देहरादून: देश दुनिया में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. मौजूदा स्थिति यह है कि भारत में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या की वजह से तमाम दिक्कतें पैदा होने लगी हैं. इसी क्रम में उत्तराखंड की बात करें तो राज्य में लगातार बढ़ रही जनसंख्या अब प्रदेश के लिहाज से बेहद खराब साबित होने लगी है.
देश दुनिया पर जनसंख्या का दबाव: खासकर उत्तराखंड के मुख्य शहरों की बात करें तो इन शहरों में आबादी पिछले कुछ सालों की तुलना में काफी अधिक बढ़ गई है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण पर इसका असर पड़ रहा है, बल्कि आर्थिक संसाधनों पर भी बड़ा असर पड़ रहा है. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार, जनसंख्या कानून पर जोर देने की बात कह रही है. जनसंख्या बढ़ने से प्रदेश पर क्या-क्या असर पड़ रहा है पेश है ये खास रिपोर्ट.
आज है विश्व जनसंख्या दिवस: तेजी से बढ़ रही जनसंख्या का असर ये है कि देश की जनसंख्या करीब 140 करोड़ तक पहुंच गई है. देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या से अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2030 तक जनसंख्या के मामले में हम चीन को भी पीछे छोड़ देंगे. देश दुनिया में बढ़ती जनसंख्या के कारण होने वाली गंभीर समस्या को देखते हुए हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. साथ ही हर साल इस दिवस को मनाने के लिए थीम निर्धारित की जाती है. इसी क्रम में इस साल विश्व जनसंख्या दिवस मनाने को लेकर "जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है" थीम निर्धारित की गई है.
लोगों को परिवार नियोजन के लिए किया जा रहा जागरूक: विश्व जनसंख्या दिवस पर गर्भ निरोधक और परिवार नियोजन के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है. साथ ही इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य जनता को जनसंख्या विस्फोट, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, लैंगिक समानता और मानव अधिकारों से जुड़ी महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी देना है. विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की ओर से की गई थी. दरअसल, 1987 तक दुनिया की जनसंख्या पांच अरब के करीब पहुंच चुकी थी, जिसको लेकर जागरूक देशों को चिंता होने लगी. इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, ताकि लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा सके.
उत्तराखंड में भी बढ़ती जा रही जनसंख्या: देश भर में लगातार बढ़ रही जनसंख्या के साथ ही उत्तराखंड में भी तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है जो राज्य के लिहाज से ठीक नहीं है. क्योंकि, उत्तराखंड राज्य एक सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ राज्य है. लगातार बढ़ रही जनसंख्या के चलते सीमित संसाधन घटते जा रहे हैं. उत्तराखंड की मौजूदा स्थिति यह है कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र खाली हो रहे हैं. शहरी और मैदानी क्षेत्रों में जनसंख्या का दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा है. इसका असर न सिर्फ आर्थिक संसाधनों पर पड़ रहा है, बल्कि पर्यावरण के साथ ही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सीमांत गावों पर भी पड़ रहा है.
वनों वाले उत्तराखंड में अब कंक्रीट के जंगल: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के मुख्य शहर कंक्रीट के जंगलों में तब्दील हो गए हैं. आज स्थिति यह है कि शहरों में तेजी से मलिन बस्तियों की संख्या बढ़ रही है. नदी नाले सिकुड़ते जा रहे हैं. जंगल कटते जा रहे हैं. यही वजह है कि बढ़ती जनसंख्या की वजह से पर्यावरण पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिल रहा है. इसके अलावा वायु प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है. जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, उसी तेजी से वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है. इससे चलते वायु प्रदूषण खतरनाक ढंग से बढ़ता चला जा रहा है. अगर अगले कुछ सालों तक उत्तराखंड के शहरों और मैदानी क्षेत्रों में यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी.
क्या कहते हैं जानकार: उत्तराखंड के मामलों के जानकार जय सिंह रावत की मानें तो, जनसंख्या का विस्फोट सिर्फ उत्तराखंड राज्य के लिए समस्या नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक समस्या है. भारत देश जनसंख्या के मामले में चीन से भी आगे निकल रहा है. लेकिन हिमालयी राज्यों में हो रहे जनसंख्या विस्फोट का सीधा असर और पर्यावरण के साथ ही आर्थिक संसाधनों पर पड़ता है. इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्र की केयरिंग कैपेसिटी उतनी अधिक नहीं है, जितना जनसंख्या का दबाव पड़ रहा है. इसके साथ ही बढ़ती जनसंख्या का असर वाइल्ड लाइफ पर भी पड़ रहा है. लगातार बढ़ रही जनसंख्या के चलते जंगलों के किनारे आबादी बसती जा रही है. यही वजह है कि जंगली जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में आसानी से दिखाई दे जाते हैं. इसके चलते मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं.
इक्वल डिस्ट्रीब्यूशन गड़बड़ाया: उत्तराखंड राज्य में इक्वल डिस्ट्रीब्यूशन नहीं है, जिसके चलते भी समस्याएं खड़ी हो रही हैं. प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र लगातार खाली हो रहे हैं. शहरी और मैदानी क्षेत्रों में लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है. पर्वतीय क्षेत्रों से लोग पलायन कर मैदानी क्षेत्रों और शहरी क्षेत्र में आ रहे हैं, जिसके चलते शहरी और मैदानी क्षेत्रों में जनसंख्या का दबाव बढ़ता चला जा रहा है, जो तमाम गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर रहा है. मुख्य रूप से हमारे नदी नाले खत्म होते जा रहे हैं. पर्यावरण में लगातार बदलाव हो रहा है. प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. आर्थिक संसाधनों पर भी दबाव तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में प्रदेश के भीतर इक्वल डिस्ट्रीब्यूशन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में यह एक गंभीर समस्या बन जाएगी.