नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख सैन्य गतिरोध के पांचवें वर्ष में प्रवेश करने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत चीन के साथ शेष मुद्दों के समाधान की उम्मीद करता है. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि सामान्य द्विपक्षीय संबंधों की वापसी सीमा पर शांति पर निर्भर करती है. एक विशेष साक्षात्कार में जयशंकर ने कहा कि शेष मुद्दे मुख्य रूप से 'गश्त के अधिकार और गश्त की क्षमताओं' से संबंधित हैं.
विशेष रूप से यह पूछे जाने पर कि पिछले महीने न्यूजवीक पत्रिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में लंबे समय से चले आ रहे विवाद के समाधान की उम्मीद कब की जा सकती है. जयशंकर ने कहा कि उन्होंने इस मामले पर केवल एक 'बड़ी तस्वीर' दृष्टिकोण प्रदान किया है. उन्होंने कहा कि 'हम आशा करेंगे कि वहां बचे हुए मुद्दों का समाधान हो जाएगा. ये मुद्दे मुख्य रूप से वहां गश्त के अधिकार और गश्त क्षमताओं से संबंधित हैं.'
उन्होंने कहा कि 'मैं इसे प्रधानमंत्री के साक्षात्कार से नहीं जोड़ूंगा. मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री एक बड़ी तस्वीर वाला दृष्टिकोण दे रहे थे और उनका बड़ी तस्वीर वाला दृष्टिकोण एक बहुत ही उचित दृष्टिकोण था, आखिरकार पड़ोसी के रूप में हर देश अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहता है.'
जयशंकर ने कहा कि 'लेकिन आज चीन के साथ हमारे रिश्ते सामान्य नहीं हैं क्योंकि सीमावर्ती इलाकों में शांति भंग हो गई है. इसलिए वह (पीएम) उम्मीद जता रहे थे कि चीनी पक्ष को यह एहसास होना चाहिए कि मौजूदा स्थिति उसके अपने हित में नहीं है.'
मोदी ने कहा था कि सीमा की स्थिति को तत्काल संबोधित करने की जरूरत है और भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं.
'कूटनीति धैर्य का काम है' :जयशंकर ने कहा कि कूटनीति धैर्य का काम है और भारत चीनी पक्ष के साथ मुद्दों पर चर्चा करता रहता है. उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि अगर रिश्ते को सामान्य स्थिति में लाना है तो हमें उन मुद्दों को हल करना होगा.'