं आने वाले समय में 10 लाख रोजगार और 10 लाख नौकरी का काम भी पूरा करना है, जिसमें बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी.

केंद्र सरकार की मदद से जल्द योजनाएं पूरी: विशेषज्ञों ने बताया कि बिहार सरकार खुद के दम पर इसे 5 वर्ष में पूरा करेगी, लेकिन केंद्र से विशेष मदद मिलेगा तो ढाई वर्ष में ही सारी योजनाओं पूरी हो सकती हैं. कुल मिलाकर 40 से 50 हजार करोड़ की राशि चाहिए. ऐसे में केंद्र से राशी की आवश्यकता है.

बजट में बिहार के लिए मांग: बता दें कि 2022 में भी केंद्र सरकार से बिहार ने 20,000 करोड़ पैकेज की मांग की थी. इस बार 2024 में भी बिहार की ओर से विशेष राज्य के दर्जे या विशेष पैकेज की मांग की गयी है. साथ ही केंद्रीय योजनाओं को घटाने की मांग भी हुई है. केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बिहार को अधिक मिले इसकी भी मांग की गई है. बिहार में गरीबी उन्मूलन योजना और नौकरी रोजगार के लिए बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी और इसके लिए केंद्र का सहयोग जरूरी है.

पिछले साल केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ बैठक:बता दें कि पिछले साल नवंबर में केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्री बजट राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की थी. बिहार की ओर से तत्कालीन वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी भी शामिल हुए थे और बिहार का पक्ष रखा था. उन्होंने बिहार की ओर से जो प्रमुख मांग की थी, उसमें केंद्र की योजनाओं की संख्या में कटौती की जाए, क्योंकि 100 से अधिक योजना केंद्र की चल रही है, जिसमें राज्य को भी हिस्सा देना पड़ता है.

केंद्र और राज्य का रेशियो: पहले केंद्रीय योजनाओं में 90 और 10 का रेशियो होता था लेकिन अब अधिकांश योजनाओं में 60:40 या 50:50 तक का हो गया है. 90:10 के रेशियों में केंद्रीय योजनाओं में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी करने मांग भी की गई.

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Last Updated : Feb 6, 2024, 10:57 AM IST

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