नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कृत्रिम वर्षा करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है. गोपाल राय ने केंद्रीय मंत्री को 30 अगस्त, 10 अक्टूबर और 23 अक्टूबर को पत्र भेजकर प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर तत्काल कार्रवाई की मांग की, लेकिन उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. वहीं दूसरी ओर प्रदूषण से दिल्ली के लोग परेशान हैं.
जानिए कैसे कराई जाती है कृत्रिम बारिश: कृत्रिम बारिश क्लाउड सीडिंग नाम की तकनीक के जरिए करवाई जाती है. इसके तहत बादलों पर सिल्वर आयोडाइड और क्लोराइड जैसे नमक के कणों का छिड़काव किया जाता है. कहीं पर इसके लिए एक विशेष विमान का इस्तेमाल किया जाता है, कहीं रॉकेट का और कहीं जमीन पर मौजूद विशेष उपकरणों का नमक के ये कण बादल में मौजूद वाष्प को अपनी तरफ खींच लेते हैं. इससे नमी भी खिंची चली आती है जो गाढ़ी हो कर पानी की बूंदों का रूप धारण कर लेती है और बारिश बन कर बरस जाती है. कोशिश यह होती है कि बादल के प्राकृतिक विकास के क्रम को बदल दिया जाए, ताकि कृत्रिम रूप से बारिश करवाई जा सके.
कृत्रिम बारिश एक मौसम में बदलाव की तकनीक :कृत्रिम बारिश एक मौसम में बदलाव की तकनीक है जो कुछ प्रकार के सब-फ़्रीज़िंग बादलों में छोटे बर्फ के टुकड़ों को शामिल करके बारिश या बर्फ पैदा करने की बादल की क्षमता में सुधार करती है. बादलों के मध्य बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े बादलों पर गिराने से बादल नए बर्फ के टुकड़े तेजी से बढ़ते हैं और बादलों से वापस पृथ्वी की सतह पर गिरते हैं, जिससे स्नोपैक और स्ट्रीमफ्लो बढ़ जाता है और बारिश होती है.
गोपाल राय ने की केंद्र से कृत्रिम बारिश की अपील:दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि गोपाल राय ने अब केंद्र सरकार से कृत्रिम बारिश कराने की मांग की है. गोपाल राय ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार कृत्रिम बारिश एक प्रभावी उपाय हो सकती है, जिससे दिल्ली की हवा में मौजूद खतरनाक प्रदूषकों को नियंत्रित किया जा सके. दिल्ली में कृत्रिम वर्षा करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को कई बार पत्र लिखा गया लेकिन केंद्रीय मंत्री से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के बाद दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एक ऑनलाइन बैठक बुलाकर इस मुद्दे को उठाया.
आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों के साथ बैठक की मांग :गोपाल राय ने कहा, "मैं इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को एक पत्र लिख रहा हूं. केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर तुरंत एक आपात बैठक बुलानी चाहिए. इस बैठक में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों को शामिल किया जाए, जिससे इस गंभीर समस्या का वैज्ञानिक समाधान निकाला जा सके."
पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील :गोपाल राय ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है. आज बीजेपी की सरकार सिर्फ बैठी हुई है. केंद्र सरकार ने इस मामले में एक बैठक तक नहीं बुलाई. गोपाल राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हस्तक्षेप करने की अपील की. उन्होंने कहा, "यह मेडिकल इमरजेंसी का मामला बन चुका है. दिल्ली में प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है और सरकार को इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए. अगर सरकार समाधान नहीं दे पा रही है, तो कृत्रिम वर्षा पर एक बैठक बुलाने की पहल करनी चाहिए."
कई देशों में कराई जाती है कृत्रिम वर्षा :पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने यह भी बताया कि दुनिया के कई देशों में कृत्रिम बारिश के प्रयोग से प्रदूषण कम किया गया है और हालात बेहतर हुए हैं. अब दिल्ली में भी इस तकनीक का उपयोग कर प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है.दिल्ली में वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर के कारण हालात न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी बन गए हैं, बल्कि यह शहरवासियों के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है. गोपाल राय की इस अपील के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या केंद्रीय सरकार दिल्ली के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जल्दी कोई कदम उठाएगी.
पिछले साल भी नहीं हो पाई थी कृत्रिम वर्षा :आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर एटमोस्फेरिक साइंसेज के प्रो. सागनिक डे के अनुसार कृत्रिम बारिश के लिए मौसम के कुछ विशेष तत्वों का होना आवश्यक है. इनमें हवा में उचित मात्रा में नमी और बादल का होना शामिल है, तभी यह प्रक्रिया प्रभावी रूप से काम कर सकती है. पिछले वर्ष आईआईटी कानपुर ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश की लागत का अनुमान भी लगाया था. इसके अनुसार, कृत्रिम बारिश पर लगभग एक लाख रुपये प्रति वर्ग किलोमीटर का खर्च आ सकता है, और चूंकि दिल्ली का कुल क्षेत्रफल साढ़े चौदह सौ वर्ग किलोमीटर से अधिक है, तो इसका कुल खर्च काफी बड़ा हो सकता है.